10 हजार एकड जमीन में बनाये जाने वाला कथित जंगल सफारी प्रोजेक्ट वास्तव में अरावली क्षेत्र की जंगल, पहाड व रिर्जव फोरेस्ट की जमीन को पर्दे के पीछे से पर्यटन के ना पर होटल व रिजोर्ट के के लिए धन्ना सेठों को सौंपने का षडयंत्र है। विद्रोही
भाजपा खटटर सरकार ने जंगल सफारी प्रोजेक्ट के नाम पर अरावली व रिवर्ज फोरेस्ट की बहुमूल्य जमीन पर्यटन को बढ़ावा देने होटलो व रिजोर्टस व मंनोरंजन के नाम पर धन्नासेठों को देने की तिकडमे भिडाई है। विद्रोही
भाजपा खट्टर सरकार जंगल सफारी परियोजना के बहाने अरबो रूपये बनाने का जो खेल खेल रही है, उससे अरावली क्षेत्र तो इससे बर्बाद होगा ही, साथ में स्थानीय लोग में सांस्कृति प्रदूषण भी फैलेगा । विद्रोही

06 अक्टूबर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि गुरूग्राम की अरावली पहाडियों में 10 हजार एकड जमीन में बनाये जाने वाला कथित जंगल सफारी प्रोजेक्ट वास्तव में अरावली क्षेत्र की जंगल, पहाड व रिर्जव फोरेस्ट की जमीन को पर्दे के पीछे से पर्यटन के ना पर होटल व रिजोर्ट के के लिए धन्ना सेठों को सौंपने का षडयंत्र है। विद्रोही ने कहा कि जंगल सफारी परियोजना अपने आप में बहुत बडा घोटाला है जिसके माध्यम से भाजपा-संघ अरबो रूपये कमाने की तिडकमे भिडा रहे है। जंगल सफारी परियोजना कहने को तो अरावली पहाडियों की सुरक्षा व वन्य जीव की रक्षा के नाम पर बनाई जा रही है, पर वास्तविकता इसके विपरित है। इस परियोजना का मकसद देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक अरावली क्षेत्र की जमीन को पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर धन्नसेठों को होटल व रिजोर्ट खातिर देने के षडयंत्र के अलावा कुछ नही है। लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पूर्व भी भाजपा खट्टर सरकार अरावली क्षेत्र की जमीन को हडपने पंजाब भू-सरंक्षण अधिनियम 1901 में परिवर्तन कर चुकी है। 

विद्रोही ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले पंजाब भू-सरंक्षण अधिनियम 1901 में परितर्वन करके भाजपा-संघ धन्नसेठों से हजारो करोड़ रूपये चुनाव के लिए ऐंठा था, उस धन को सुप्रीम कोर्ट के अड़ंगे के कारण भाजपा रिटर्न गिफ्ट में पूंजीपतियों को वापिस नही लौटा सकी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब भू-सरंक्षण अधिनियम 1901 में किये गए परिवर्तनों पर रोक लगाकर अरावली क्षेत्र की जमीन धन्नासेठों को देने के भाजपा-खट्टर सरकार के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। भाजपा को लोकसभा चुनाव से पहले मोटा माल देने वाले धन्नासेठ लगातार भाजपा सरकार पर अरावली क्षेत्र में जमीन देने का दबाव बनाते आ रहे है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रूख के कारण सरकार पंजाब भू-सरंक्षण अधिनियम 1901 में किये गए बदलाव के बाद चाहकर भी अरावली की पहाडी व रिजर्व फोरेस्ट को सामान्य भूमि नही बना पा रही और धन्नासेठ उक्त जमीन नही ले पा रहे। विद्रोही ने कहा कि अब भाजपा खटटर सरकार ने जंगल सफारी प्रोजेक्ट के नाम पर अरावली व रिवर्ज फोरेस्ट की बहुमूल्य जमीन पर्यटन को बढ़ावा देने होटलो व रिजोर्टस व मंनोरंजन के नाम पर धन्नासेठों को देने की तिकडमे भिडाई है। भाजपा खट्टर सरकार जंगल सफारी परियोजना के बहाने अरबो रूपये बनाने का जो खेल खेल रही है, उससे अरावली क्षेत्र तो इससे बर्बाद होगा ही, साथ में स्थानीय लोग में सांस्कृति प्रदूषण भी फैलेगा जिसके दुष्परिणाम दक्षिणी हरियाणा की आने वाली पढियों को भुगतने पड़ेगे। 

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