महिला एथलीट कोच के यौन शोषण आरोप के बाद मंत्री संदीप सिंह को पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नही है। विद्रोही

भाजपा-संघ महिलाओं का यौन शोषण मामलों में विगत 8 सालों का रिकार्ड तो यही बताता है कि किसी भी भाजपाई, सांसद व विधायक के खिलाफ कोर्ट के हस्ताक्षेप बिना कार्रवाई होती ही नही : विद्रोही
जब तक संदीप सिंह हरियाणा सरकार में मंत्री है, तब तक इस मामले कीे स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच नही हो सकती। विद्रोही

30 दिसम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने पंचकुला में तैनात एक जूनियर महिला एथलीट कोच का खेल मंत्री संदीप सिंह पर छेड़छाड़, यौन शोषण करने का कुप्रयास का आरोप बहुत ही गंभीर मामला है, जिसकी स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से करवाई जानी चाहिए। विद्रोही ने कहा कि हालांकि खेल मंत्री संदीप सिंह खुद खिलाडी होने की दुहाई देकर इस आरोप को नकार चुके है। खेल मंत्री पर छेड़छाड़, यौन शोषण करने के कुप्रयास का आरोप लगाने वाली जूनियर एथलीट महिला कोच में कौन सही है औरे कौन गलत, इसका फैसला हरियाणा सरकार की पुलिस या भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त महिला आयोग नही कर सकता। वहीं जब तक संदीप सिंह हरियाणा सरकार में मंत्री है, तब तक भी इस मामले कीे स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच नही हो सकती।

महिलाओं का यौन शोषण करने में भाजपा-संघी, सांसदों, विधायकों, नेताओं का रिकार्ड बहुत ही खराब है। वहीं यह भी कटु सत्य है कि जिन-जिन राज्यों में भाजपा सांसदों व विधायकों ने महिलाओं का यौन शोषण किया है, सम्बन्धित भाजपा राज्य सरकारों व केन्द्र की मोदी-भाजपा सरकार ने तब तक कोई कार्रवाई नही की है जब तक हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने हस्ताक्षेप करके मुकदमा दर्ज न करवाया हो।

विद्रोही ने कहा कि भाजपा-संघ महिलाओं का यौन शोषण मामलों में विगत 8 सालों का रिकार्ड तो यही बताता है कि किसी भी भाजपाई, सांसद व विधायक के खिलाफ कोर्ट के हस्ताक्षेप बिना कार्रवाई होती ही नही। ऐसी स्थिति में यह कैसे माना जा सकता है कि हरियाणा या केन्द्र की मोदी-भाजपा सरकार मामले को दबाने की बजाय बिना कोर्ट निगरानी में इस मामले की भी स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच करवाएगी?

महिला एथलीट कोच के यौन शोषण के आरोप के बाद हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह को एक क्षण के लिए भी मंत्री पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नही है। यदि संदीप सिंह खुद पहल करके मंत्री पद से त्याग पत्र नही देते है तो शुचिता, पारदर्शिता, न्याय का तकाजा है कि मुख्यमंत्री खट्टर जी उन्हे मंत्री पद से बर्खास्त करके स्वतंत्र-निष्पक्ष न्याय का रास्ता साफ करे। वही इस मामले की जांच का जिम्मा हरियाणा सरकार पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को दे और हाईकोर्ट जैसी चाहे वैसी जांच अपनी निगरानी मेें करवाये ताकि दूध का दूध व पानी का पानी हो सके। विद्रोही ने मांग कि मुख्यमंत्री खट्टर जी ईमानदारी, शुचिता व परदर्शिता के मध्यनजर संदीप सिंह को खेल मंत्री से हटाकर महिला एथलीट कोच के आरोपों की जांच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से करवाने की पहल करे।

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