बजट सत्र में संसद पर होगा सामूहिक धरना…….. मांगे न मानने पर होगी देशव्यापी हड़ताल,

हांसी ,8 दिसंबर। मनमोहन शर्मा

पुरानी पेंशन बहाली व अनुबंध कर्मचारियों की रेगुलराइजेशन आदि 7 सुत्रीय मांगों को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। यह ऐलान बृहस्पतिवार को ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन और कनफरडेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के तालकटोरा स्टेडियम नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन में किया गया। सम्मेलन में देश भर से दोनों संगठनों के पांच हजार से ज्यादा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा व कनफरडेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवींद्रन नायर ने संयुक्त रूप से की। सम्मेलन का उद्घाटन सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियन की राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर के हेमलता ने किया। उन्होंने कर्मियों की मांगों और घोषित आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने कर्मियों को 5 अप्रैल को नई दिल्ली में होने वाली किसान मजदूर रैली का भी निमंत्रण दिया।

आंदोलन का किया गया ऐलान 

सम्मेलन मे लिए गए आंदोलन के निर्णय की जानकारी देते हुए ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केन्द्र सरकार के कर्मचारी विरोधी रवैए के खिलाफ आगामी  बजट सत्र में केन्द्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी संसद पर सामूहिक धरना देंगे। इसकी तैयारियों को लेकर दिसंबर महीने में सभी राज्यों में  राज्यस्तरीय संयुक्त सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जनवरी व फरवरी महीने में देश के सभी जिलों में जिला सम्मेलन किए जाएंगे और मार्च व अप्रैल में तहसील व ताल्लुक स्तर पर कर्मचारी सम्मेलन किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जुलाई व अगस्त महीने में देश के चारों कोनों से सैकड़ों वाहन जत्थे चलाएं जाएंग। सभी वाहन जत्थे सभी शहरों व कस्बों से होते हुए सितम्बर,2023 में ससंद पर पहुंचेंगे और नई दिल्ली में विशाल रैली की जाएगी। रैली में देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में बैंक, बीमा, रेलवे व पीएसयू के कर्मचारियों को भी शामिल करने के गंभीर प्रयास करने का फैसला किया गया है।

दोनों संगठनों के महासचिव ए.श्री कुमार व आर एन पाराशर ने आंदोलन का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि केंद्र एवं अधिकतर राज्य सरकारें कर्मचारियों की लंबित मांगों का समाधान करने को लेकर गंभीर नहीं है। स्थाई प्रकृति के काम पर भी ठेके पर कर्मियों को तैनात किया जा रहा है। जहां उनका आर्थिक शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश भर में चलाए जा रहे निरंतर संधर्षो के बावजूद केन्द्र सरकार पीएफआरडीए एक्ट को रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग को मानने को तैयार नहीं है। बड़े पूंजीपतियों को लाखों करोड़ रुपए टैक्स में छूट दी जा रही है और उनके कर्जों को माफ किया जा रहा है। लेकिन सरकार 18 महीने के बकाया डीए का भुगतान करने को तैयार नहीं है। सरकारी विभागों और पीएसयू को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। जिसको लेकर कर्मचारियों को आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

आंदोलन की मांगे निम्न हैं

पीएफआरडीए एक्ट रद्द करो, पुरानी पेंशन बहाल करने, सभी ठेका, आउटसोर्स व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को पक्का करने, पक्का होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने, केन्द्र एवं राज्य सरकार तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में खाली पड़े करीब 60 लाख पदों को पक्की भर्ती से भर बेरोजगारों को रोजगार देने, सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निगमीकरण व निजीकरण पर रोक लगाने, आठवें वेतन आयोग का गठन करने,18 महीने के बकाया डीए का भुगतान करने, ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों को सुनिश्चित करने,एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाकर मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी देना आदि है।

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