पिछडा, दलित, किसान, मजदूर, आमजन अपने बच्चों को डाक्टर बनाने के लिए 40 लाख रूपये की फीस कहां से लाएगा? विद्रोही अब सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस के लिए 40 लाख रूपये फीस के नाम पर देने होंगे और किताब, कपडों सहित अन्य खर्च अलग से। इसका अर्थ यह हुआ कि जिसके पास एमबीबीएस का कोर्स पूरा करने के लिए न्यूनतम 50 लाख रूपये : विद्रोही एमबीबीएस शिक्षा के लिए प्रवेश पाने के लिए नीट परीक्षा में मैरिट में आने वाले छात्र भी प्रवेश के लिए सामने नही आ रहे है क्योंकि उनके पास हर साल खट्टर सरकार को फीस के नाम पर 10 लाख रूपये देने के लिए पैसे नही है। विद्रोही 02 नवम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही नेे भाजपा सरकार द्वारा हरियाणा के सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस शिक्षा पाने वाले विद्यार्थियों पर बांड पोलिसी के नाम पर हर वर्ष 10 लाख रूपये की फीस वसूलने की कठोर आलोचना करते हुए इसे गरीब परिवारों के बच्चों को प्रतिभा होते हुए भी डाक्टर बनने से रोकने का षडयंत्र बताया। विद्रोही ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने वर्ष 2020 में हरियाणा के सरकारी मेडिकल कालेजों से एमबीबीएस करने वाले छात्रों पर फीस के नाम पर 4 वर्ष तक हर साल 10 लाख रूपये की जो बांड पोलिसी बनाई थी, अब उसे इस वर्ष से लागू करके सरकारी कालेजों में एमबीबीएस शिक्षा की चार साल की फीस 40 लाख रूपये कर दी है जो आमजन के बूते से बाहर है। भाजपा-जजपा सरकार का मेडिकल शिक्षा के लिए हर वर्ष 10 लाख रूपये फीस थोपना एक ऐसा जनविरोधी फैसला है जिसके चलते किसान, मजदूर, छोटे कर्मचारियों व आमजनों के प्रतिभाशाली बच्चे एमबीबीएस की मेडिकल शिक्षा पाकर डाक्टर बनने से वंचित हो जायेेंगे। विद्रोही ने सवाल किया कि पिछडा, दलित, किसान, मजदूर, आमजन अपने बच्चों को डाक्टर बनाने के लिए 40 लाख रूपये की फीस कहां से लाएगा? भाजपा खट्टर सरकार ने हरियाणा के सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस प्रवेश लेने के लिए हर वर्ष 9 लाख 20 हजार रूपये के बांड के नाम पर तथा 80 हजार रूपये वार्षिक शिक्षा फीस सहित 10 लाख रूपये की वार्षिक फीस चार वर्ष तक वसूलने का निर्णय आमजन पर बहुत भारी पडने वाला है। गरीब वर्गो के मेहनती छात्र नीट परीक्षा में ज्यादा नम्बर प्रतिभा के बल पर लेकर सरकारी मेडिकल कालेजों में प्रवेश लेकर कम पैसों में डाक्टर बनने का जो सपना संजोते थे, वह खट्टर सरकार नेे एक ही निर्णय से चकनाचूर कर दिया। विद्रोही ने कहा कि एक वर्ष सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस शिक्षा के लिए प्रवेश पाने के लिए नीट परीक्षा में मैरिट में आने वाले छात्र भी प्रवेश के लिए सामने नही आ रहे है क्योंकि उनके पास हर साल खट्टर सरकार को फीस के नाम पर 10 लाख रूपये देने के लिए पैसे नही है। अब सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस के लिए 40 लाख रूपये फीस के नाम पर देने होंगे और किताब, कपडों सहित अन्य खर्च अलग से। इसका अर्थ यह हुआ कि जिसके पास एमबीबीएस का कोर्स पूरा करने के लिए न्यूनतम 50 लाख रूपये नही होंगे वे हरियाणा के सरकारी मेडिकल कालेजों में पढाई नही कर सकते। विद्रोही ने कहा कि भाजपा खट्टर सरकार ने इतनी भारी भरकम फीस रखकर एक तरह से एमबीबीएस शिक्षा धन्ना सेठों के लिए रिजर्व कर दी और भारी फीस के चलते पिछडे, दलित, किसान, मजदूर, आमजन के बच्चे प्र्रतिभा होते हुए भी डाक्टर नही बन पाएंगे। वहीं अब इससे नीट परीक्षा में मैरिट नम्बर लाने का भी कोई औचित्य नही रह जायेगा। Post navigation डरी-डरी नजर आई भाजपा, भूल गए एक लाख वोट का नारा आदमपुर समेत पूरे हरियाणा में किसान झेल रहे डीएपी खाद की किल्लत- हुड्डा