-कमलेश भारतीय सच कहता हूं कि राजनीतिक चुटकियां किसी भी फिल्म के संवादों से कम नहीं होतीं । बहुत शुरू में प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी तब प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सवाल पूछा करते था इंडियन एक्सप्रेस व जनसत्ता में । किसी पत्रकार ने राजीव गांधी से पूछा इस बारे में तो जवाब दिया कि कुत्ते भौंकते रहते हैं । यही जवाब जब राम जेठमलानी के पास पहुंचा तो फिर जवाब आया कि कुत्ते वहीं भौंकते हैं , जहां कुछ गलत देखते हैं । यह अपने समय का बहुचर्चित संवाद रहा । जब पंजाब के मुख्यमंत्री रहे ज्ञानी जैल सिंह को श्रीमती इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति का प्रत्याशी घोषित किया तो उन्होंने कहा कि यदि इंदिरा गांधी मुझे कहीं झाड़ू लगाने को कहेंगी तो वह भी लगाऊंगा । यह भी राष्ट्रपति पद की गरिमा के अनुकूल नहीं या लेकिन आज तक याद है यह डायलाॅग ! हालाँकि बाद में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ जब ज्ञानी जैल सिंह की ठन गयी तब जो चिट्ठियां लिखीं वे भी खूब चर्चित रहीं । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अपनी मृत्यु से एक दिन पहले दिये गये भाषण में यह कहना कि मेरे खून की एक एक बूंद भी देश के काम आये , यही मेरी चाहत है । यह डायलॉग आज भी आंखों में नमी ला देता है । ऐसे ही अंतिम समय महात्मा गांधी का हे राम कहना भी चर्चित है । यह भाजपा के आईटी सेल का कमाल है कि राहुल गांधी को पप्पू बना दिया तो कांग्रेस की आईटी सेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फेंकू का नाम देने में कमी न छोड़ी! जब पहली बार प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी बनाये गये नरेंद्र मोदी तब कांग्रेस के नेताओं ने चायवाला कहकर मज़ाक उड़ाया और भाजपा ने जवाब में नमो टी स्टाल खोलकर विजय का रास्ता बना लिया ! इधर हमारे हरियाणा में कम संवाद नहीं हुए । फतेहाबाद उपचुनाव की बात है । विश्राम गृह में चौ भजनलाल ठहरे हुए थे । बाहर से जोर जोर से दरवाजा खटखटाया गया तो पूछा -कौन ? जवाब में मुख्यमंत्री चौ बंसीलाल बोले -पढ़या लिख्या जाट सूं ! इस पर मज़ाक में ही जवाब आया कि लगते तो कोई नी! इसी तरह जिन दिनों चौ भजनलाल कांग्रेस से अलग हो गये और शहर शहर अपने कार्यकर्त्ताओं के बीच चाय के प्रोग्राम रखने लगे तब पत्रकारों ने उन दिनों मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से पूछा तो वे मज़ाक मे बोले कि बुढ़ापे में इतनी चाय अच्छी नहीं ! यह भी खूब चर्चित रहा । हमारे हिसार के दुनिया भर में प्रसिद्ध उद्योगपति स्टीलमैन के रूप मे जाने गये ओ पी जिंदल जब हविपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए तो सवाल आया की क्यों छोड़कर आ गये ? जवाब -बुआ जाऊं जाऊं करे थी , फूफा लेण आ गया । फिर भी चौ बंसीलाल से बिगड़ने का कारण ? जवाब -गाय दुधारू तो थी पर लात की मार खाने को तैयार न था ! बाबू ओ पी जिंदल सीधे सीधे हरियाणवी मुहावरों में जवाब देते थे । चौ बीरेन्द्र सिंह का डायलॉग भी कम मशहूर नहीं -राजनीति में मैं दरियां बिछाने नहीं आया ! इधर कांग्रेस के नये अध्यक्ष उदयभान ने भी कल हिसार के कांग्रेस भवन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नरेंद्र मोदी का मदारी कह दिया । अब अरविंद केजरीवाल क्या जवाब देंगे ? हैं तो वे भी हरियाणा के ही । किसी चुटीले जवाब की इंतजार है । वैसे अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आये थे तब मंडी आदमपुर की जनसभा में कहा कि मंडी आदमपुर की दुकान नम्बर 107 अब बंद हो जायेगी । जवाब कुलदीप बिश्नोई की ओर से -बहुत लोग आये यह दुकान बंद करवाने । उनकी अपनी दुकानें बंद हो गयीं ! यह भी मज़ेदार रहा ! इधर भाजपा से कांग्रेस में शामिल होते ही वरिष्ठ नेता करण सिंह रानोलिया ने मज़ेदार आरोप लगाते कहा कि कुलदीप बिश्नोई व रेणुका बिश्नोई मंडी आदमपुर उपचुनाव के चुनाव मे पिकनिक मनाने आते हैं ! अभी देखिए कि क्या जवाब आता है ! इसीलिए कह रहा हूं कि फिल्मी संवादों से ज्यादा मजा राजनैतिक सचुटकियों में मिलता है ! Post navigation गीता का संदेश पूरी मानवता के लिए प्रेरणीय: कैबिनेट मंत्री डॉ कमल गुप्ता हरियाणा में बदलाव निश्चित है और इसकी नींव आदमपुर चुनाव से पड़ेगी – दीपेन्द्र हुड्डा