ई-टेंडरिंग व्यवस्था के विरुद्ध कुछ ग्राम पंचायतों द्वारा दायर याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्टे देने से किया इनकार

चंडीगढ़, 9 फरवरी – हरियाणा सरकार द्वारा गांव में विकास कार्यों में तेजी लाने व पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई ई-टेंडरिंग व्यवस्था जारी रहेगी। ई-टेंडरिंग व्यवस्था के विरुद्ध कुछ ग्राम पंचायतों द्वारा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका पर उच्च न्यायालय ने स्टे देने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय ने माना है कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई यह व्यवस्था पारदर्शिता लाने के लिए एक बड़ा और सकारात्मक कदम है।

एक सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में गांवों के विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने पंचायती राज संस्थाओं को और अधिक स्वायत्ता प्रदान करते हुए उनकी शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया है। अब पंचायती राज संस्थाएं अपने फंड व ग्रांट इन ऐड से छोटे या बड़े, चाहे जितनी भी राशि के काम हों, करवा सकती हैं। 2 लाख रुपये से अधिक के विकास कार्य ई-टेंडर के माध्यम से होंगे, जिससे न केवल कार्यों में तेजी आएगी बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी और ग्रामीणों को भी विकास कार्यों की जानकारी मिलती रहेगी।

*विकास कार्यों के लिए पंचायती राज संस्थाओं को मिला है 1100 करोड़ रुपये का बजट*

प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में गांवों में विकास कार्यों के लिए पंचायती राज संस्थाओं को 1100 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। इसमें से 850 करोड़ केवल पंचायतों को दिया गया है। नई पंचायतों द्वारा प्रस्ताव पारित कर विकास कार्य भी शुरू करवा दिए गए हैं।

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