गुरुजल & अभीप्सा फाउंडेशन के ‘ वी फॉर वाटर’ कार्यक्रम की शिरकत

गुरुग्राम, 11 जनवरी। गुरुग्राम के सांसद तथा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने आज गुरुग्राम जिला में गिरते भूजल स्तर पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए सभी जिला वासियों से भूजल स्तर में सुधार के लिए काम करने में सहयोग व योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह विषय ऐसा है जिसमें इच्छित लक्ष्य अकेले सरकार और जिला प्रशासन के प्रयासों से प्राप्त नहीं किया जा सकता।

केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह बुधवार शाम को गुरुग्राम की गोल्फ कोर्स रोड स्थित टू होराइजन में ‘ वी फॉर वाटर ‘ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम गुरु जल तथा अभीप्सा फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था जिसमें जिला की कई स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ गुरुग्राम के अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा तथा गुरुजल की निदेशक शुभी केसरवानी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में डॉक्यूमेंट्री तथा आंकड़ों की मदद से यह समझाने का प्रयास किया गया कि भूजल को रिचार्ज करना कितना जरूरी है।

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पानी नहीं रहने की वजह से पहले की सभ्यताएं जैसे मेसोपोटामिया, इंडस वैली सिविलाइजेशन, हड़प्पा आदि विलुप्त हो गई। उन्होंने राखीगढ़ी का उदाहरण भी दिया और कहा कि पहले बसासत नदी किनारे हुआ करती थी। उन्होंने दूसरा उदाहरण इजिप्ट अर्थात मिश्र का दिया और कहा कि मिश्र वासियों ने पानी का सदुपयोग किया तथा नील नदी के पानी को हार्वेस्ट करने में सफल रहे। इसका अच्छा परिणाम यह हुआ कि मिस्र उन्नति की राह पर समृद्ध होता चला गया। उन्होंने कहा कि हमें भी मेसोपोटामिया की नहीं अपितु इजिप्ट अर्थात मिश्र के रास्ते को अपनाना है। गुरुग्राम और रेवाड़ी क्षेत्र में पहले साहबी तथा इंदौरी नदियां बहती थी और उस समय फावड़ा मारने से भी पानी निकल आता था और उनसे जमीन में पानी रिचार्ज हो जाता था। वे नदियाँ विलुप्त हो गई और अब वही पानी का स्तर जमीन में 200 फुट से ज्यादा नीचे चला गया है।

आंकड़े देते हुए राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार प्रोजेक्शन यह है सन 2050 तक हम जमीन में एक्वेफायर में उपलब्ध पूरे पानी का इस्तेमाल कर लेंगे और हमारे पास जमीन में पानी नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि उनकी पीढ़ी के सामने तो हो सकता है पानी की दिक्कत सामने ना आए लेकिन भावी पीढ़ियों को इसका सामना करना पड़ेगा।

राव ने अपने बचपन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब वे बच्चे थे उस समय गांवों में तालाब और जोहड़ हुआ करते थे जिनमें अक्सर पशुओं के साथ बच्चे नहा लेते थे। धीरे-धीरे विकास और शहरीकरण होने से पानी का नल हमारे घर के अंदर आ गया और नल खुला चलता रहता है। उसका पानी नालियों के जरिए सीवरेज में चला जाता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का हम बहुत ज्यादा दोहन कर रहे हैं जो कि उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि जितना पानी हम जमीन में रिचार्ज के लिए डाल रहे हैं उससे 203% हम पानी जमीन से निकाल रहे हैं। राव ने कहा कि पानी का सदुपयोग यदि हम नहीं करेंगे और जमीन में पानी नहीं डालेंगे तो आने वाली पीढ़ियों पर कहर पड़ने वाला है।

इसके साथ राव इंद्रजीत सिंह ने यह भी कहा कि सरकार ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियम बनाए लेकिन कुछ लोगों ने हार्वेस्ट की पाइप लगाकर उसमें औद्योगिक केमिकल युक्त पानी डालना शुरू कर दिया जिससे पूरा भूजल प्रदूषित हो रहा है। उन्होंने कहा कि 21% बीमारियां ऐसी हैं जो प्रदूषित जल को पीने से होती है। शायद यही वजह है कि समाज में कैंसर के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उद्योगों का दूषित जल जमीन में डालने की शिकायत मिलने पर यदि सही पाई गई तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर का उपयोग जमीन से पानी निकालने के लिए करते पाए जाने पर भी कार्रवाई की जाएगी, ऐसा निर्णय आज अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिया गया है।

इस मौके पर गुरु जल की निदेशक शुभी केसरवानी ने कहा कि गुरुग्राम को पानी के मामले में सुरक्षित करने के लिए यह लोगों का अभियान है। उन्होंने कहा कि गुरु जल गुरुग्राम में पुराने तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य करके उनके पुराने स्वरूप में वापस ला रहा है। तालाब के साथ में बायोडायवर्सिटी भी विकसित होती है। कार्यक्रम में श्री राम स्कूल अरावली के कक्षा 12वीं के विद्यार्थी आदित्य ने भी पानी बचाने का संदेश दिया और कहा कि उन्हें स्कूल में वाटर बॉय के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह समुदाय में पानी बचाने के बारे में जागृति लाने का कार्य कर रहे हैं। अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने बताया कि गुरुजल शहर में 60 तालाबों का जीर्णोद्धार करने का कार्य करवा रहा है। तालाब अपने पुराने स्वरूप में आएंगे तो भूमिगत जल रिचार्ज होगा और हरियाली के साथ पशु पक्षियों को भी लाभ होगा।

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