गौशाला के आसपास सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश, मजदूर को दिलाया वेतन
वेतन न मिलने के कारण माता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका यहां कार्यरत कर्मचारी, उपायुक्त ने मौके पर दिलवाया बकाया वेतन
अब सामाजिक कमेटी करेगी रघुनाथपुरा नंदी शाला व गौशाला की देखरेख

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। जो कार्य प्रशासन को पहले करना चाहिए आखिरकार वह मंत्री के फटकार के बाद करना पड़ा। नंदी गौशाला की कू व्यवस्था को लेकर मंगलवार को जन परिवेदना समिति की मासिक बैठक में नागरिकों ने यह मामला जोर-शोर से मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के समक्ष उठाया था। तब मंत्री जी मंत्री ने आदेश दिए थे की उपायुक्त स्वयं जाकर जांच करें। सबसे दुखद बात यह सामने आई कि यहां कार्यरत एक कर्मचारी को कई माह से वेतन न मिलने के कारण वह अपनी माता के अंतिम संस्कार में शरीक न हो सका। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर नगर परिषद के अधिकारी इतने अमानवीय कैसे हो सकते हैं। अब क्या जिला प्रशासन और मंत्री इन निर्लज्ज अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही करेंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।

बुधवार को उपायुक्त डॉ जयकृष्ण आभीर ने आज रघुनाथपुरा में स्थित नंदीशाला व गौशाला का निरीक्षण किया। उन्होंने वहां पर और अधिक ढांचागत सुविधा तैयार करने के निर्देश दिए।

डीसी ने बताया कि यहां पर लगभग 400 गोवंश है। पशु चारे की फिलहाल कोई कमी नहीं है। उन्होंने नगर परिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए कि बीमार पशुओं के लिए बनाए गए शेड में पशुओं के गद्दे लगाए जाएं ताकि पशु जल्द से जल्द सही वातावरण में रहकर ठीक हो सके।

उन्होंने टीन शेड की उखड़ी हुई चद्दर को दोबारा से ठीक करवाने के निर्देश दिए। इसके अलावा सभी टीन शेड में नीचे छह सात फीट तक चारदीवारी बनाने के निर्देश दिए।

उपायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में खोर बनाई जाए तथा वहां पर अच्छी तरह से ढलान किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि गौशाला के आसपास सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि यहां आने-जाने वालों पर नजर रहे। इसके अलावा पानी की उचित निकासी करने के भी निर्देश दिए।

डीसी ने आम नागरिकों से आह्वान किया है कि वे अपने पशुओं को खुला न छोड़ें। कुछ नागरिक केवल दूध देने तक ही पशुओं को अपने घर रखते हैं लेकिन बाद में सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। ऐसे हालात में हादसे होने का अंदेशा रहता है।

इस मौके पर बीजेपी के जिला प्रधान राकेश शर्मा, मनीष मित्तल, गोविंद भारद्वाज, नगर परिषद के एक्सईएन अंकित वशिष्ठ तथा विकास के अलावा अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

  • डीसी ने मौके पर दिलाई 3 महीने की सैलरी

उपायुक्त डॉ जयकृष्ण आभीर ने नंदी शाला व गौशाला के निरीक्षण के दौरान वहां पर काम करने वाले एक गो सेवक ने पिछले 3 महीने से वेतन न मिलने की बात कही। इस पर उपायुक्त ने नगर परिषद के एक्सईएन अंकित वशिष्ट को तुरंत सैलरी देने के निर्देश दिए।

एक्सईएन ने आधे घंटे में ही उसके 3 महीने की सैलरी मौके पर ही उपायुक्त के माध्यम से गो सेवक को दिलवाई। डीसी ने कहा कि यहां काम करने वाले गो सेवक की सैलरी समय पर दी जाए। हर आदमी को अपना परिवार पालना होता है। किसी की सैलरी समय पर आने देना उसके साथ अन्याय है। भविष्य में किसी तरह की समस्या नहीं होनी चाहिए। उपायुक्त ने कार्यरत कर्मचारी को वेतन तो दिलवा दिया पर जिन अधिकारियों के कारण वह अपनी माता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका उनके ऊपर आखिर कब कार्रवाई की जाएगी।

  • अब सामाजिक कमेटी करेगी रघुनाथपुरा नंदी शाला व गौशाला की देखरेख

रघुनाथपुरा में स्थित नंदी शाला व गौशाला को सामाजिक लोगों की कमेटी बनाकर उसे सौंपा जाएगा। इसी संबंध में आज उपायुक्त डॉ जयकृष्ण आभीर ने लघु सचिवालय में जिला के सामाजिक लोगों की बैठक ली तथा कमेटी को पंजीकृत करवाने की कार्रवाई शुरू करवाई।

डीसी ने कहा कि यह कमेटी जल्द से जल्द अपनी सारी कागजी कार्रवाई पूरी करके बैंक में अपना खाता खुलवाए। इसके बाद इसकी सारी जिम्मेदारी कमेटी लेगी। साथ ही इसे गौ सेवा आयोग से भी पंजीकृत करवाकर सहायता दिलवाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि बैंक खाता खोलने के बाद आम नागरिकों के सहयोग से इस गौशाला को चलाया जाएगा। समाज में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। कमेटी बनने के बाद जिला प्रशासन पूरी मदद करेगा।

उपायुक्त ने कहा कि यह कमेटी योजनाबद्ध तरीके से इस गौशाला में ढांचागत सुविधा तैयार करवाएगी तथा उसके बाद आम लोगों के सहयोग से गोवंश की सेवा की जाएगी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि इस नंदी शाला को शहर में आवारा नंदियों और गोवंश से मुक्त रखने के लिए नगर परिषद की देखरेख में शुरू किया गया था। नंदी शाला की स्थापना के बाद ही यह चर्चा में रही है यहां लगातार पशुओं की मौत और को व्यवस्था को लेकर नगर परिषद के अधिकारी आंख बंद किये रहे। मीडिया में समय-समय पर मामले उजागर किए गए पर प्रशासन और सरकार की कान में जूं तक नहीं रेंगी। पुरे देश व प्रदेश में गौ को माता का दर्जा देने वाली पार्टी व उसकी सरकार क्या उसकी बदहाली के प्रति जवाबदेह नहीं?

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