गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज: गुरुग्राम पुलिस की डीसीपी साउथ उपासना IPS, ने साईबर अपराधों को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के उदेश्य से आमजन को गणतंत्र दिवस पर देशवासियों को संदेश देते हुए बताया है कि विभिन्न आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों को घर से काम करने का विकल्प देते हुए अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दूर से एक्सेस करने के लिए कई स्क्रीन शेयरिंग ऐप जैसे एनीडेस्क, टीम व्यूअर, टेक सपोर्ट आदि का उपयोग करती हैं। उन्होंने बताया कि साईबर अपराधी तेजी से साईबर धोखाधड़ी करने के लिए टीम-व्यूअर, एनीडेस्क एप्लिकेशन ऐप्स का दुरुपयोग कर लोगों से उनकी गाढ़ी कमाई ठग रहे हैं। साल की शुरुआत से ही ऐसी 60 साईबर शिकायतें गुरुग्राम पुलिस को प्राप्त हुई है।

साईबर अपराधी पहले लिंगकड ऐप, फेसबुक आदि विभिन्न सोशल साइट्स का उपयोग करके पीड़ित से संबंधित जानकारी एकत्र करते हैं, फिर साईबर अपराधी केवाईसी अपडेट, बिजली बिल अपडेट, क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड विवरण अपडेट, आधार कार्ड अपडेट इत्यादि के नाम पर तकनीकी सहायता प्रदान करके पीड़ित को कॉल करते हैं (जिसे फिशिंग के रूप में जाना जाता है) और उन्हें अपने मोबाईल में एनीडेस्क, टीम व्यूअर इत्यादि जैसे स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स इंस्टॉल करने के लिए कहते है। जैसे ही ऐप इंस्टॉल होता है साईबर क्रिमिनल पीड़ित के डिवाईस तक पहुंच जाता है और इस तरह उनके पेमेंट वॉलेट और नेट बैंकिंग ऐप से पैसे ठग लेता है।

डीसीपी ने साईबर ठगी से बचने के कुछ मीन टिप्स भी लोगों को दिए जैसे कि किसी अनजान व्यक्ति का कॉल आने पर अपने डिवाइस में कोई संदिग्ध ऐप डाउनलोड न करें। आपके डिवाइस (टेक सपोर्ट) को रिमोट एक्सेस देने से पहले तकनीकी सपोर्ट को कॉलर की ठीक से पहचान करण्यास सुनिश्चित करना आवश्यक है। एसएमएस में किसी भी हाइपरलिंक (नीला टेक्स्ट) पर क्लिक न करें। मोबाइल पर तुरंत एयरप्लेन मोड दबाएं। उन्होंने सभी लोगो जनहित और देश हित में की है कि किसी भी साईबर फ्रॉड की सूचना तुरंत पुलिस को दे जिससे देश में लोगों के बीच कोई ठगी का शिकार ना बन सके।

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