-कमलेश भारतीय

रक्तदान देकर बहुत खुशी महसूस होती है और यह सबसे बड़ा दान है । यह कहना है कम से कम पचास बार रक्तदान कर चुके डाॅ सत्यपाल सिंह का । वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंगरक्षक रहे सुधन सिंह के बेटे हैं और अपने पिता से समाजसेवा का संस्कार लिया जिसे वे पावनता से निभा रहे हैं । मूल रूप से बनभौरी निवासी सत्यपाल सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा वहीं हुई ।

इसके बाद मैट्रिक बरवाला से की । फिर सेना में भर्ती हो गये । इनसे मेरी मुलाकात हुई जब इनके पिता सुधन सिंह की प्रतिमा का अनावरण करने सांसद बृजेंद्र सिंह सेक्टर 16-17 में इनके स्कूल एकलव्य में आये थे । इनकी पुत्रवधु डाॅ शिल्पा गुलिया तब से परीचित हैं जब गुरु जम्भेश्वरविश्विद्यालय से जनसंचार की डिग्री कर रही थी ।

-फिर आप डाॅक्टर कैसे ?
-प्राकृतिक चिकित्सा में ।

-सेना में रहते आगे पढ़ाई की ?
-जी । पीटीआई का कोर्स किया । फिर स्विमिंग कोर्स और फिर लैब टेक्निशियन का कोर्स ।

-सेना से आकर कहां जाॅब की ?
-सिविल अस्पताल में लैब टेक्नीशियन की ।

-रक्तदान का शौक कैसे ?
-थैलेसीमिया के बच्चों की मदद के लिए । अब तक स्वैच्छिक रूप से पचास बार रक्तदान कर चुका हूं । हर नववर्ष पर रक्तदान करता रहा ।

-आजकल क्या करते हैं ?
-सिविल अस्पताल से सेवानिवृत्त होकर जिंदल अस्पताल के सामने हरियाणा ब्लड बैंक खोला अंर फिर सन् 2007 से बनभौरी नर्सिंग काॅलेज । वैसे हमारे भिवानी , जयपुर , अजमेर , व्यावर और दिल्ली में भी ब्लड बैंक हैं । ये ब्लड बैंक हरियाणा थैलैसीमिया सोसायटी के अंतर्गत ही चलाये जा रहे हैं । थैलेसीमिया के बच्चों को हर हाल में रक्त उपलब्ध करवाने की कोशिश रहती है ।

-आगे क्या लक्ष्य ?
-बस । समाजसेवा और रक्तदान ।
हमारी शुभकामनाएं डाॅ सत्यपाल सिंह को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9812171175

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