एसवाईएल नहर मुद्दे पर केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय को दोनो राज्यों मुख्यमंत्रीयों की बैठक करके मुददे का सर्वमान्य हल निकालने सुप्रीम कोर्ट का निर्देश ही गलत व मामले को लटकाने वाला था : विद्रोही दोनो राज्यों के मुख्यमंत्रीयों की वार्ताओं व बैठकों से एसवाईएल मुद्दे का हल निकलेगा, यह एक मृगतृष्णा है और हरियाणा के हितों से धोखा है : विद्रोही 5 जनवरी 2023 – सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसवाईएल नहर पर केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रीे द्वारा बुधवार को हरियाणा व पंजाब के मुख्यमंत्रीयों की बुलाई बैठक में एकबार फिर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के हरियाणा विरोधी व सुप्रीम कोर्ट के जनवरी 2002 के आदेश विरोध रवैया अपनाने पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कठोर आलोचना की। विद्रोही ने आरोप लगाया कि पंजाब मुख्यमंत्री भगवंत मान के रवैये ने फिर साबित कर दिया है कि आप पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल व भगवंत मान हरियाणा को उसके हिस्से का नहरी पानी देने व पंजाब में अधूरी पडी एसवाईएल नहर निर्माण करवाने के प्रति जरा भी गंभीर नही है। हरियाणा में आदमपुर विधानसभा उपचुनाव से ठीक पूर्व अरविंद केजरीवाल व भगवंत मान ने एसवाईएल नहर व रावी-ब्यास के पानी पर जो हरियाणा विरोधी स्टैंड अपनी हिसार प्र्रैसवार्ता में घोषित किया था, उस पर आज भी अडिग है। सवाल उठता है कि जब पंजाब के मुख्यमंत्री और आप पार्टी खुलेआम कह रहे है कि पंजाब के पास हरियाणा को देने को पानी नही अपितु हरियाणा की यमुना नदी के माध्यम से पंजाब को ही केन्द्र सरकार व हरियाणा सरकार पानी दे तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि भगवंत मान व अरविंद केजरीवाल कितने हरियाणा विरोधी स्टैंड पर अडे हैं। विद्रोही ने कहा कि वे पहले ही दिन से कह रहे है कि एसवाईएल नहर मुद्दे पर केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय को दोनो राज्यों मुख्यमंत्रीयों की बैठक करके मुददे का सर्वमान्य हल निकालने सुप्रीम कोर्ट का निर्देश ही गलत व मामले को लटकाने वाला था। सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2002 में दिये अपने आदेश की परिपालना के लिए केन्द्र सरकार को यह कडा निर्देश देने से क्यों बच रहा है कि पंजाब में अधूरी पडी एसवाईएल नहर का निर्माण केन्द्र सरकार सेना की निगरानी में केन्द्रीय सीमा सड़क संगठन से करवाये। जब ऐसा आदेश जनवरी 2002 से मौजूद है और 21 सालों से उस आदेश की परिपालना केन्द्र सरकार नही कर रही तो इधर-उधर के निर्देश देकर समय बर्बाद करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट 21 वर्ष पूर्व दिये अपने आदेश की परिपालना का निर्देश केन्द्र को क्यों नही देता? विद्रोही ने कहा कि अब तो पंजाब के मुख्यमंत्री उल्टी गंगा बहाते हुए कह रहे है कि एसवाईएल नहर का नाम बदलकर यमुना-सतलुज लिंक नहर-वाईएसएल करके केन्द्र गंगा नदी का पानी यमुना में डाले और हरियाणा उस पानी को पंजाब को दे और खुद भी प्रयोग करे। वही पंजाब सीएम का कहना कि 2004 का पंजाब वाटर ट्रिटी टर्मिनेशन एक्ट कायम है, ऐसे स्टैंड के बाद दोनो राज्यों के मुख्यमंत्रीयों की वार्ताओं व बैठकों से एसवाईएल मुद्दे का हल निकलेगा, यह एक मृगतृष्णा है और हरियाणा के हितों से धोखा है। विद्रोही ने सुप्रीम कोर्ट से मांग कि वे इस मामले को औरे लटकाने की बजाय सेना निगरानी में एसवाईएल नहर का निर्माण केन्द्रीय सड़क सीमा संगठन से निश्चित समय सीमा में करवाने का केन्द्र सरकारे को कडा निर्देश दे। Post navigation नगर निगम की एफ एंड सीसी को दरकिनार करने वाले अफसरों को फटकार बी. वॉक करने वालों को सरकार ने दी बड़ी सौगात,तीन वर्षीय ग्रेजुएट डिग्री के बराबर मिलेगी सरकारी नौकरियों में मान्यता