बदलते परिवेश में पत्रकारिता कार्य में आ गए क्रांतिकारी बदलाव

पत्रकारों के सम्मानजनक जीवन व सुरक्षा के लिए बने कड़े कानून

पत्रकार वास्तव में समाज और सरकार के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी

फतह सिंह उजाला

सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल  चौधरी

गुरुग्राम ।   जिस तेजी से सूचना के आदान-प्रदान में बदलाव आया है , उसे देखते हुए आज के समय में पत्रकारिता में भी प्रतियोगी दौर साफ महसूस किया जा रहा है। लेकिन यह पत्रकार द्वारा घटना या समाचार संकलन पर निर्भर करता है कि, उसके द्वारा लोगों के सामने लाई गई जानकारी या सूचना कितनी विश्वसनीय है । सही मायने में आज के समय में पत्रकारिता करना बहुत ही जोखिम और चुनौतीपूर्ण कार्य बन चुका है । यह बात गुरुग्राम जिला परिषद प्रमुख पद के लिए दावेदार उम्मीदवार रही सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल़ चौधरी ने राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष पर सभी पत्रकारों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहीं । गौरतलब है कि पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी की पुत्री सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट पर्ल  चौधरी हाल ही में गुरुग्राम जिला परिषद प्रमुख पद के लिए अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित महिला वार्ड नंबर 9 से दावेदार उम्मीदवार रही हैं ।

पत्रकारिता दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल  चौधरी ने कहा हरियाणा सरकार के द्वारा पत्रकारों के हित में देश भर में सबसे अधिक योजनाएं लागू कर उनका लाभ उपलब्ध करवाया जा रहा है । उन्होंने कहा हरियाणा सरकार संभवत देश की पहली ऐसी राज्य सरकार है, जिसके द्वारा 60 वर्ष की आयु से अधिक के कार्य करने वाले पत्रकारों जोकि सरकार के द्वारा निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरने में सफल रहे हो रहे हैं , ऐसे सभी पत्रकारों को सम्मानजनक मासिक पेंशन का भी भुगतान किया जा रहा है । इसी कड़ी में उन्होंने कहा पत्रकार वास्तव में समाज का ही प्रतिनिधित्व होते हैं और समाज का ही अभिन्न अंग भी हैं । पत्रकार समाज और सरकार के बीच की वह महत्वपूर्ण कड़ी है जोकि समाज के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के सामाजिक विरोधी कार्यों के साथ-साथ सरकार के लिए कहीं न कहीं किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने वाले कार्य या फिर किसी भी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में पाई जाने वाली खामियों को किसी न किसी प्रकार प्रतिकूल हालात में भी जोखिम उठाते हुए शासन प्रशासन और सरकार के संज्ञान में लाने का जोखिम उठाते आ रहे हैं। ऐसे मामलों में कई बार पत्रकारों को भी निशाना बनाया जाने की घटनाएं सामने आना वास्तव में बेहद चिंताजनक और विचारणीय प्रसंग माना जा सकता है ।

उन्होंने कहा कई बार पत्रकार समाज हित में काम करते हुए ऐसे मामलों को भी सरकार सहित न्यायपालिका के संज्ञान में भी लाने का कार्य करते हैं, जिन कार्यों को करने वाले समाज और सरकारी विरोधी तत्व नहीं चाहते है कि संबंधित प्रोजेक्ट की खामियां या गड़बड़ी सार्वजनिक न हो । देश में एक नहीं अनेक उदाहरण ऐसे भी हैं जब पत्रकारों के द्वारा लिखे गए समाचार या फिर खबरों पर न्यायपालिका के द्वारा भी पहल करते हुए संज्ञान लिया गया और लिया अभी जा रहा है । कुछ राज्य सरकारों के द्वारा पत्रकारों के हित की सुरक्षा में बेहद सख्त और कठोर कानून भी बनाए गए हैं। जिससे कि पत्रकारों को निष्पक्ष और निर्भीक होकर काम करने का और अधिक हौसला प्राप्त हो रहा है । लेकिन यह बात कहने में भी कोई गुरेज नहीं है कि आज के दौर में अधिकांश मीडिया हाउस के द्वारा पत्रकारों को कथित रूप से ठेके पर रखकर काम करवाया जा रहा है , जिसके कारण पत्रकार भी कहीं ना कहीं जाने अनजाने दबाव में रहकर काम करने को विवश हो जाते हैं । कहने को तो मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है , लेकिन जिस प्रकार से देश और दुनिया में नियमित अंतराल पर पत्रकारों पर हमले सहित हत्या की खबरें सामने आती हैं , उसे देखते हुए यह बात कहने में कतई भी संकोच नहीं है कि पत्रकारों पर भी इस बात के लिए भरपूर दबाव बनाया जाता है कि जो भी अनुचित या गलत काम हो रहे हैं इस प्रकार के कार्यों को नजरअंदाज कर दिया जाए ।

उन्होंने पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष पर सभी पत्रकारों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पत्रकार अपना कार्य ईमानदारी से करते रहें । जब जो भी घटना या मामला हो , वह ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार एक दर्पण में छवि को देखा जा सकता है , उसी अंदाज में शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे तो पत्रकार भी एक दर्पण के समान ही समाज में अपनी छवि को और बेहतर बनाने में सक्षम साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा आज भी अपनी कलम और लेखनी के प्रति पूरी तरह से समर्पित और निष्ठावान पत्रकारों की कोई कमी नहीं।  जब पत्रकार समाज का प्रतिनिधि बनकर समाज की बात को बेबाक तरीके से शासन, प्रशासन और सरकार तक  पहुंचाएंगे तो फिर समाज शासन प्रशासन सहित सरकार के बीच में भी ऐसे पत्रकारों का विश्वास मजबूत होने के साथ मान सम्मान भी बरकरार रहेगा । पत्रकारों के लिए सही मायने में सबसे बड़ा पुरस्कार और सम्मान वह है , जो समाज के द्वारा पत्रकारों के ऊपर विश्वास और भरोसा किया जा रहा है । उन्होंने याद दिलाया एक नहीं अनेक ऐसे मामले हैं, जब आम आदमी से लेकर न्यायपालिका के पदासीन पदाधिकारियों को भी अपनी अपनी बात कहने के लिए पत्रकारों या मीडिया का ही सहारा लेना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट पर्ल चौधरी ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा पत्रकारों की सामाजिक आर्थिक व अन्य प्रकार की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए दीर्घकालिक नीति बनाई जाने की जरूरत है और इस नीति या योजना को ईमानदारी के साथ में पत्रकारों के हित में लागू भी किया जाना चाहिए। 

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