-कमलेश भारतीय यह है कांग्रेस का लोकतंत्र ! बलिहारी जाइये इस लोकतंत्र पर ! जिस दिन से आदमपुर चुनाव का परिणाम आया है , उस दिन से कांग्रेस के लोकतंत्र का कमाल देखने को मिल रहा है लगातार ! कोई दिन खाली नहीं जाता जब कांग्रेस नेता एक दूसरे पर तीरों पे तीर न छोड़ते हों ! शुरूआत भी ऐसे ही हुई थी जो अंतहीन बहस में बदल चुकी है । किरण चौधरी ने बार बार कहा , हर शहर में कहा कि हमसे प्रत्याशी के बारे में कोई मश्विरा नहीं किया गया । इस पर बार बार प्रदेशाध्यक्ष उदयभान का जवाब आता रहा कि ऐसी कोई हैसियत नहीं किरण चौधरी की कि उनसे सलाह मश्विरा करना जरूरी था । वैसे भी हाईकमान ने ऐसी कोई हिदायत नहीं दी थी और ऐलनाबाद व बरोदा के समय भी उनसे कोई राय नहीं ली गयी थी । इस तरह मामला हैसियत पर आकर और भी पेचीदा हो गया । किरण चौधरी ने भी अपनी हैसियत बताई कि उदयभान जी , आपको प्रदेशाध्यक्ष बनाते समय मुझसे भी राय ली गयी थी ! यह है मेरी हैसियत ! इस तरह हैसियत के खेल में पांच और नेता आ गये उदयभान की खिलाफत करने ! यानी नया संग्राम छिड़ गया कांग्रेस में अपनी अपनी हैसियत दिखाने और साबित करने का ! यह कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र का अनुपम उदाहरण है ! हैसियत दिखाओ ! कोई कुछ नहीं कहेगा ! जिसकी चाहे पगड़ी उछालो , कोई कुछ नहीं कहेगा ! पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी निशाने पर हैं । उदयभान तो इक बहाना हैं , निशाने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं और फ्री हैंड पर चोट करना ही उद्देश्य है । कांग्रेस की आदमपुर में बाजी गुटबाजी से हारी ! कांग्रेस को किसी और की जरूरत ही नहीं , ये तो आपस में ही हिसाब करने में लगे हुए हैं । ये तो एक दूसरे के कांटे निकालने में लगे हुए हैं ! जींद की बार के बाद भी कांग्रेस में यही नजारा था ! इन्हें कोई विरोधी नहीं चाहिए । ये आपस में ही बहुत खुश हैं ! ऐसा क्यों कहा ,कैसे कहा , कैसे हिम्मत हुई , क्या समझते हो अपने आपको ? ये सारी चुनौतियां दी जा रही हैं और विरोधी इनके मज़े ले रहे हैं । जैसे भव्य बिश्नोई ने कहा कि हमारे आदमपुर में दो ही तरह के वोटर हैं -एक भजनलाल समर्थक , दो भजनलाल विरोधी ! बिल्कुल ऐसे ही कांग्रेस में दो तरह के नेता हैं -एक हुड्डा समर्थक , दो हुड्डा विरोधी ! बस तीसरी किस्म के नेता नहीं हैं कांग्रेस में !प्रत्याशी जयप्रकाश कह रहे हैं कि यदि मेरे प्रत्याशी होने से कोई दिक्कत थी तो पार्टी हाईकमान को कहतीं आप ! सार्वजनिक मंच पर क्यों कहा ? फिर मैंने तो टिकट मांगी ही नहीं ! मुझे तो बुलाकर टिकट दी गयी और मैंने सैलजा , किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला सबको फोन किये ! सैलजा के तो घर भी गया और उसने मुझे डेढ़ घंटे तक बाहर बिठाये रखा जबकि मुझे कैम्पेन पर जाना था ! फिर भी मेरे चुनाव प्रचार के लिए समय नहीं दिया तो बताइये इससे ज्यादा कर सकता था ? सबने टका सा जवाब दिया । यही कांग्रेस का आंतरिक लोकतंत्र है । कोई जवाबदेही नहीं किसी की ! कोई कहीं मलाल नहीं ! हम कांग्रेसी हैं , कांग्रेसी थे और कांग्रेसी रहेंगे ! बलिहारी जाऊं इस कांग्रेस के ! हम पंछी एक डाल के ! हमको समझना और संभलना हमसे !विरोधी बार बार यही तो कह रहे हैं कि भारत जोड़ो यात्रा नहीं कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालिये पहले ! तब सन् 2024 के चुनाव में आइए !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation स्थानीय निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता ने मेहता टावर में लगी आग की घटना की जानकारी ली 14 नवम्बर बाल दिवस विशेष…… बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि कैसे सोचना है, न कि क्या सोचना है?