देहात की सरकार का मुखिया बनने वालों के बिगड़ सकते हैं समीकरण

जिला परिषद चुनाव में सहयोग करने के बदले दिलाया जाएगा समर्थन

जिला परिषद से लेकर देहात की सरकार के चुनाव परिणाम पर जिज्ञासा

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम । दक्षिणी दिल्ली के साथ लगते विश्व विख्यात साइबर सिटी जिला गुरुग्राम जोकि हरियाणा के खजाने में सबसे अधिक राजस्व देने में अग्रणी है। यही जिला परिषद प्रमुख सहित 10 वार्डों में जिला पार्षद के लिए बीती 9 नवंबर को मतदान संपन्न हुआ है । हालांकि मतदान संपन्न होते ही और विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी के द्वारा टिकट पर उम्मीदवार उतारे जाने के बाद जिस प्रकार की राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई और बनी हुई है , उसे देखते हुए सबसे अधिक बेचौनी सत्ता पक्ष के खेमे में ही बनी हुई है ।

लेकिन फिर भी शनिवार को देहात की सरकार के मुखिया के चुनाव के लिए पर्दे के पीछे से बड़े नेताओं का अहम भूमिका अदा किया जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक अपने अपने समर्थक कार्यकर्ताओं व समर्थकों को देहात की सरकार का मुखिया बनाने के लिए पर्दे के पीछे सक्रिय रहकर अपनी-अपनी निर्णायक भूमिका अदा करने की रणनीति भी तैयार कर ली गई है । अनुसूचित महिला वर्ग के लिए आरक्षित जिला परिषद प्रमुख पद सहित सबसे हॉट सीट वार्ड नंबर 9 में शामिल 27 गांव में चुने जाने वाली देहात की सरकार के मुखिया के समीकरण सहित अन्य गांवों में भी जीत और हार के समीकरण शनिवार को मतगणना संपन्न होने तक चौकाने सहित हैरान करने वाले भी हो सकते हैं ? इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता । इसका मुख्य कारण है जिला परिषद प्रमुख पद से लेकर विभिन्न अन्य 9 जिला परिषद वार्ड में सत्ता पक्ष के द्वारा उतारे गए अपने उम्मीदवारों के अलावा जननायक जनता पार्टी के समर्थित उम्मीदवारों सहित अन्य उम्मीदवारों के द्वारा अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए ऐसे सभी सरपंच पद के दावेदार उम्मीदवारों से भरपूर समर्थन और सहयोग प्राप्त किया गया, जोकि देहात की सरकार का मुखिया बनने के लिए अपना-अपना नामांकन कर चुनावी जंग में समर्थन जुटाने की रणनीति पर सक्रिय रहे ।

जानकारों के मुताबिक जिला परिषद प्रमुख पद के लिए व अन्य वार्डों में भी विभिन्न पार्टियों के बड़े नेताओं सहित पूर्व एमएलए, पूर्व मत्रियों सहित मौजूदा एमएलए के द्वारा कहीं खुलकर तो कहीं पर्दे के पीछे से रहकर अपने तमाम समर्थकों और कार्यकर्ताओं के माध्यम से सहयोग और समर्थन प्रदान किया गया । अब समय आ चुका है जिला परिषद चुनाव में जिस-जिस भी सरपंच पद के दावेदार उम्मीदवार के द्वारा जिस भी जिला परिषद उम्मीदवार के पक्ष में या समर्थन में जनसहयोग जुटाया गया, उसी जन सहयोग और समर्थन को ब्याज सहित शनिवार को देहात की छोटी सरकार के मुखिया बनने वाले अपने निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए अदा किया जाए । इस पूरे कार्य के लिए जिला परिषद चुनाव संपन्न होते ही राजनीति के धुरंधर और बारीकी से पकड़ रखने वाले राजनेताओं के द्वारा अपनी रणनीति के तहत कार्य किया जाना जारी रखा हुआ है । ऐसे में यह बात कहने में कतई भी संकोच नहीं है कि शनिवार को देहात की सरकार के मुखिया के लिए जो मतदान होना है , उस मतदान में पर्दे के पीछे रहकर बड़े नेताओं की भी बड़ी महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका रहेगी। जिला परिषद चुनाव में सबसे अधिक वार्ड आधा दर्जन पटौदी खंड में ही शामिल रहे हैं, इतना ही नहीं जिला परिषद प्रमुख पद पर जो भी अनुसूचित वर्ग की महिला चुनी जाएगी । वह हॉट सीट वार्ड नंबर 9 भी पटौदी खंड में ही मौजूद है और इसी महत्वपूर्ण वार्ड नंबर 9 में सबसे अधिक कसरत भाजपा पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने के लिए भाजपा के पन्ना प्रमुख पद से लेकर एमएलए और पूर्व मंत्रियों के द्वारा भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई। दूसरी ओर खुल कर और पर्दे के पीछे रहकर भी सत्ता पक्ष में ही गठबंधन धर्म निभाने वाली पार्टी के नेताओं के द्वारा भी अपने अपने समर्थक जिला पार्षद के दावेदार सहित जिला परिषद प्रमुख के दावेदार को जिताने में अपनी रणनीति के मुताबिक वोट बैंक में सेंध लगाने का जाल बिछाया गया ।

लेकिन कुल मिलाकर जिस प्रकार से बीती 9 नवंबर को विभिन्न स्थानों और वार्डों में पोलिंग के दौरान पोलिंग बूथ के अंदर और पोलिंग बूथ के बाहर जो हालात सहित कथित रूप से एक पार्टी विशेष के प्रति लोगों में नाराजगी दिखाई दी, वह भी कहीं ना कहीं भविष्य में गुरुग्राम, मानेसर, फरीदाबाद नगर निगम के चुनाव के साथ ही पटौदी मंडी नगर परिषद के चुनाव को भी प्रभावित कर सकती है ? इस बात को भी पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है । बहर हाल अब कुछ ही घंटे बाकी हैं, जब देहात की अपनी छोटी सरकार के लिए मुखिया का चुनाव होना है और अंतिम समय में रात भर अपने अपने समर्थक और कार्यकर्ताओं को जिताने के लिए जितना अधिक संभव हो सकेगा , हर प्रकार की रणनीति और चुनावी जीत का जाल बिछाने में कोई कसर नहीं रखी जाएगी ।

इस बात से भी इनकार नहीं की राजनीति में ऐसे भी मौके आते हैं जब राजनेताओं के द्वारा अपने-अपने समर्थकों के द्वारा दिया गया सहयोग और समर्थन को ब्याज सहित वापस लौटाने के लिए राजनीतिक समर्थन ही देकर चुकाया जाता रहा है। बहरहाल अंतिम फैसला तो अपने-अपने गांव की सरकार के मुखिया का गांव में रहने वाले मतदाताओं को ही करना है । लेकिन फिर भी इस बात को नजरअंदाज करना संभव नहीं कि बीती 9 नवंबर को जिला परिषद प्रमुख पद सहित जिला पार्षद के लिए जहां-जहां भी देहात की छोटी सरकार के दावेदार उम्मीदवारों के द्वारा अपनी पसंद के मुताबिक या अतीत में किए गए राजनीतिक कार्यों का कर्ज उतारने के लिए सहयोग किया गया। अब शनिवार को वह कर्ज ब्याज सहित भी प्राप्त हो सकता है।

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