चण्डीगढ, 8फरवरी:-हरियाणा रोङवेज कर्मचारी एकता युनियन ने आरोप लगाया है कि सरकार रोङवेज कर्मचारीयों की लम्बित पङी समस्याओं के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है, बल्कि इसके विपरीत लम्बित समस्याओं का समाधान करने की बजाय हर रोज कोई न कोई तुगलकी फरमान जारी करके उनके अधिकारों को छीनने का काम कर रही है।

युनियन के प्रान्तीय प्रधान बलवान सिंह दोदवा ने ब्यान जारी करते हुए बताया कि रोङवेज कर्मचारीयों की कई ज्वलंत समस्याएँ
ऐसी है जो बिल्कुल वाजिब भी हैं और उनका समाधान करना भी अति आवश्यक है।

कर्मचारीयों की लम्बित मुख्य समस्याऐं इस प्रकार से हैं:-

1• वर्ष 2016 में भर्ती की सभी प्रक्रिया पुरी करके नियुक्त हुए चालकों को रैगुलर करना चाहिए था लेकिन सरकार रैगुलर करने की बजाय उनको कौशल रोजगार निगम में डालने का काम कर रही है जो सरासर अन्याय है। अगर सरकार ऐसा करती है तो भविष्य में रैगुलर होने के इनके सभी रास्ते बंद हो जायेगें जो कर्मचारी व उसके परिवार के भविष्य के साथ घोर खिलवाङ होगा। इसलिए सरकार से अपील है कि कौशल रोजगार निगम में समायोजित करने वाले पत्र को वापिस लेकर सभी चालकों को रोङवेज के तहत ही रैगुलर करने का काम करे।

2• परिचालक अपने पे-स्केल में बढ़ोतरी करवाने की कई सालों से मांग कर रहे हैं जो परिचालक के काम को देखते हुए जायज भी है। लेकिन इनकी सुनवाई न तो परिवहन के उच्च अधिकारी कर रहे तथा न ही सरकार। जबकि परिवहन विभाग में कार्यरत परिचालक एक अहम जिम्मेदारी निभाता है तथा आंधी-तुफान बरसात व सर्दी-गर्मी में हररोज 12 सेे 14 घंटे ड्यूटी देकर यात्रियों को उनके गन्तव्य स्थान तक पहुंचाने का काम करता है। विभागीय नियमों के तहत सरकार ने परिचालक को फैक्ट्री एक्ट में माना हुआ है लेकिन पे-स्केल क्लैरीकल वाले थोपे हुए हैं जो सरासर ज्यादती है। इसलिए सरकार को परिचालक के
पे-स्केल व ग्रेड-पे को बढ़ाकर पटवारी व स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारीयों के बराबर करना चाहिए।

3• वर्ष 1993 में हङताल के दौरान लगे लगे कर्मचारीयों को रैगुलर करने में कर्मचारी व अधिकारियों द्वारा अनियमतांए बरतते हुए भिन्न-भिन्न तिथियों में रैगुलर किया गया है जो भ्रष्टाचार की और संकेत करता है तथा कर्मचारीयों के साथ बेइंसाफी
भी है। इसलिए सरकार ने एक पत्र जारी करके सभी पात्र कर्मचारीयों को एक तिथि से रैगुलर करने का काम करना चाहिए।

4• सरकार जबर्दस्ती अर्जित अवकाशों में कटौती करके भी रोङवेज कर्मचारियों को ठगने का काम कर रही है जबकि यह नियम इन कर्मचारियों पर लागू ही नहीं होता। इस रूल के लागू होने से रिटायर्ड हो चूके व कुछ समय बाद रिटायर्ड होने वाले कर्मचारीयों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पङ रहा है। इसलिए सरकार ने अपनी जिद्द छोड़कर पुराने स्लैब को ही लागू रखने के आदेश जारी करने चाहिए ताकि कर्मचारी को कोई आर्थिक नुकसान न हो।

5• सरकार द्वारा परिवहन विभाग में चालको की भर्ती करते समय जो अधिसूचना जारी की जाती है उसमें हैवी ड्राइविंग लाइसेंस के साथ हैवी ड्राईवर भर्ती करने की जाती है तथा भर्ती होने वाला उम्मीदवार हैवी ड्राईवर की सभी प्रकिया पुरी करके नियुक्त होता है। लेकिन बङे खेद का विषय है कि इसके बाद भी हैवी ड्राईवर पर लाईट ड्राईवर वाला पे-स्केल थोपा हुआ है। हैवी ड्राईवर को 5500+200200+2400 का पे-स्केल मिलना चाहिए लेकिन उसके उपर 5250+200200+2400 का पे-स्केल थोपा हुआ है जो सरासर गलत है। इससे रोङवेज चालकों में काफी रोष है तथा अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। इसलिए सरकार ने यह त्रुटी दूर करके Heavy Driving Pay-Scale लागू करना चाहिए।

6• कर्मशाला कर्मियों को मिलने वाले तकनीकि स्केल में भी काफी त्रुटी है जो दूर करनी अति आवश्यक है। परिवहन के अधिकारियों ने अलग- अलग तरीके से लागू करके एक समान कर्मचारियों में भेदभाव किया हुआ है। जिसके कारण तकनीकी कर्मचारियों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसलिए सरकार ने इस त्रुटी को दूर करके हैल्पर पद से 3 साल के बाद सभी कर्मचारियों को एक समान तकनीकी वेतनमान देना चाहिए तथा बन्द किये गए सार्वजनिक अवकाशों को पुनः बहाल करना चाहिए।

7• विभाग में तकनीकी कर्मचारियों की काफी कमी है, इसलिए दादरी डिपो में पॉलिसी 2 के तहत लगे 52 हैल्परों को रैगुलर करना चाहिए तथा खाली पङे सभी श्रेणी के पदों पर स्थाई भर्ती करनी चाहिए ताकि विभाग को सुचारू रूप से चलाया जा सके।

8• 34 साल से बाट जौह रहे लिपिकों की प्रमोशन नहीं की जा रही जबकि मुख्यालय में कार्यरत लिपिक 4 साल के बाद पदोन्नत हो चूके हैं। इसलिए सरकार ने भेदभाव की नीति छोड़कर सभी लिपिकों की प्रमोशन करनी चाहिए तथा वेतनमान में बढोतरी करनी चाहिए।

9• एक्सग्रेसिया स्कीम के तहत मिलने वाले 7 साल से बकाया पङे बोनस का भुगतान करना चाहिए।

10• प्रदेश की जनता के हिसाब से विभाग में बसों की भारी कमी है, इसलिए सरकार द्वारा सैंक्सन 5300 बसों के बेङे को पुरा करना चाहिए तथा हर साल कम से कम एक हजार नई बसें बेङे में शामिल करनी चाहिए ताकि जनता को बेहतर परिवहन सुविधा दी जा सके।

11• पहचान पत्र से (Not For Traveling) जैसे शब्द को हटाकर रिटायर्ड कर्मचारी को मान-सम्मान देना चाहिए।

दोदवा ने बताया कि इस तरह की और भी बहुत सी जायज मांगे हैं जिनको लागू करने की खास जरूरत है और इन मांगो को लेकर रोङवेज कर्मचारियों की सरकार व परिवहन अधिकारियों के साथ कई दौर की वार्ता भी हो चूकी है लेकिन सरकार व परिवहन के उच्च अधिकारियों ने आजतक रोङवेज कर्मचारियों की एक भी समस्या का समाधान नहीं किया है बल्कि उल्टा नये-नये आदेश जारी करके पहले से लागू अधिकारों को छीनने का काम किया जा रहा है। जिसके कारण कर्मचारियों में भारी रोष है। अगर सरकार ने समय रहते लम्बित सभी मांगो का समाधान नहीं किया तो रोङवेज कर्मचारी एक बार फिर बङा आन्दोलन करने पर मजबूर होंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार व परिवहन के उच्च अधिकारियों की होगी।