भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम के जिला परिषद वार्ड 9 के 9 तारीख को हुए चुनाव में 9 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होना है। इस वार्ड में मजेदारी यह है कि जो प्रत्याशी चुना जाएगा, वही जिला परिषद का चेयरमैन भी होगा या यूं कह सकते हैं कि वार्ड 9 जिला परिषद के चेयरमैन का चुनाव है।

भाजपा ने सभी जिला कार्यकारिणी पर छोड़ दिया था कि वह चुनाव सिंबल पर लड़ें या नहीं। गुरुग्राम कार्यकारिणी ने अंतिम समय में सिंबल पर चुनाव लडऩे का फैसला लिया। उससे पूर्व ही विधायक जरावता वार्ड 9 की मधु सारवान को आशीर्वाद दे आए थे और उन्होंने नामांकन भी भर दिया तथा उसके पश्चात उन्होंने भाजपा की सदस्यता भी ली और टिकट भी मिली। इससे यह सीट अत्याधिक चर्चा में आई।

इस बात से भाजपा के पुराने सदस्यों में असंतोष पैदा हुआ और उसमें घी डालने का काम सत्यप्रकाश जरावता के उस ब्यान ने किया, जिसमें उन्होंने कहा कि इस वार्ड से नामांकन भी एक आया था, जबकि बाद में उन्होंने ही भाजपा के नाम भरे हुए प्रत्याशी का नामांकन वापिस कराया। 

स्मरण रहे कि पटौदी विधानसभा में जिला परिषद के 6 वार्ड हैं लेकिन विधायक हर समय वार्ड 9 में ही दिखाई देते रहे। अन्य वार्डों में न गए हों ऐसा हम नहीं कहते, एडवोकेट हैं, समझदार हैं, औपचारिकता जाकर अवश्य पूरी की। 

गत 2 नवंबर को आदमपुर उपचुनाव था। 10-15 अक्टूबर के आसपास मेरी उनसे बात हुई थी कि आदमपुर में दलित वर्ग बहुत हैं, आप वहां चुनाव प्रचार के लिए कब जा रहे हैं तो उनका उत्तर था कि 4 तारीख को मेरी बेटी की शादी है। अत: मैं उसमें व्यस्त रहूंगा वहां नहीं जा पाउंगा। बात उचित भी लगी लेकिन जब 3 नवंबर और 5 नवंबर को इनकी विज्ञप्तियां आईं कि ये गांव-गांव प्रचार कर रहे हैं तो बड़ा आश्चर्य महसूस हुआ कि ऐसा क्या है कि जिला परिषद वार्ड के चुनाव में जब घर में कन्या का विवाह के बाद भी चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं?

उपरोक्त स्थितियों को देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि स्वयं विधायक भी इस चुनाव को अपनी अग्नि परीक्षा मान रहे हैं। कारण शायद यह रहा हो कि यह पहले सदा ही कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री मेरी कोई बात नहीं टालते और शायद इसी कारण यह भाजपा के सदस्य न होते हुए भी अपने चहेते उम्मीदवार को टिकट दिलाने में सफल रहे और अब इस परिणाम पर इनकी प्रतिष्ठा टिकी है, क्योंकि मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष जिन्होंने इनके कहने पर वह टिकट दी और वही सीट यह हार गए तो उन लोगों के सामने इनका कितना सम्मान बढ़ेगा, यह अनुमान लगाया जा सकता है।

इस चुनाव में देखने में यह आया कि भाजपा जिला कार्यकारिणी भी औपचारिकता ही निभाती नजर आई। शायद इसके पीछे कारण यह रहा होगा कि विशेष व्यक्तियों के कहने पर आनन-फानन में टिकट दिए गए। अत: जिनके कहने पर टिकट दिए, वह अपनी सीट निकालने के जिम्मेदार होंगे।

अगर वार्ड 9 की ओर देखें तो स्टार प्रचारक के रूप में वहां पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह को बुलाया गया, जबकि यह वार्ड राव नरबीर के बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में भी नहीं आता है। इस पर कुछ भाजपाईयों की टिप्पणी आई कि जरावता नरबीर सिंह को बुलाकर राव इंद्रजीत के सामने यह दर्शाना चाहते थे कि आपके गढ़ में मैं अपनी मर्जी से टिकट दिलाकर लाया और अपने चुनाव को जिताकर ले जाउंगा।

वर्तमान में स्थिति यह है कि चुनाव परिणाम 27 को आने हैं। उससे पहले चर्चाओं का बाजार गरम है कि यदि विधायक जी का उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया तो इनके साथ वही कहावत चरितार्थ न हो जाए कि चौबे जी गए थे छब्बे जी बनने और रह गए दूबे जी। क्योंकि इस चुनाव के साथ मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ विधायक जी ने अंतिम समय में प्रधानमंत्री के सम्मान को भी शामिल कर दिया है।

क्योंकि उन्होंने अपने उम्मीदवार के पक्ष में एक वीडियो जारी किया, जिसमें उम्मीदवार के फोटो के साथ मोदी जी यह कह रहे थे कि आपका वोट कमल के फूल पर लगना चाहिए। वह वोट सीधा मेरे पास पहुंचता है तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि स्थिति क्या होगी।

हर आदमी के कुछ विरोधी भी होते हैं तो अब विधायक के विरोधी सक्रिय हो रहे हैं और भिन्न-भिन्न प्रकार के आरोपों का जिक्र करते हैं। जिनकी चर्चा फिर कभी करेंगे।

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