सरकार की कथित भावांतर योजना का लाभ किसान को धरातल पर क्यों नही मिल रहा ? विद्रोही

1350 रूपये प्रति कट्टे के हिसाब से मिलने वाला डीएपी खाद काले बाजार में 1500-1600 रूपये प्रति बैग क्यों मिल रहा है? विद्रोही
किसान को मंडियों मेें न तो फसलों का घोषित एमएसपी मिलता है और न ही फसलों के लिए खाद मिलता : विद्रोही

17 अक्टूबर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि अहीरवाल में बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य 2350 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से सरकारी खरीद न करके व रबी फसल की बिजाई के लिए पर्याप्त डीएपी खाद की व्यवस्था न करके भाजपा खट्टर सरकार ने खुद साबित कर दिया है कि वह किसान हित में जुमलेबाजी करके उन्हे ठगती है, पर जमीन पर उनके हित के लिए करती कुछ नही। विद्रोही ने मनोहरलाल खट्टर से सवाल किया कि बाजरा उत्पादक किसान की फसल का एक-एक दाना 2350 रूपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीदने का दमगज्जा मारने के बाद सरकारी खरीद एजेंसियों ने बाजरा एमएसपी पर क्यों नही खरीदा? किसान का बाजरा मंडियों में 1600 से 1700 रूपये प्रति क्विंटल के भाव से क्यों लूटा जा रहा है? सरकार की कथित भावांतर योजना का लाभ किसान को धरातल पर क्यों नही मिल रहा? सरकारी खरीद एजेंसियां मुठ्ठीभर बाजरा भावांतर योजना के तहत खरीदकर क्यों भाग गई? किसानों को बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य मंडी में लिए, इसके लिए भाजपा सरकार ने कोई भी प्रयास क्यों नही किया? 

वहीं विद्रोही ने भाजपा सरकार से पूछा कि अहीरवाल में सरसों की बिजाई शुरू हाने पर भी किसान को पर्याप्त मात्रा मेें डीएपी खाद क्यों नही मिल रहा? डीएपी खाद की कालाबाजारी क्यों हो रही है? 1350 रूपये प्रति कट्टे के हिसाब से मिलने वाला डीएपी खाद काले बाजार में 1500-1600 रूपये प्रति बैग क्यों मिल रहा है? क्या सत्ताधारी संघी नेता खाद व्यापारियों से मिलकर किसान को नही लूट रहे? पूरे हरियाणा में खाद के लिए लम्बी-लम्बी लाईने क्यों लग रही है? रातभर लाईनों में होने खड़े होने के बाद भी खाद क्यों नही मिल रहा? विद्रोही ने कहा कि जब गेंहू बिजाई भी शुरू हो जायेगी और फसल बिजाई जोरो पर होगी, तब तक खाद की क्या स्थिति होगी, यह बताना भी बेमानी है। भाजपा सरकार जुमलेबाजी करके किसान आय दोगुना करने का झूठा राग अलापकर किसानों को ठग रही है जबकि किसान आय घटती जा रही है। उस पर कृषि कर्ज बोझ बढ़ता जा रहा है क्योंकि किसान को मंडियों मेें न तो फसलों का घोषित एमएसपी मिलता है और न ही फसलों के लिए खाद मिलता। भाजपा सरकार पर काबिज संघी अनाज व्यापारियों, कालाबाजारियों से मिलकरे किसान को बुरी तरह से लूटकर अपनी व अपने समर्थक व्यापारियों की तिजौरियां सत्ता दुरूपयोग से भर रहे है। 

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