…अजीत सिंह पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन हिसार
दूरदर्शन केंद्र हिसार का बंद होना केवल स्थानीय लोगों के लिए कुछ नियमित और कुछ आकस्मिक नौकरियों के नुकसान का मुद्दा मात्र नहीं है । यह एक ऐसे माध्यम की हानि भी है जो हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के स्थानीय विशेषज्ञों से किसानों को कृषि संबंधी टिप्स प्रदान करता रहा है। पर यह भी मुख्य मुद्दा नहीं है। यह असल में राज्य की पहचान के एक महत्वपूर्ण मुद्दे के नुकसान की कहानी है।
2002 में दूरदर्शन केंद्र की स्थापना पाने वाला हरियाणा देश का आखिरी राज्य था। ठीक 20 साल बाद, राज्य हिसार में अपना एकमात्र केंद्र खोने वाला पहला राज्य बन जायेगा । इस साल 15 जनवरी को इसे चंडीगढ़ स्थानांतरित कर दिया जाएगा। आठ एकड़ की प्राइम लोकेशन पर बना दूरदर्शन कार्यालय और स्टाफ कॉलोनी परिसर अपने स्टूडियो और महंगे डिजिटल उपकरणों के साथ बंद हो जाएंगे। अभी तक इस विशाल परिसर के किसी और उपयोग की घोषणा नहीं की गई है।
प्रसार भारती (दूरदर्शन का प्रशासनिक निकाय) द्वारा खर्चे कम करने के लक्ष्य को हिसार केंद्र को बंद करने का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
इसका प्रदेश भर में अनेक वर्गों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। वे इस कदम को हरियाणा की पहचान पर हमला मानते हैं।
अधिकांश राज्यों के अपने क्षेत्रीय चैनल हैं जैसे डीडी पंजाबी, डीडी राजस्थान, डीडी बिहार आदि। हिसार केंद्र को इसके अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए लगभग दो साल पहले डीडी हरियाणा के रूप में नामित किया गया था। अब इसे समाप्त किया जा रहा है।
पहले आकाशवाणी और बाद में दूरदर्शन ने किसानों को कृषि की नवीनतम तकनीकों और बागवानी और डेयरी जैसे संबद्ध क्षेत्रों के बारे में शिक्षित करने के अलावा पूरे देश में क्षेत्रीय संस्कृतियों को बढ़ावा देने और इनके प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
हिसार में दो विश्वविद्यालय हैं, एक कृषि के लिए और दूसरा पशु चिकित्सा विज्ञान के लिए जो आकाशवाणी और दूरदर्शन को विशेषज्ञ प्रदान करते हैं।
हरियाणा भारतीय इतिहास की क्रीड़ास्थली रहा है। महाभारत से लेकर पानीपत की तीन लड़ाइयों और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम यहीं लड़े गए। ये भारत के इतिहास के मील के पत्थर हैं। लोकगायकों द्वारा लोकगीतों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक माध्यम से इन लड़ाइयों में वीरता और बलिदान की गाथाएं सुनाई जाती रही हैं। यही कहानियां वर्तमान में भी युवाओं को सशस्त्र बलों में नौकरी करने के लिए प्रेरित करती हैं। सेना व सशस्त्र बलों में हरियाणा अपनी जनसंख्या के अनुपात में देश में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
इसके लिए आकाशवाणी तथा दूरदर्शन हिसार जैसे जन संचार के माध्यम युवाओं को प्रेरणा देते रहे हैं। इन के अभाव में संभावित प्रभावों पर दीर्घकालिक दृष्टिकोण से गंभीर विचार करने की आवश्यकता है।
यह तर्क कि दूरदर्शन केंद्र को हिसार से राज्य की राजधानी चंडीगढ़ में स्थानांतरित करना केवल संसाधनों के समुचित उपयोग की कवायद है, इसमें ज्यादा दम नहीं है। चंडीगढ़ एक आधुनिक शहरी बस्ती है जिसकी अपनी कोई स्थापित संस्कृति नहीं है। यह तीन सरकारों की राजधानी है और सेवारत और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों का शहर है। जैसे जालंधर पंजाब की सांस्कृतिक राजधानी है, वैसे ही हरियाणा का हिसार है। जालंधर ने पंजाबी संस्कृति के संरक्षण, प्रचार और प्रसार में बहुत योगदान दिया है और आगे भी करता रहेगा। हिसार में डीडी केंद्र के बंद होने से हरियाणा इस माध्यम के सांस्कृतिक योगदान से वंचित हो जाएगा। यह पहचानने की आवश्यकता है कि आकाशवाणी और दूरदर्शन स्वतंत्रता के बाद से देश के अधिकांश क्षेत्रों की पहचान के महत्वपूर्ण संकेतक के रूप में उभरे हैं।
कुछ लोगों का तर्क है कि हरियाणा दिल्ली के इतना करीब है कि यह उच्च शक्ति वाले आकाशवाणी और दूरदर्शन के ट्रांसमीटरों के साथ अपने क्षेत्र को कवर करता ही है। यह एक बड़ी भ्रांति है। जो लोग रेडियो और टेलीविजन पर अपने ही लोगों को नहीं देखते या सुनते हैं, वे अपने आप को गैर-व्यक्तियों (non-persons)के रूप में महसूस करने लग जाते हैं। वे सांस्कृतिक रूप से किसी और के अधीन महसूस करते हैं। उनमें सांस्कृतिक हीन भावना पनपने लगती है।
हिसार में दूरदर्शन के कार्यक्रमों में स्थानीय प्रतिभाओं के रोजगार के मुद्दे भी हैं। स्थानीय गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के कुछ नए पत्रकारिता स्नातक, जिन्हें दूरदर्शन हिसार में आकस्मिक नौकरी मिली, वे बाद में दिल्ली, चंडीगढ़ और अन्य स्थानों पर स्थापित समाचार चैनलों में चले गए। यह केंद्र उनके लिए ट्रेनिंग का केंद्र भी बना।
अब समय आ गया है कि राज्य सरकार दूरदर्शन हिसार को चंडीगढ़ स्थानांतरित करने से रोकने के लिए केंद्र के समक्ष मामला उठाए। इस मुद्दे पर मौजूदा आंदोलन को विपक्षी दलों, ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों का समर्थन मिल रहा है। अगर इसे लंबा खींचा गया तो यह अगले साल होने वाले लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में भी एक मुद्दा बनकर उभर सकता है।
(लेखक अजीत सिंह जनवरी 2003 में दूरदर्शन हिसार के क्षेत्रीय समाचार बुलेटिन के संस्थापक समाचार संपादक रहे हैं। बाद में वे नवंबर 2006 में हिसार से ही समाचार निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।)