गुरुग्राम, 21 दिसंबर 2022 – सलवान पब्लिक स्कूल गुरुग्राम में “करुणा और धर्मनिरपेक्ष नैतिकता: मन और मस्तिष्क को शिक्षित करने” विषय पर युवा मस्तिष्क के साथ संवाद स्थापित करने हेतु नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित परम पावन,चौदहवें दलाई लामा जी का आगमन विद्यालय में हुआ ।

सलवान एजुकेशन ट्रस्ट भारतीय संस्कृति, सहिष्णुता और मूल्य-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देते हुए वैश्विक चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने में दृढ़ विश्वास रखता है । यह भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली में आंतरिक शांति को बढ़ावा देने, मानवीय मूल्यों को विकसित करने और करुणा और अहिंसा को एक विषय के रूप में शामिल करने के परम पावन दलाई लामा जी के दर्शन के साथ सामंजस्य स्थापित करता है । परम पावन की तरह, सलवान एजुकेशन ट्रस्ट भी आश्वस्त है कि संवेदनाओं की समृद्ध प्राचीन भारतीय समझ, साथ ही भारतीय परंपराओं द्वारा विकसित ध्यान-योग जैसे मानसिक प्रशिक्षण की तकनीकें विश्व के लिए आज अत्यंत प्रासंगिक हैं । धर्मनिरपेक्ष एवं शैक्षणिक दृष्टिकोण से देखे जाने वाले भारत के प्राचीन ज्ञान को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ा जा सकता है जो वैश्विक सामंजस्य और नैतिक मूल्यों पर आधारित हो।

सत्र का आरंभ परम पावन दलाई लामा जी के द्वारा दीप प्रज्वलन एवं तिब्बती बौद्ध धर्म के मूल मंत्र (अवलोकितेश्वर करुणा के बोधिसत्त्व) ‘ॐ मणिपद्मे हुम्’ के उच्चारण के साथ हुआ । इस अवसर पर चेयरमैन एमेरिटस श्री शिवदत्त सलवान जी, ट्रस्ट के चेयरमैन श्री सुशील दत्त सलवान, एम सी, व पी. टी. आर सदस्य, सिस्टर स्कूल के प्रिंसिपलस्, दिल्ली एन सी आर के विद्यालयों के प्रिंसिपल्स, डायरेक्टर मेजर जनरल संजय अग्रवाल, विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती रश्मि मलिक, अभिभावक गण एवं 61 विद्यालयों के विद्यार्थी और शिक्षक उपस्थित थे।

ट्रस्ट के चेयरमैन श्री सुशील दत्त सलवान जी ने दलाई लामा जी का अभिवादन करते हुए कहा कि आज उनके आगमन पर सभी विद्यार्थी नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण शिक्षा का महत्व समझ पाएंगे, भारतीय जीवन मूल्यों को अपने जीवन में एकाकार करेंगे। उन्होंने ‘दलाई लामा स्पिरिचुअल लर्निंग सेंटर’ खोलने का विचार भी प्रकट करते हुए ‘मैं से हम’ की भावना को अपनाने पर बल दिया।

परम पावन दलाई लामा जी ने ‘भाइयों और बहनों’ से उद्बोधन करते हुए विद्यार्थियों से इस पवित्र धरती को एक शांति और बंधुत्व से पूर्ण बनाने के लिए उनका आह्वान किया। इस विश्व में प्रेम की आवश्यकता है युद्ध की नहीं, यह कहते हुए ,उन्होंने विद्यार्थियों को करुणा, दया, सत्य और अहिंसा आदि भावनाओं को ग्रहण करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा की जड़ें बहुत गहरी हैं और इस देश के हर बच्चे को पाश्चात्य शिक्षा के साथ- साथ पारंपरिक भारतीय शिक्षा को भी ग्रहण करना चाहिए। ‘करुणा’ पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि करुणा ही हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करती है। करुणा और अहिंसा का साथ निभाते हुए ही हमें मानसिक संतोष की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और सभी की शिक्षाओं का मान रखते हुए सत्य, अहिंसा और करुणा का पालन करते हैं।

विद्यालय में उनकी पावन उपस्थिति की मधुर स्मृति के रूप में विद्यालय के प्रवेश द्वार पर पारिजात के पौधे का रोपण भी किया गया।

अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए विद्यार्थियों ने परम पावन दलाईलामा जी से प्रश्न पूछे एवं उन्होंने ने भी उत्साह और प्रेम के साथ उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया ।

परम पावन के आगमन से पूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिसमें सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका ‘ऐक्यम’ तथा विद्यालय के कॉयर ग्रूप की संगीत प्रस्तुति दी गई।

प्रधानाचार्या श्रीमती रश्मि मालिक जी ने कार्यक्रम के अंत में परम पावन जी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा को पाठ्यक्रम का अंग बताते हुए उन्होंने भारतीय पारंपरिक शिक्षा की ओर मुड़कर देखने पर भी ज़ोर दिया। प्रधानाचार्या रश्मि मालिक जी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी 61 विद्यालयों के विद्यार्थियों और अध्यापक- अध्यापिकाओं का धन्यवाद कहा तथा सभी तक परम पावन दलाई लामा जी का आशीर्वाद पहुंचाया।

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