हरियाणा की जिला परिषदों और पंचायत /ब्लॉक समितियों के नवनिर्वाचित सदस्यों के निर्वाचन प्रमाण -पत्र में उनके राजनीतिक दल का नहीं किया गया है उल्लेख चंडीगढ़ – रविवार 27 नवम्बर हरियाणा में सभी 22 जिलों की जिला परिषदों और उनके अंतर्गत पड़ने वाली पंचायत/ब्लॉक समितियों के सदस्यों के निर्वाचन हेतु प्रदेश में गत माह अक्टूबर से कुल तीन चरणों में करवाए गये मतदान हेतु मतगणना संपन्न हुई जिसमें विभिन्न जिलों में सम्बंधित जिला परिषद एवं पंचायत/ब्लॉक समितियों के वार्डों में सत्तारूढ़ भाजपा- जजपा और विपक्षी इनेलो और आम आदमी पार्टी(आप) आदि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा उनके चुनाव-चिन्हो पर चुनावी मैदान में उतारे गये प्रत्याशी चुनाव जीतकर सदस्य पद पर निर्वाचित हुए हैं. कांग्रेस पार्टी ने हालांकि इन चुनावों में उसके चुनाव चिन्ह हाथ/पंजे पर उम्मीदवार नहीं उतारे थे. इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण कानूनी जानकारी देते हुए बताया कि बेशक मतगणना के बाद निर्दलीयों के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा उनके पार्टी सिम्बल्स पर उतारे गये उम्मीदवार भी सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुए हैं जो आगामी एक-डेढ़ माह में नव-निर्वाचित समिति/परिषद की बुलाई जाने वाली पहली बैठक में अपने में से ही पंचायत/ब्लॉक समिति के चेयरमैन और वाईस-चेयरमैन और जिला परिषद के प्रेजिडेंट और वाईस-प्रेजिडेंट का चुनाव करेंगे परन्तु आधिकारिक तौर पर देखा जाए तो इन चुनावो में किसी भी राजनीतिक दल से एक भी प्रत्याशी सदस्य के तौर पर निर्वाचित नहीं हुआ है क्योंकि विजयी उम्मीदवारों को सम्बंधित रिटर्निंग ऑफिसर -आर.ओ. (निर्वाचन अधिकारी ) द्वारा प्रदान किये गये निर्वाचन प्रमाण पत्र (इलेक्शन सर्टिफिकेट ) मे न तो यह उल्लेख है कि अमुक उम्मीदवार फ़लाह फ़लाह राजनीतिक दल/पार्टी से सदस्य निर्वाचित हुआ है अथवा न ऐसा दर्शाया गया है कि वह निर्दलीय के तौर पर निर्वाचित हुआ है . हेमंत ने बताया कि हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं के चारों पदों जिनका प्रत्यक्ष चुनाव होता है अर्थात पंच, सरपंच, सदस्य पंचायत/ब्लाक समिति और सदस्य, जिला परिषद हेतु निर्वाचन प्रमाण पत्र फॉर्म 21 ए के प्रोफ़ोर्मा में जारी कर विजयी उम्मीदवार को सम्बंधित आर.ओ. द्वारा प्रदान किया जाता है. यह फॉर्म हरियाणा पंचायती राज निर्वाचन नियमावली, 1994 के अंतर्गत राज्य सरकार के विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा बनाया गया है जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग अपने स्तर पर कोई संशोधन नहीं कर सकता है. अब यह देखने लायक होगा कि आगामी कुछ दिनों में जब राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सभी 22 जिलों की जिला परिषदों और उनके अंतर्गत पड़ने वाली पंचायत/ब्लॉक समितियों के निर्वाचित सदस्यों के नामों की नोटिफिकेशन जारी की जायेगी तो क्या उसमें उनके नामो के साथ उनके सम्बंधित राजनीतिक दल/पार्टी के नाम का उल्लेख किया जाता है अथवा नहीं क्योंकि निर्वाचन प्रमाण पत्र पर ऐसा उल्लेख नहीं है. हेमंत ने आगे बताय कि प्रदेश विधानसभा द्वारा बनाये गए हरियाणा पंचायती राज कानून, 1994 और इस कानून के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गए हरियाणा पंचायती राज निर्वाचन नियमावली, 1994 के मौजूदा प्रावधानों अनुसार राजनीतिक दलों के सिम्बल्स (चुनाव चिन्हों ) पर प्रदेश में उपरोक्त चुनाव करवाए ही नहीं जा सकते हैं. मार्च, 2014 में हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा बनाया गया हरियाणा पंचायती राज चुनाव चुनाव-चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन) आदेश, 2014 जिसमें मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों, क्षेत्रीय दलों का उल्लेख है. उसमें कांग्रेस, भाजपा सहित आठ राष्ट्रीय दलों और हरियाणा में दो क्षेत्रीय दलों इनेलो और जजपा का उल्लेख है. तीन माह पूर्व अगस्त, 2022 में आयोग ने उक्त चुनाव चिन्ह आबंटन आदेश में संशोधन कर उसमें हरियाणा प्रदेश में न्यूनतम एक वर्ष से रजिस्टर्ड परन्तु गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भी शामिल किया गया है जिनके उम्मीदवारों को एक समान चुनाव चिन्ह आरक्षित किया जा सकता है. बहरहाल, हेमंत ने बताया कि जब तक प्रदेश विधानसभा द्वारा हरियाणा के पंचायती राज कानून में राजनीतिक दलों का उल्लेख और राजनीतिक दलों के पार्टी सिम्बल्स पर चुनाव करवाने बारे स्पष्ट उल्लेख / प्रावधान नहीं डाला जाता, तब तक राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा स्वयं उनके स्तर पर बनाए गए चुनाव -चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन ) आदेश मात्र से उम्मीदवारों को पार्टी सिम्बल्स आबंटित करके उपरोक्त चुनाव करवाना हरियाणा पंचायती राज कानून और उसके अंतर्गत बने निर्वाचन नियमों दोनों के विरूद्ध है. हेमंत का कानूनी मत है कि बेशक देश के संविधान के अनुच्छेद 243 (के) में आयोग के पास पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन एवं नियंत्रण का अधिकार है परन्तु आयोग को यह भी समझना चाहिए कि इस अनुच्छेद में यह भी उल्लेख है कि आयोग प्रदेश विधानसभा द्वारा बनाए कानून के प्रावधानों अनुसार ही चुनाव करवा सकता है. हरियाणा पंचायती राज कानून की धारा 212 और हरियाणा पंचायती राज निर्वाचन नियमों के नियम 33 , जिसके अंतर्गत आयोग द्वारा उसे प्रदान शक्तियों का प्रयोग कर मौजूदा लागू 2014 का चुनाव चिन्ह आबंटन आदेश बनाया गया, उक्त प्रावधानों में राजनीतिक दलों और पार्टी सिम्बल्स का नहीं बल्कि केवल सिम्बल्स का उल्लेख है. इस प्रकार मौजूदा कानूनी व्यवस्था अनुसार हरियाणा निर्वाचन आयोग पंचायती चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को आयोग द्वारा बनाई गयी फ्री सिम्बल्स (मुक्त चुनाव चिन्ह ) की सूची में से ही चुनाव चिन्ह आबंटित कर चुनाव करवाने हेतु सक्षम हैं. वैसे भी हेमंत का तर्क है कि पंचायती राज कानून में दल-बदल विरोधी प्रावधान डाले बगैर राजनीतिक दलों के पार्टी सिम्बल्स पर चुनाव करवाने का कोई औचित्य नहीं बनता और ऐसा करना मतदाताओं के जनादेश के साथ एक प्रकार का मजाक ही है क्योंकि इसके बगैर चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधि जिस पार्टी सिंबल पर चुनाव में विजयी हुआ है, उसे छोड़कर किसी भी अन्य दल/पार्टी में बे-रोक-टोक जा सकता है अर्थात पाला/खेमा बदल सकता है. ऐसा करने से उनकी सदस्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यहीं नहीं राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनाव चिन्ह आबंटन आदेश दल-बदलुओं पर नकेल कसने में विफल है क्योंकि उसकी कानूनी मान्यता नहीं है. 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