-कमलेश भारतीय

कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी अब यात्रा के अंतिम पड़ाव पर हैं यानी कश्मीर में ! पैंतीस सौ किलोमीटर की यात्रा छब्बीस जनवरी को संपन्न हो जायेगी । उत्तर भारत में प्रवेश करते ही राहुल ने लगातार एक बात कही कि मैं नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने जा रहा हूं । आइए मेरे साथ चलिये । एकतरफ गोदी मीडिया को निशाना बनाया तो दूसरी तरफ चैनलों पर दिखाये जाने वाले टाॅक या डिबेट शोज की धज्जियां उड़ाते कहा कि इनके बाहर देश में शांति है , प्रेम है , मोहब्बत है और देख रहा हूं कि लोग आपस में भाईचारा निभाते रह रहे हैं लेकिन ये चैनल नफरत फैलाने में लगे हैं । चौबीस घंटे चलने वाले चैनलों पर दो चार मिनट भी हमारी यात्रा दिखाने का समय नहीं है । इसलिए मोहब्बत की दुकान खोलने निकला हूं ।

अब जाकर भाजपा नेता व केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नहीं राहुल तो खुद नफरत पैदा कर सत्ता पाने की कोशिश में लगे हैं । उनकी दुकान में मोहब्बत नहीं नफरत है । ये सारी दुनिया में भारत की छवि खराब कर रहे हैं और भारत को बदनाम कर रहे हैं । वे हमारी सेना के शीर्ष पर सवाल उठाते हैं । भारत सन् 1947 में टूटा था , अब नहीं टूटेगा ! राहुल गांधी देश में घूम घूम कर कह रहे हैं कि हिंदुस्तान में नफरत है । क्या हम नफरत फैला रहे हैं ? क्या मोदी जी नफरत फैला रहे हैं ? राहुल भारत को बदनाम करने की कोशिश न करें !

यह है भाजपा का मोहब्बत की दुकान का जवाब ! यानी आरोप वापिस काग्रेस पर ही जड़ देने में ही भलाई ! जो दिया , उसे ही लौटा दिया ! महात्मा बुद्ध कहते हैं कि जब हमने आपकी बात स्वीकार नहीं की , गालियां स्वीकार नहीं की तो वह देने वाले के पास लौट जायेंगीं !

यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते रहे कि यह यात्रा सत्ता पाने के लिए की जा रही है । किसी के दर्द को जानने या समस्याओं को समझने के लिए नहीं ! फिर इतनी अहमियत क्यों यात्रा को ? कन्याकुमारी से शुरू हुई यात्रा पर लगातार कमेंट्स क्यों ? आईटी प्रकोष्ठ इतने प्रहार क्यों करता आया ? कभी किसी महिला के साथ फोटो वायरल तो कभी विवेकानंद प्रतिभा पर प्रणाम क्यों नहीं तो कभी टी शर्ट का रेट ? किसलिए ? यानी यात्रा का जनता में लगातार जुड़ाव बढ़ा और आलोचना भी बढ़ती गयी । अग्निवीर की आलोचना का कोई जवाब नहीं दिया राजनाथ सिंह ने ! मीडिया के गोदी मीडिया बनने का कोई जवाब नहीं दिया ! बस नफरत लौटा दी ! भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया तो क्या कांग्रेस नफरत मुक्त भारत का नारा नहीं दे सकती ? अब सवाल उठाया जा रहा है कि यात्रा पर इतना खर्च कैसे और कहां से ? जवाब यह भी है कि सरकारें गिराने के लिये पैसे कहां से ?

कांग्रेस मोहब्बत की दुकान नहीं खोल सकती ? मोहब्बत की दुकान तो कश्मीर तक पहुंच गयी । अब यह दुकान कितनी असरदार रही या रहेगी , यह तो आने वाले चुनाव ही बतायेंगे !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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