आईएमटी चौक के सामने ग्रामीणों का कई दिन से धरना जारी

पंचायत के समर्थन में डीसी और सीटीएम को सौंपा मांग पत्र

मानेसर निगम बनाते समय पंचायतों को किया नजरअंदाज

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   हाल ही में गुरुग्राम जिला परिषद के चुनाव संपन्न हुए है, इसके बाद में गुरुग्राम मानेसर नगर निगम फरीदाबाद नगर निगम और पटौदी मंडी परिषद के चुनाव होना भी प्रस्तावित है । लेकिन पटौदी विधानसभा क्षेत्र के ही औद्योगिक इलाके मानेसर को नगर निगम बनाने के साथ मानेसर सब डिवीजन की भी घोषणा सरकार के द्वारा की जा चुकी है। जैसे जैसे समय बीत रहा है, मानेसर नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न गांवों के ग्रामीणों के द्वारा मानेसर नगर निगम का विरोध करने का सिलसिला भी कड़ाके की ठंड में दिन प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है ।

मानेसर नगर निगम के विरोध को लेकर बीते कई दिनों से बैठक और विरोध प्रदर्शन का सिलसिला भी ग्रामीणों के द्वारा जारी है । कैलाश मानेसर, उमेद मानेसर, राजवीर मानेसर, रामेश्वर मानेसर, डॉ धर्मेंद्र मानेसर, श्योचंद सरपंच शिकोहपुर, विजय यादव शिकोहपुर, वीरेंदर फौजी ककरोला, विक्रम सरपंच खोह सहित आसपास के ग्रामीणों के द्वारा बीते कई दिनों से निरंतर बैठक का आयोजन कर ग्रामीणों को मानेसर नगर निगम के दायरे में शामिल होने के बाद ग्रामीणों को होने वाले विभिन्न प्रकार के नुकसान अन्य परेशानियों के विषय में लगातार जानकारी देते हुए जागरूक किया जा रहा है । पूर्व घोषणा के मुताबिक बुधवार को आईएमटी चौक के सामने मानेसर में पंचायती राज व्यवस्था को फिर से लागू किया जाने की मांग को लेकर आसपास के गांव की पंचायत का आयोजन किया गया । इसके साथ ही गुरुग्राम के डीसी , सीटीएम अन्य अधिकारियों को मांग पत्र अथवा ज्ञापन सौंपकर मांग की गई है कि मानेसर में आसपास के 28 गांव के ग्रामीणों के द्वारा मानेसर नगर निगम के स्थान पर मानेसर पंचायत व्यवस्था ही सरकार के द्वारा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए ।

धरना प्रदर्शन का आरंभ ग्रामीणों के द्वारा कड़ाके की ठंड में हवन यज्ञ के साथ में किया गया । बुधवार को मानेसर नगर निगम के विरोध में आहूत पंचायत में विभिन्न वक्ताओं के द्वारा बताया गया कि जिस समय हरियाणा सरकार के द्वारा मानेसर नगर निगम की घोषणा की गई , उस समय कोई भी पंचायत अधिकारिक रूप से कार्यरत नहीं थी । विभिन्न वक्ताओं के द्वारा कहा गया कि सरकार के द्वारा यदि मानेसर को नगर निगम ही बनाया जाना था , तो इससे पहले सरकार व अन्य एजेंसियों को घर घर जाकर आम आदमी से बातचीत करते हुए जनमत संग्रह किया जाना आवश्यक था। क्योंकि उस समय सरकार के द्वारा पंचायतों का कार्यकाल समाप्त कर दिया गया था और ऐसे में जब पंचायत ही या पंचायत प्रतिनिधि सरपंच पंच और ग्रामीणों के चुने हुए जनप्रतिनिधि ही मौजूद नहीं थे , तो फिर ऐसे में सरकार और सरकार की किस एजेंसी के द्वारा इस प्रकार से और कैसा जनमत संग्रह किया गया ? जिससे हरियाणा सरकार के द्वारा मानेसर क्षेत्र के विभिन्न ग्राम पंचायतों को मानेसर नगर निगम बनाने का फैसला ग्रामीणों पर थौंप दिया गया । पंचायत में विभिन्न वक्ताओं के द्वारा कहा गया लोकतंत्र में आम जनता की बात सुनना और उस पर अमल करना सरकार का सरकारी धर्म और नैतिक दायित्व भी बनता है । पंचायत में विभिन्न वक्ताओं के द्वारा कहा गया हैरानी इस बात को लेकर है कि क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी इस विषय में किसी भी प्रकार का सोच विचार नहीं किया गया , न हीं किसी ग्राम पंचायत से सहमति ली गई। जिससे कि मानेसर नगर निगम बनाने का सरकार के द्वारा फैसला लिया जा सके ।

इसी पंचायत के दौरान विभिन्न वक्ताओं के द्वारा बताया गया कि जितनी सुविधा और राहत पंचायती राज व्यवस्था में आम आदमी और ग्रामीणों को उपलब्ध होती है । उससे कहीं गुना अधिक नगर निगम क्षेत्र में शामिल होने के बाद लोगों को झेलने के लिए मजबूर होना पड़ता है । नगर निगम क्षेत्र में इतने प्रकार के टैक्स और अन्य प्रकार के निर्माण या अन्य कार्य से संबंधित पाबंदियां लागू कर दी जाती हैं , जिसके लिए आम आदमी और गरीब मध्यम वर्ग के लोगों के लिए इस प्रकार की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अपने जूतों की एड़ियां अधिकारियों और सरकारी दफ्तरों के सामने घिसने के लिए कई कई वर्षों तक मजबूर होना पड़ जाता है । बुधवार को आहूत महापंचायत में कहा गया कि आज की पंचायत में तो अपेक्षा अनुरूप गांव और ग्रामीण नहीं पहुंच सके , लेकिन मानेसर को एक बार फिर से पंचायती राज व्यवस्था के तहत लाने के लिए आम जनमत संग्रह करवाने के वास्ते हरियाणा सरकार पर जवाब बनाने के लिए मानेसर क्षेत्र के नगर निगम दायरे में शामिल सभी गांवों के ग्रामीणों को एकजुट होकर अपनी एकता और एकजुटता का परिचय कर आना ही होगा।

कथित रूप से महापंचायत में यहां तक कहा गया कि यदि सरकार और सरकार के चुने हुए जनप्रतिनिधि मानेसर नगर निगम को बनाए रखने की जीद पर अड़े रहते हैं तो ऐसे में फिर मानेसर नगर निगम का पूरी तरह से चुनाव बहिष्कार करने का विकल्प भी सभी ग्रामीणों खुला रखना ही होगा। जब मानेसर नगर निगम के चुनाव ही नहीं हो सकेंगे तो फिर ऐसे में सरकार के सामने और जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को लोकतंत्र में आम जनमानस की बात को सुनने के अलावा अन्य कोई विकल्प भी नहीं बचेगा । बुधवार को महापंचायत में यह फैसला भी किया गया कि जब तक सरकार मानेसर को नगर निगम के दायरे से अलग करने के लिए यहां पंचायती राज व्यवस्था लागू करने को जनमत संग्रह का आदेश नहीं देती है, तब तक ग्रामीणों के द्वारा धरना प्रदर्शन शांति पूर्वक जारी रखा जाएगा।