-कमलेश भारतीय

आदमपुर का उपचुनाव लगातार तेज होता जा रहा है । दो दो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व ओमप्रकाश चौटाला धुआंधार प्रचार में निकले हुए हैं तो भाजपा जजपा सरकार के मुख्यमंत्री अपने खट्टर काका भी मैदान में आने ही वाले हैं । पहले दो दो मुख्यमंत्री दिल्ली के अरविंद केजरीवाल और पंजाब के लोकप्रेर हास्य कलाकार व मुख्यमंत्री भगवंत मान चुनाव की घोषणा से पहले एकसाथ आ चुके हैं । इस तरह आदमपुर का उपचुनाव अब राजनेताओं का तीर्थ बन चुका है जिसने इसमें डुबकी नहीं लगाई , उसका भी क्या जीना !

इसी बीच राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने आदमपुर में कुलदीप बिश्नोई का उनकी वोट का अहसान उतारने के लिए भव्य के लिए वोट मांगने समय कहा कि कुलदीप बिश्नोई ने अंतरात्मा की आवाज पर मुझे वोट देकर बहादुरी दिखाई , उसके लिए इनके बेटे को वोट दीजिए !

अब कार्तिकेय भाई यह कौन सी बहादुरी हुई ? दलबदल करना कौन सी बहादुरी में आता है ? अपनी पार्टी से धोखा करना , विश्वासघात करना और अपनी ही पार्टी को हराने में कौन सी बहादुरी है ? अब उसी बहादुरी के चलते ही आदमपुर की जनता की उपचुनाव की आग में झोंक दिया है कि नहीं ? उपचुनाव की नौबत इसलिये तो आई है । अच्छा कार्तिकेय भाई यदि कुलदीप बिश्नोई कभी आपके साथ ऐसा विश्वासघात करते तो आप तब भी उन्हें बहादुर ही कहते ? नहीं न । जो हमे सूट करे , वह तो अंतरात्मा की आवाज और बहादुरी का काम और जो हमें सूट न करे , वह विश्वासघात ? यह कैसी राजनीति और कैसी आस्थाएं ? इसी विश्वासघात की राजनीति ने अनेक करोड़ का आर्थिक बोझ डाला है प्रदेश की जनता पर कि नहीं ? फिर यह दलबदल ही अब परमो धर्म बन गया है ! दल बदलो और दोनों हाथों से लड्डू खाओ ! मलाईदार महकमे लो और जम कर ऐश करो ।

यह दलबदल ही तो है जो महाराष्ट्र में पूरी की पूरी उद्धव सरकार ही डूब गयी और यहां तक कि शिवसेना भी ! यह दलबदल ही तो है जिसके चलते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुत प्रिय लगते हैं तो कभी बहुत ही बुरे ! सोचो कार्तिकेय ! यही है असली रूप राजनीति का । देखो । यही है राजनीति का रंग रूप ! इसको सभी दलों ने अपना लिया है । आदमपुर के चुनाव के दौरान कितने लोग इधर से उधर गये हैं अलग अलग दलों में । यही कारण है कि किसी के पास अपना कार्यकर्त्ता प्रत्याशी नहीं है । सभी दलबदल कर मैदान में हैं यानी सभी प्रत्याशी कभी न कभी काग्रेसी ! अब असली और नकली काग्रेई प्रत्याशियों में मुकाबला है । देखिए खिलाड़ी कौन अच्छा खेलता है ! पर दलबदल कोई बहादुरी नहीं !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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