गुरूग्राम 25/12/22 तरविंदर सैनी (माईकल) आम आदमी पार्टी नेता ने कहा कि शहरी निकाय मुख्यमंत्री स्वामित्व योजना के तहत बीस वर्ष से अधिक समय से काबिज दुकानों के किरायेदारों को उनका मालिकाना हक देने वाली इस योजना की आड़ में हुई तथाकथित हेराफेरी मामले की जांच उन्होंने महामहिम राज्यपाल जी से सीबीआई अथवा स्टेट विजिलेंस द्वारा कराए जाने की मांग की थी ताकि गुरूग्राम की जनता को न्याय मिलने की दिशा में स्तिथियाँ स्पस्ट हो सकें !

माईकल सैनी और उनकी टीम को जिस बात का अंदेशा था वही हुआ भृस्टाचार की जांच स्टेट विजिलेंस से नहीं कराकर नगर निगम विजिलेंस से कराई गई जिसने डेढ़ माह जांच करने उपरांत यह दस पन्नों की आधी-अधूरी रिपोर्ट निगम कमिश्नर साहब को सौंप दी जब्कि सभी दस्तावेज खंगाले बगैर स्पस्ट कहा जा सकता है कि विजिलेंस रिपोर्ट अपूर्ण हैं क्योंकि अधिकांश रिकॉर्ड जेडटीओ-2 ने अभितल्क उपलब्ध ही नहीं कराए हैं जिनकी छानबीन के बगैर मामले की तह तक पहुंचा ही नहीं जा सकता है ।

करोड़ों रुपए की हेराफेरी के इस मामले में सर्वप्रथम आरोपियों को गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ करनी चाहिए थी उनकी संपत्तियों की जांच होनी चाहिए थी परन्तु उन्हें खुला घूमने के छोड़ रखा है जिससे संदेह तो सम्बंधित रिकॉर्डस को खुर्द-बुर्द व नष्ट करने का भी है मगर शाशन-प्रशासन इतने संजीदा मामले पर भी असंवेदनशील नजर आ रहा है अन्यथा इन्हें कभी का गिरफ्तार कर वसूली भी कर ली गई रहती यदि सरकार चाहे तो अभी भी गिरफ्तार कर सकती है चूंकि अब जो रिपोर्ट पेश की गई है वह किसी आमजन ने नहीं बल्कि एमसीजी विजिलेंस विंग की रिपोर्ट है ।

सैनी आगे कहते हैं कि नगर निगम की जमीनों के साथ जिला परिषद की दुकानों की भी रजिस्ट्रियां निगम अधिकारियों ने करा दी है और भी अनेकों अनिमित्ताएँ बरती गई जिनकी जांच की मांग पिछले छ महीनों से की जा रही है परन्तु निगम कमिश्नर साहब ने डेढ़ माह पहले ही यह जांच आरंभ कराई फिर भी जिसने करीब सौ दुकानों के मामले में गड़बड़ी पाई और यदि सभी हो चुकी रजिस्ट्रियों की भी गहनता से छानबीन हो गई रहती तो अनेकों खामियां मिल सकती थी जिसे स्टेट विजिलेंस ही कर सकती है एमसीजी की विजिलेंस विंग से ऐसी उम्मीद करना बेमानी है जिनसे जेडटीओ-2 ऑफिस से ही रिकॉर्ड नहीं मंगवाए जा सके ।

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