भारी बरसात के बावजूद धरने पर मजबूती से डटे हुए हैं किसान

1810 एकड़ जमीन किसी कीमत पर नहीं देंगे-नहीं देंग,े गूंजे नारे

मानेसर तहसील के सामने 3 माह से जारी अनिश्चितकालीन धरना

फतह सिंह उजाला

मानेसर / पटौदी । मानेसर नगर निगम, सबडिवीजन और औद्योगिक क्षेत्र मानेसर इलाके के गांवों के किसानों के द्वारा 1810 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त करवाने का अनिश्चितकालीन आंदोलन शुक्रवार को भी जारी रहा। शनिवार को किसानों के इस आंदोलन की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि जमीन को बचाने का आंदोलन बरसात के बाद लबालब भरे जल के बीच भी जारी रहा। किसान बचाओ जमीन बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े हुए अनेक किसान धरना स्थल पर ही अपना बिस्तर लगा कर रात- दिन अपना संघर्ष शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखे हुए हैं ।

शनिवार को भी मानेसर तहसील क्षेत्र में 55 मिलीमीटर बरसात के बावजूद कासन, कुकड़ोला, सहारावन, फाजिल वास , मोकलवास , पुखरपुर , खरखड़ी , बासलंबी इत्यादि गांवों के प्रभावित किसान जमींदार और निवासी धरना स्थल पर मजबूती से डटे रहे । इस दौरान अपने अपने हाथों में मांगों के समर्थन में लिखी पट्टियां लिए हुए प्रभावित किसानों और निवासियों के द्वारा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपना रोष जाहिर किया गया । इस दौरान बरसाती पानी के बीच मैं ही खड़े हुए रहकर कई घंटे तक किसानों के द्वारा अपना विरोध प्रदर्शन कर सरकार के समक्ष मजबूत इरादे जाहिर कर दिए गए कि  मौसम चाहे गर्मी सर्दी बरसात आंधी तूफान कैसा भी हो, 1810 एकड़ और 1128 एकड़ जमीन सरकार को किसी कीमत पर भी अधिग्रहण नहीं करने देंगे ।

गौरतलब है कि बीती 18 सितंबर को भी जमीन अधिग्रहण के दायरे से पूरी तरह मुक्त करवाने के लिए दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे के पचगांव चौक पर भी मानेसर सहित आसपास के 72 गांव की महापंचायत का आयोजन किया गया था। इस महापंचायत में विभिन्न प्रांतों के बड़े किसान नेता चेहरे भी पहुंचे थे और सभी ने मानेसर क्षेत्र के किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए किसान एकता और एकजुटता बनाए रखने का आह्वान किया था । हालांकि इस दौरान मौके पर पहुंचे गुरुग्राम के एडीसी के द्वारा भरोसा दिलाया गया था कि जल्द ही किसान प्रतिनिधि मंडल की बैठक हरियाणा सरकार एचएसआईडीसी के अधिकारियों के साथ करवाई जाएगी। किसान बचाओ – जमीन बचाओ संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल की जमीन के मुद्दे को लेकर कई दौर की बातचीत सरकार, एचएसआईडीसी तथा प्रशासनिक अधिकारी स्तर पर भी हो चुकी है । लेकिन कोई भी ठोस समाधान निकलता दिखाई नहीं दे रहा है ।

शनिवार को जिस प्रकार से किसान बचाओ जमीन बचाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारी और गांवों के प्रभावित किसानों के द्वारा बरसाती पानी भरा होने के बाद भी अपना धरना प्रदर्शन जारी रखा गया । उसे देखते हुए यह तो स्पष्ट हो चुका है कि यह आंदोलन ठीक उसी प्रकार से लंबा चल सकता है, जिस प्रकार से कृषि कानूनों के मुद्दे को लेकर किसान आंदोलन जारी रहा था । हालांकि इस मामले में पटौदी क्षेत्र के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के द्वारा भी एचएसआईडीसी के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर किसानों की मांगों का समर्थन किया जा चुका है। इतना ही नहीं विधानसभा सत्र के दौरान भी उनके द्वारा यह मामला विधानसभा अध्यक्ष के माध्यम से हरियाणा सरकार के समक्ष लाया जा चुका है ।

इस दौरान सीएम मनोहर लाल खट्टर के द्वारा एक नया अलग ही प्रस्ताव किसान बचाओ जमीन बचाओ संघर्ष समिति के समक्ष रखा जाने की बात सामने आई। जिसमें कहा गया है कि यदि प्रभावित किसान सहमति दें तो इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाकर किसानों को राहत प्रदान की जा सकती है । लेकिन 18 सितंबर को जिस प्रकार से किसानों के द्वारा अल्टीमेटम दिया गया था , वह समय भी नजदीक आता जा रहा है । यह अब आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो सकेगा कि जमीन की जंग में प्रभावित किसान या फिर कथित रूप से अपनी जिद पर पड़ी हुई गठबंधन सरकार दोनों में से किसका पलड़ा भारी रहेगा । लेकिन इस बात से भी पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता कि 1810 और 1128 एकड़ जमीन का यह मामला मानेसर नगर निगम चुनाव, गुरुग्राम नगर निगम चुनाव, जिला परिषद चुनाव से लेकर यदि जमीन की समस्या और मुद्दे का समाधान नहीं हुआ तो विधानसभा, लोकसभा चुनाव में भी मुद्दा बनने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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