हाईकोर्ट ने की टिप्पणी: स्कूल छोडऩे का प्रमाण पत्र और विस्तृत अंक तालिका न देना स्कूल का अवैध और अनुचित कार्य
-महिला ने सीएम विंडो में दी थी शिकायत, जांच में भी बताया था अनुचित, फिर भी नहीं हुई थी कोई कार्रवाई
-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की मदद से हाईकोर्ट पहुंचा मामला, कोर्ट ने 21 दिसंबर तक शिक्षा निदेशालय से मांगा जवाब

भिवानी, 13 दिसंबर। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने भिवानी के एक निजी स्कूल द्वारा दो बच्चों की फीस के नाम पर 10 लाख रुपये बकाया दिखाए जाने के मामले की सुनवाई करते हुए सीनियर सेकेंडरी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व निदेशक को नोटिस कर जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने इस मामले में गंभीर टिप्पणी भी की है। जिसमें कहा गया कि निजी स्कूल द्वारा बच्चों के स्कूल छोडऩे के प्रमाण पत्र व विस्तृत अंक तालिका न देना अवैध और अनुचित कार्य किया है। अभी तक स्कूल के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई की गई है न ही संबंधित दस्तावेज जारी किए गए हैं। हाई कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय से इस संबंध में नोटिस जारी करते हुए 21 दिसंबर तक जवाब मांगा है। 

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि भिवानी के हालुवास गेट क्षेत्र वासी महिला कृष्णा  उनके संगठन के समक्ष शिकायत लेकर आई थी। जिसमें उसने बताया था कि भिवानी के कोंट रोड स्थित जुगलाल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उसके दो लडक़े दसवीं और 12वीं कक्षा में पढ़ते हैं। निजी स्कूल संचालक ने उसके बच्चों के विस्तत अंक तालिका देने व स्कूल छोडऩे का प्रमाण पत्र देने के नाम पर 10 लाख रुपये बकाया फीस दर्शाये हैं। महिला ने इस संबंध में सीएम विंडो में शिकायत दी। जिसके बाद विभाग ने उसकी दो स्कूल प्राचार्यों से जांच कराई। जांच में भी निजी स्कूल द्वारा बच्चों के अभिभावक से 10 लाख रुपये मांगा जाना अनुचित करार दिया था। लेकिन इस जांच के बाद भी शिक्षा विभाग ने न तो बच्चों के दस्तावेज दिलाए न निजी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई की।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि पीडि़त महिला शिकायत लेकर आई तो संगठन के अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका लगाई। जिस पर सुनवाई करते हुए आठ दिसंबर को हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी के साथ शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व निदेशक को नोटिस जारी करते हुए 21 दिसंबर तक मामले में जवाब तलब किया है। 

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