संदीप सिंह ने केवल खेल विभाग छोडने की पेशकश मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से की है जबकि वे भाजपा-जजपा सरकार में प्रिन्टिंग स्टेशनरी मंत्री बने रहेंगे। विद्रोही
संदीप सिंह को मंत्री पद पर बने रहने के बाद चंडीगढ़ पुलिस निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच कर पायेगी, यह आशा मृगतृष्णा नही तो और क्या है। विद्रोही

2 जनवरी 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने जूनियर महिला कोच से छेडछाड के आरोप झेल रहे हरियाणा भाजपा सरकार के मंत्री संदीप सिंह का खेल विभाग को छोडकर स्वतंत्र-निष्पक्ष जांच की नौटंकी करवाने का दावा लोगों की आंखों में धूल झोंकने का कुप्रयास है। विद्रोही ने कहा कि संदीप सिंह ने मंत्री पद से त्याग पत्र नही दिया है जैसा कि गोदी मीडिया के कुछ न्यूज चैनल झूठा प्रचार करके देश-प्रदेश की जनता को भाजपा-संघी सरकार की शह पर गुमराह कर रहे है।

संदीप सिंह ने केवल खेल विभाग छोडने की पेशकश मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से की है जबकि वे भाजपा-जजपा सरकार में प्रिन्टिंग स्टेशनरी मंत्री बने रहेंगे। हरियाणा सरकार में मंत्री बने रहकर खेल विभाग छोडने की नौटंकी करके संदीप सिंह कौनसी नैतिकता की दुहाई दे रहे है, यह समझ से परे है। जिस मंत्री के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस थाना सैक्टर 26 में एक महिला के साथ छेडछाड़ करने, उसकी अस्मिता पर हमला करने के आरोप में गैरजमानती 354, 354ए, 354बी, 342, 506 जैसी गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज हो चुकी हो, वह व्यक्ति बिना मंत्री पद से त्याग पत्र दिये खेल विभाग छोडकर नैतिकता की दुहाई देकर लोगों को ठगे, इससे अधिक अनैतिकता और क्या हो सकती है। वर्ष 2015 में हरियाणा की धरती पर पानीपत सेे पूरे तामझाम के साथ कथित बेटी बचाओ-बेटी पढाओ अभियान शुरू करने वाले प्रधानमंत्री मोदीजी अपने अभियान के प्रति जरा भी गंभीर व ईमानदार होते तो संदीप सिंह को मंत्री पद से बर्खास्त करने का फरमान जारी कर चुके होते। प्रधानमंत्री मोदीजी व भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री मनेाहरलाल खट्टर द्वारा संदीप सिंह को मंत्री पद से हटाने का फैसला न लेने से साफ है कि वे सत्ता दुरूपयोग से तिकडमों व नौटंकियों से छेडछाड आरोपी संदीप सिंह को बचाने का कुप्रयास कर रहे है। 

विद्रोही ने सवाल किया कि संदीप सिंह को मंत्री पद पर बने रहने के बाद चंडीगढ़ पुलिस निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच कर पायेगी, यह आशा मृगतृष्णा नही तो और क्या है। चंडीगढ़ पुलिस भी उसी केन्द्रीय गृहमंत्रालय के अधीन है जो भाजपा के कब्जे में है। जब भाजपा प्रथम दृष्टया में अपने मंत्री को छेडछाड़ का आरोप ही नही मान रही है तो चंडीगढ़ पुलिस में इतना नैतिक साहस कहां है कि वह सत्तारूढ़ दल भाजपा की सोच के खिलाफ जांच कर सकेगी? संदीप सिंह पर लगाये गए छेडछाड के आरोप सही है या गलत, इसका सच तभी सामने आ सकता है जब सबसे पहले तो संदीप सिंह को हरियाणा मंत्रीमंडल से बर्खास्त किया जाये। वहीं चंडीगढ़ पुलिस की जांच निष्पक्ष-स्वतंत्र हो इसकी निगरानी की जांच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को सौंपी जाये।

विद्रोही ने कहा कि ब्लात्कार, छेडछाड़ के आरोपों में भाजपा का अपने सांसदों, विधायकों व नेताओं को सत्ता दुरूपयोग से बचाने का रिकार्ड इतना खराब है कि कोर्ट की निगरानी में जांच के बिना पीडि़त जूनियर महिला कोच को स्वतंत्र-निष्पक्ष न्याय मिलना संभव नही। ऐसी स्थिति में निष्पक्ष न्याय का तकाजा है कि भाजपा सरकार तत्काल संदीप सिंह को मंत्री पद से बर्खास्त करे व चंडीगढ़ पुलिस जांच की निगरानी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को सौंपे। 

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