चरखी दादरी जयवीर फौगाट,

22 दिसंबर, प्रदेश के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रणसिंह मान ने बाढ़डा नगरपालिका भंग होने के बाद स्थानीय नेताओं द्वारा श्रेय लेने की होड़ पर आपत्ति जताते हुए सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा कि यह कैसा अभिनन्दन है जहां मुख्यमंत्री के स्पष्ट आदेश के बाद भी अधिकारियों ने बाढड़ा व हंसावास खुर्द की पचांयत बहाली की गलत व मनमानी रिपोर्ट तैयार की तथा लोगों को विरोधस्वरूप 73 दिन धरने पर बैठना पड़ा। इस दौरान राज में बैठे लोग केवल हवा में तीर चलाते रहे पर लोग अपनी माँग पर अडिग रहे तथा अपना धरना जारी रखा। अन्तत: लोगों के सतत संघर्ष की बदौलत सरकार की नीन्द टूटी व जनमत संग्रह करवाना पड़ा जिसमें जन भावना की जीत हुई।

उन्होंने कहा कि सच पूछें तो अभिनन्दन के असल पात्र तो वे लोग हैं जो जनमत संग्रह की मांग माने जाने तक धरने पर डटे रहे। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के स्थानीय बाहुबलियों की पोल तो तभी खुल गई थी जब सीएम ने इनमें से किसी को भी सरकारी निर्णय की भनक तक नहीं लगने दी व कृषि मन्त्री जे पी दलाल को धरणा स्थल पर भेज जनमत संग्रह का ऐलान करने भेज दिया। तत्पश्चात 2 दिसम्बर को जनमत संग्रह हुआ जिसमें 96.5 प्रतिशत ने पंचायत बहाली के पक्ष में मत डाले। सरकार ने इस आशय का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया जो स्वागत योग्य है।

मान ने सरकार को कठघरे में खड़े करते हुए कहा कि अभी तक उन अधिकारियों पर सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की जिन्होंने सर्वे को लेकर फर्जी रिपोर्ट तैयार की जिसके कारण लोगों को लंबे समय तक धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा।

उन्होंने कहा कि यह कैसा खेल है कि पहले गलत फैसला लो, फिर जनता के दबाव में पलटी मारो और तत्पश्चात झूठा श्रेय लेने की होड़ मचाओ। उन्होंने कहा कि अलबत्ता सरकार से जुड़े लोगों को जनता को हुई असुविधा के साथ धन और समय की बर्बादी के लिये माफी माँगनी चाहिये।

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