फरीदाबाद व पलवल जिले में पंचायत का चुनाव कार्यक्रम दूसरे चरण में होने वाले 9 जिलों के चुनाव कार्यक्रम से इसलिए अलग से रखे है ताकि 27 अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह फरीदाबाद में हुई जनसभा में चुनावी रेवडियों का ऐलान करके आदमपुर उपचुनाव व पंचायत चुनावों में भाजपा को बढ़त दिला सके : विद्रोही
हरियाणा निर्वाचन आयोग सरकार व भाजपा की कठपुतली बनकर पंचायत व नगर निकाय चुनाव कार्यक्रम तय करेंगे तो कितना और कैसा स्वतंत्र-निष्पक्ष चुनाव करवाते होंगे ? विद्रोही

29 अक्टूबर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही नेे आरोप लगाया कि चाहे चुनाव आयोग हो या हरियाणा का राज्य निर्वाचन आयोग, ये अपनी निष्पक्षता व स्ततंत्रता को तांक पर रखकर मोदी-भाजपा संघी सरकार के गुलाम बनकर काम कर रहे है। हरियाणा मेें इसका ताजा उदाहरण फरीदाबाद व पलवल जिलों में पंचायत चुनावों के कार्यक्रमों की घोषणा है। फतेहाबाद व हिसार जिले में तो आदमपुर विधानसभा उपचुनाव के चलते पंचायत चुनाव बाद में होना था, पर फरीदाबाद व पलवल जिले में पंचायत का चुनाव कार्यक्रम दूसरे चरण में होने वाले 9 जिलों के चुनाव कार्यक्रम से इसलिए अलग से रखे है ताकि 27 अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह फरीदाबाद में हुई जनसभा में चुनावी रेवडियों का ऐलान करके आदमपुर उपचुनाव व पंचायत चुनावों में भाजपा को बढ़त दिला सके। 

विद्रोही ने आरोप लगाया कि अमित शाह की 27 अक्टूबर की जनसभा फेसिलिटेट करने हरियाणा निर्वाचन आयोग ने फरीदाबाद व पलवल जिलों में पंचायत चुनाव दूसरे चरण में 9 जिलों के साथ करवाने की बजाय तीसरे चरण हिसार व फतेहाबाद जिलों के साथ करवाकर खुद ही साबित कर रहा है कि वह भाजपा की कठपुतली मात्र है। जब हरियाणा निर्वाचन आयोग सरकार व भाजपा की कठपुतली बनकर पंचायत व नगर निकाय चुनाव कार्यक्रम तय करेंगे तो कितना और कैसा स्वतंत्र-निष्पक्ष चुनाव करवाते होंगे, यह बताना भी बेमानी है। 

विद्रोही नेे कहा कि इसी तरह चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ गुजरात विधानसभा चुनावों की घोषणा नही की ताकि मोदी-शाह-भाजपा 30-31 अक्टूबर तक अपने पूर्व घोषित कार्यक्रमों अनुसार गुजरात में चुनावी रेवडिया बांटकर सत्ता दुरूपयोग से मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में करते रहे। प्रधानमंत्री मोदीजी का 30 व 31 अक्टूबर को गुजरात में दो दिवसीय दौरा है। यह दौरा खत्म होते ही चुनाव आयोग एक या दो नवम्बर को गुजरात विधानसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित कर देगा। चुनाव आयोग का यह आचरण बताता है कि आज संवैद्यानिक संस्था स्वयं अपनी गरिमा गिराकर किस तरह संघीे दास बनकर भाजपा की शाखा के रूप में काम करके स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा को पलीता लगा रही है।