कमलेश भारतीय

पंजाब विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन केंद्र के छात्र हर्षवीर सिह को गैंगस्टरों के सम्पर्क में रहने और उन्हें फंडिंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है । पुलिस सूत्रों के अनुसार चार पांच बार हर्षवर्धन के बैंक खाते से गैंगस्टरों को ट्रांजेक्शन होने की पुष्टि होने के बाद गिरफ्तार किया गया है । इसकी जानकारी मिलती ही हर्षवीर की पंजाब के संगरूर जिले के भवानीगढ में रह रही मां ने कहा कि हमने तो बेटे को चंडीगढ़ पढ़ने भेजा था , पता नहीं चला कि वह वहां क्या गलत कर रहा है ! दूसरी ओर हर्षवीर विदेश में रह रहे लखविंद्र , गोल्डी बराड़ और लारेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टरों के साथ जुड़ा हुआ था ।

इस तरह कहां गांधी अध्ययन और कहां गैंगस्टरों के साथ सम्पर्क ! सन् 1990 में अपने समाचारपत्र की ओर से मुझे सात साल पंजाब विश्वविद्यालय की कवरेज का अवसर मिला था और उसकी शुरूआत हर विभाग की जानकारी के साथ की थी । तब मैंने गांधी अध्ययन केंद्र में दूर दूर राज्यों से आये छात्रों से पूछा था कि आपकी गांधी में इतनी दिलचस्पी कैसे ? जवाब बहुत रोचक – हमें गांधी में नहीं , गांधी के नाम पर इस विश्वविद्यालय में एडमिशन आसानी से मिल गया । हाॅस्टल की सुविधा भी और आईएएस की तैयारी आराम से करने के लिए कोचिंग लेने का सुनहरा अवसर भी ! गांधी के नाम पर सुविधायें मिल रही हैं । यह क्या कम है ? यह था कमाल का तर्क और मेरी खोज । आज हर्षवीर सिंह का गैंगस्टर से सम्पर्क जानकर लगा कि इस अध्ययन केंद्र का सच कितना बदल गया है ! अब यहां आईएएस बनने के लिये नहीं गैंगस्टर से सम्पर्क के लिए छात्रों को उपयोग किया जा रहा है । ध्यान रहे कि लारेंस बिश्नोई भी पंजाब विश्वविद्यालय का ही पूर्व छात्र है और वह भी यहीं पढ़ते हुए गैगस्टरों के सम्पर्क में आया था और आजकल तो पंजाब पुलिस की गिरफ्त में है जबकि लगविंद्र और गोल्डी बराड कनाडा में रह रहे हैं !

हर्षवीर के गैंगस्टरों से कनेक्शन से छात्र और राजनीति ही नहीं अपराध की दुनिया में भी कदम रख देने के खतरे सामने आये हैं ! मां ने ठीक ही कहा कि हमने तो पढ़ने भेजा था , कैसे और कब गैंगस्टरों के साथ इसके तार जुड़ गये , कुछ पता नहीं ! छात्रों का उपयोग राजनीति के बाद गैंगस्टर कर रहे हैं और जाने अनजाने कब मासूम छात्र इनके जाल में फंस जाते हैं , इसका अंदाजा वे भी लगा नहीं पाते ! यह जरूर लगा है कि गांधी अध्ययन केंद्र में एडमिशन को इतना सरल न रखा जाये जिससे कि बिना गांधी में कोई श्रद्धा या गंभीरता के यहां एडमिशन मिल जाये ! गांधी एक विचार हैं और गांधी हमारे देश को दिशा देने वाले और उनके नाम पर बने केंद्र से ऐसे छात्र को एडमिशन मिल जाना ! बहुत ही दुखद । बहुत विचारणीय ! गांधी के नाम पर बने अन्य केंद्रों की जांच भी होनी चाहिए । गांधी को गंभीरता से लेने वाले छात्र ही इसमें प्रवेश कर पायें ! हर्षवीर जैसे छात्र तो प्रवेश परीक्षा में ही बाहर हो जाने चाहिएं !

हे राम
गांधी तेरे नाम पर कैसे कैसे काम !
-पूर्व उपाध्यक्ष,हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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