कनाडा के टोरंटो में श्री कृष्ण लीला के मंचन के अवसर पर भाव विभोर हुए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री

हिसार, 20 सितंबर। कनाडा की महान धरती पर आज मैं भगवान श्री कृष्ण की नाट्य प्रस्तुति देखकर भाव-विभोर हो गया हूं। ऐसा लग रहा है जैसे मैं भगवान श्री कृष्ण के साक्षात दर्शन कर रहा हूं। हम इसका अत्यधिक आनंद तभी उठा सकते हैं, जब हमारी आस्था और विश्वास इसके साथ जुड़ा हो।

यह बात शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता ने कनाडा के टोरंटो शहर में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अंतिम दिन लिविंग आर्ट्स द्वारा आयोजित जियो गीता-शो के अवसर पर कही। कार्यक्रम का संयोजन हिसार से कनाडा में हिन्दू धर्म प्रचारक के तौर पर कार्य कर रहे आचार्य ऋषि राज शर्मा ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कुंज बिहारी की भव्य आरती व दीप प्रज्वलित कर की गई। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में प्रवासी भारतीयों और वहां के मूल निवासियों ने कृष्ण लीला का आनंद उठाया।

मंच संचालन आचार्य ऋषि राज ने किया। कार्यक्रम की शानदार प्रस्तुति भारत के विभिन्न राज्यों से गए व कनाडा व अन्य देशों के कलाकारों द्वारा किया गया, जो अधिकतर बालक-बालिका श्री कृष्ण-राधिका व गोपियों की वेशभूषा में मनोरम दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। श्री कृष्ण लीला में कृष्ण-सुदामा प्रसंग, ग्वाल बालों के साथ गैया चराने जाना, ग्वाल बालों द्वारा माता यशोदा से मिट्टी खाने की शिकायत  शायद ही कोई भी दर्शक आनन्द विभोर हुए बगैर रह पाया हो। कार्यक्रम बहुत ही भव्य व सराहनीय रहा।

कैबिनेट मंत्री डॉ कमल गुप्ता ने कहा कि धार्मिक भावना से जुड़े नाट्य मंचन हमारे जीवन को उत्कृष्ट बनाने में अपना सीधा प्रभाव छोड़ते हैं। इसका अत्यधिक लाभ तभी उठाया जा सकता है, जब हम इसे आध्यात्मिक तौर पर ग्रहण करें। डॉ कमल गुप्ता ने कहा कि हमे अपनी महान भारतीय संस्कृति पर गर्व है। यह दुनिया को जियो और जीने दो का संदेश देती है। सभी प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो यह हमारे जीवन के मूल मंत्र है। हम विश्व कुटुम्बकम में विश्वास करते हैं। पूरा विश्व एक परिवार है, ऐसा जीवन दर्शन शायद ही दुनिया की किसी सभ्यता में देखने को मिले।

मीडिया प्रभारी सुरेश गोयल धूप वाला ने बताया कि टोरंटो शहर के मुख्य चौक पर हवन यज्ञ का आयोजन किया गया,  जिसमे निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता ने यजमान की भूमिका निभाई। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तीसरे दिन टोरंटो शहर में भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में पंद्रह देशों के लोगों ने भाग लिया।

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