खेड़की दौला पर बीती 4 फरवरी से लगातार जारी है धरना-प्रदर्शन

संयुक्त अहीर रेजीमेंट मोर्चा के द्वारा बनाई गई फुल प्रूफ रणनीति

50 हजार से एक लाख लोगों के 18 नवंबर को पहुंचने का दावा

मंगलवार को विभिन्न पांच स्थानों पर बैठक करके जुटाया समर्थन

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम । भारतीय सेना और सेना के युद्ध के इतिहास में सबसे अधिक सैनिक संख्या सहित शहादत के मामले को देखा जाए तो अहीरवाल क्षेत्र का नाम आज भी गर्व के साथ लिया जाता रहा है । अहीरवाल क्षेत्र के रणबांकुरे द्वारा देश हित में दी गई कुर्बानी और विभिन्न युद्ध में दुश्मन देशों को शिकस्त देने को देखते हुए सेना में अहीरवाल रेजीमेंट की मांग एक बार फिर से गरम हो गई है । हालांकि संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के द्वारा दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर खेड़की दौला टोल प्लाजा के पास बीती 4 फरवरी से लगातार अपना धरना प्रदर्शन जारी है ।

इसी कड़ी में मंगलवार को संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा से जुड़े हुए विभिन्न प्रमुख लोगों और आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रबुद्ध नागरिकों के नेतृत्व में विभिन्न पांच स्थानों पर अलग-अलग बैठक कर 18 नवंबर को अधिक से अधिक संख्या में अपना अपना हुक्का और 1-1 खाट लेकर पहुंचने का आह्वान किया गया। मंगलवार को मानेसर में कैलाश के नेतृत्व में बैठक का आयोजन किया गया। शिकोहपुर में श्योचंद, नाहरपुर में धर्मवीर , नखरोला में कंवरलाल और खोह मैं विक्रम के नेतृत्व में अहीर रेजिमेंट कि समर्थन के संदर्भ में बैठक का आयोजन कर जन समर्थन जुटाया गया। इस संदर्भ में संयुक्त अहिर रेजीमेंट मोर्चा से जुड़े और आंदोलन में सक्रिय भूमिका अदा करने वाले लोगों के मुताबिक मंगलवार को यह संकल्प किया गया है कि 18 नवंबर को केंद्र सरकार के द्वारा सेना में संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के गठन की मांग को नहीं माना गया तो इसके बाद खेड़की दौला टोल प्लाजा पर जो धरना प्रदर्शन का टेंट लगा हुआ है , उसी टेंट को दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर लगाकर अनिश्चितकालीन धरना आरंभ कर दिया जाएगा । इस प्रकार की किसी भी स्थिति और बनने वाले हालात के लिए पूरी तरह से केंद्र सरकार की जिम्मेदारी और जवाबदेही होगी । क्योंकि बीती 4 फरवरी से सेना में अहीरवाल रेजिमेंट की मांग को लेकर क्षेत्र के लोग शांतिप्रिय तरीके से अपना धरना प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। लेकिन आज तक किसी भी प्रकार का केंद्र सरकार या अन्य सरकारी एजेंसी के द्वारा नहीं संपर्क किया गया और ना ही अभी तक संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के द्वारा विभिन्न स्तर पर सौंपी गई मांग और ज्ञापन के संदर्भ में सकारात्मक जवाब भी दिया गया है।

मंगलवार को मानेसर, शिकोहपुर , नाहरपुर, , नखरोला ,खोह खेड़की दौला जैसे स्थानों पर आयोजित बैठक में मुख्य रूप से उमेश यादव, कर्मवीर यादव, गजराज सिंह, विजय राज शिकोहपुर, मोनू , अरुण, सतीश, लक्ष्मण, रवि नखरोला, सतीश नवादा बाबूलाल नंबरदार , दया किशन सहित अनेक अहिरवार रेजीमेंट के समर्थक मौजूद रहे। मंगलवार को अलग-अलग पांच स्थानों पर 18 नवंबर के लिए अधिक से अधिक संख्या में लोगों सहित महिला शक्ति व अन्य युवा वर्ग के पहुंचने का आह्वान करते हुए कहा गया कि सेना के इतिहास में अहीरवाल क्षेत्र के जांबाज सैनिकों की शहादत का अपना एक अलग ही स्वर्णिम और गौरवमई इतिहास रहा है । लेकिन सरकार के द्वारा अभी तक सेना में अहीरवाल रेजिमेंट गठन को लेकर किसी भी प्रकार की पहल दिखाई नहीं दे रही है ? इस मौके पर विभिन्न स्थानों पर आयोजित बैठक में विभिन्न वक्ताओं के द्वारा बताया गया कि भारतीय सेना में जब अलग-अलग रेजीमेंट बनी हुई है तो ऐसे में अहीरवाल रेजीमेंट के गठन में सरकार को या सेना को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए ।

गौरतलब है कि संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के द्वारा बीती 4 फरवरी से जारी धरना प्रदर्शन में देशभर के प्रबुद्ध और बड़े नामी अहीरवाल नेता अपना अपना समर्थन समय-समय पर आंदोलन के दौरान देने के लिए पहुंचते रहे हैं। लेकिन संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के तत्वाधान में जारी धरना प्रदर्शन को आंदोलनकारियों के मुताबिक केंद्र सरकार के द्वारा बहुत ही हल्के फुल्के अंदाज में आकाश जा रहा है । अहीरवाल रेजिमेंट की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे लोगों के माने तो केंद्र सरकार को इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि अहीरवाल क्षेत्र के लोग अपने हक हकूक के लिए नहीं , बल्कि अतीत में जितने भी दुश्मन देशों के साथ युद्ध हुए या फिर आजादी का आंदोलन हुआ , उसमें अहीर योद्धाओं के द्वारा अपना-अपना दिया गया सर्वाेच्च बलिदान के मान सम्मान को अनादि काल तक बरकरार रखने के लिए ही सेना में अहीर रेजिमेंट बनाकर इस मान सम्मान को और अधिक मान सम्मान प्रदान करने के लिए ही अपना आंदोलन किए हुए हैं । इसी कड़ी में मंगलवार को विभिन्न पांच स्थानों पर जहां-जहां भी बैठक आयोजित की गई । वहां आंदोलन से जुड़े प्रबुद्ध लोगों के द्वारा आह्वान किया गया कि 18 नवंबर को कम से कम 50000 से लेकर 100000 लोग खेड़की दौला पहुंचकर अपनी एकता और अखंडता का परिचय करवाएं ।

इसके साथ ही साफ साफ शब्दों में कहा गया है 18 नवंबर को केंद्र सरकार की तरफ से यदि किसी भी प्रकार का कोई भी लिखित में ठोस आश्वासन समयवद्ध नहीं दिया गया , तो बिना देरी किए 18 नवंबर को ही दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर खेड़की दौला टोल प्लाजा पर जो धरना प्रदर्शन का टेंट लगाकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है , उसे वहां से शिफ्ट कर दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर लगा दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे को अनिश्चित काल के लिए जाम करने का विकल्प खुला रखा गया है। अब देखना यह है कि 18 नवंबर को संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा अपनी रणनीति में कितना सफल रहता है या फिर इससे पहले ही समय रहते सरकारी एजेंसियां और केंद्र सरकार के द्वारा 18 नवंबर को संभावित दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे के अनिश्चितकालीन जाम को रोकने के विकल्प पर कोई विचार कर बीच का रास्ता निकाल आंदोलनकारियों को उनकी मांगे पूरी करने का कोई ठोस आश्वासन दे सकेगी।

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