भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हम पहले भी लिखते रहे हैं कि आदमपुर उपचुनाव में बहुत-सी नई बातें देखने को मिलेंगी, सो मिल रही हैं। जब भाजपा का उम्मीदवार तय हुआ, तो प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ मुख्यमंत्री समेत सभी भाजपाईयों का कहना था कि भव्य एक लाख से अधिक वोट प्राप्त करेगा परंतु चुनाव प्रचार के आखरी दिन जब मंच पर भाजपा के मंत्रियों का जमावड़ा था, जिसमें दुष्यंत चौटाला भी थे उस रैली में नेताओं के ब्यान बता रहे थे कि वह आशंकित हैं विजय के प्रति।

उसके पश्चात आज भाजपा की प्रेस विज्ञप्ति आई, जिसमें इनका कहना है कि कुरड़ा राम मजबूत हो रहा है। दुष्यंत के संबोधन के बाद जजपा वर्कर भी भव्य को वोट देंगे। रणबीर गंगवा की मार्फत दलित वोटों पर कब्जे की बात कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री की रैली के बाद भाजपा प्रत्याशी की स्थिति मजबूत हुई है।

तात्पर्य यह है कि जो चुनाव के आरंभ में एकतरफा मुकाबला कह रहे थे, वे अंतिम समय में यह कहने को मजबूर हुए कि हम पहले से मजबूत हो रहे हैं। अब इसका क्या मतलब निकालें? मंच से कुलदीप बिश्नोई हाथ जोडक़र अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हैं। कुल मिलाकर कहें कि परिस्थितियां कह रही हैं कि अब भाजपा को अपनी जीत में संदेह नजर आने लगा है।

मुकाबला भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दिवंगत चौ. भजनलाल के बीच :

जब चुनाव आरंभ हुआ तब से ही भाजपा और कुलदीप केवल और केवल चौ. भजन लाल के नाम पर वोट मांगते आए और अंतिम जनसभा में भी चौ. भजन लाल के अनुयायिओं की भावनाओं को जागृत करने के लिए श्रीमती जसमा देवी को मंच पर लाए। 

इन स्थितियों को देखकर भाजपा के नेता अलग होने लगे और ऐसा दिखाई दिय कि वह अपनी औपचारिकताएं भाजपा कार्यालय में प्रेस वार्ता कर पूरी कर जाते रहे। जनता के बीच जाना भाजपा नेताओं ने मुनासिब न समझा और अंतिम दिन भी मंच से संबोधन किया। आज वह कितना जनता के बीच जा रहे हैं, कितना बूथ मैनेजमेंट है, इसकी जानकारी भाजपा को ही है हमें नहीं। हमें तो परिणाम पर पता लगेगा। इस तरह यह लगा कि भाजपा और कुलदीप केवल और केवल चौ. भजनलाल के नाम पर विजय के प्रति आश्वस्त रहे। अंतिम समय पर शायद उन्हें वास्तविकता समझ आई।

दूसरी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव प्रचार में लगे रहे। प्रत्याशी तो जयप्रकाश (जेपी) हैं लेकिन वोट भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम पर मांगे जा रहे हैं और मांगने वालों में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र हुड्डा एवं प्रदेश अध्यक्ष चौ. उदयभान हैं। तात्पर्य यह कि मुख्य रूप से यह चार ही नजर आ रहे हैं, बाकी कांग्रेसी नजर आ नहीं रहे। अत: तय हुआ कि यह चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दिवंगत चौ. भजन लाल के बीच है। 

जो संगठित होकर चुनाव लड़ेगा, वह जीतेगा :

इस चुनाव में स्थिति यह है कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा भी संगठित नजर नहीं आ रही। तभी तो मंच से दुष्यंत चौटाला और बिजेंद्र चौधरी को कुलदीप के साथ होने की बात कहनी पड़ी। प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ दिखाई भी नहीं दिए। जाट-नॉन जाट की बात कुलदीप का नाम आते ही आरंभ हो जाती है। अत: कह सकते हैं कि भाजपा भी बिखरी-बिखरी नजर आई। अंतिम समय में मुख्यमंत्री ने भाजपा के अनेक मंत्रियों को मंच पर एकत्र कर एकजुट होने का संदेश देने का प्रयास किया। अब यह तो मुख्यमंत्री ही जानें कि वह संदेश आदमपुर की जनता को दे रहे थे या भाजपा हाईकमान को। 

इस प्रकार यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि दौड़ में आए दोनों प्रत्याशी कांग्रेस के जेपी और भाजपा के भव्य अपनी-अपनी पार्टी की एकजुटता की कमी से ग्रसित हैं लेकिन जो देखने में आया है वह यह कि कांग्रेस के जो विरोधी हैं, सामने दिखाई दे रहे हैं लेकिन भाजपा में शायद कोई नहीं बता सकता कि कौन-कौन भव्य को जिताना चाहते हैं और कौन-कौन नहीं। 

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सामने के दुश्मन से अधिक नुकसान छुपा हुआ दुश्मन करता है। परिणाम तो भगवान ही बता सकेंगे लेकिन स्थितियां आपके सामने रखी हैं, जिसमें भाजपा का ग्राफ गिरता गया है और कांग्रेस उठता गया है। और फिर वही बात विजयश्री उसकी होगी, जो पार्टी एकजुट होकर मतदान में हिस्सा लेगी।

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