18 सितम्बर को किसान करेंगे महापंचायत, लेंगे निर्णायक फैसला
मांगें पूरी नहीं की तो करेंगे सीएम का घेराव
महापंचायत में देशभर के किसान करेंगे शिरकत

गुरुग्राम। 18 सितम्बर रविवार को पचगांव चौक पर जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष कमेटी द्वारा की जा रही महापंचायत को लेकर सिविल लाइंस स्थित शमां रेस्टोरेंट में प्रैसवार्ता का आयोजन किया गया। कमेटी के प्रधान व खोह
गांव के पूर्व सरपंच रोहताश यादव ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल, गुरुग्राम लोकसभा के सांसद राव इंद्रजीत सिंह व विधायक से कई बार मुलाकात कर 1810 एकड़ जमीन कासन, सहरावन, कुकडोला, फजलवास, पूखरपुर, मोकलवास, खरखड़ी, बासलांबी की 1128 एकड़ जमीन अधिग्रहण का मामला उनके समक्ष उठाया गया और पिछले 85 दिनों से धरने पर बैठे किसानों की मांगों को मानने का आग्रह किया गया, लेकिन सरकार अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि कमेटी किसी भी हालत में यह जमीन सरकार को नहीं देगी। कानून के दायरे में रहकर ही वे अपनी आवाज उठाते रहेंगे और संघर्ष करेंगे।

सत्यदेव शर्मा ने कहा कि सरकार का काम लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराना, रोजगार देना और उन्हें बसाना होता है, उजाडऩा नहीं। सरकार हठधर्मिता का त्याग कर किसानों की आवाज को सुने और बिना किसानों की मर्जी के भूमि
अधिग्रहण न करे। उन्होंने कहा कि धरने में निर्णय लिया गया कि 18 सितम्बर को पचगांव चौक पर एक किसान महापंचायत का आयोजन करने का निर्णय लिया है, जिसमें पूरे भारतवर्ष से किसानों को आमंत्रित किया गया है। उस दिन टोल फ्री किया जाएगा। यदि सरकार फिर भी किसानों की मांग नहीं मानती है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री जब भी गुरुग्राम आएंगे तो उनका घेराव किया जाएगा।

जो किसान देश का पेट पाल रहा है आज उस किसान को अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 के जनवरी माह में प्रदेश सरकार ने 1810 एकड़ भूमि पर सैक्शन 4 लगा दिया था, जिसके बाद 2011 की 25 अप्रैल को स्टे हो गया। 1040 मामले में एजी ने हाईकोर्ट में आग्रह किया था कि वे एक हाईपॉवर कमेटी बनाकर मामले का समाधान कर लेंगे। उसके बाद किसी भी प्रकार की कमेटी का गठन नहीं किया गया और प्रदेश सरकार व एचएसआईआईडीसी ने सैक्शन 6 के तहत 1894 व 2014 एक्ट लगा दिए। प्रदेश सरकार ने 55 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से रेट तय किए थे, जोकि बाजार भाव के हिसाब से बहुत कम हैं।

उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि 1810 एकड़ भूमि को छोड़ा जाए तथा 16 अगस्त 2022 को 1810 अवार्ड दिया गया है और 1128 को 2020 में अवार्ड दिया गया है। नई आबादी के साथ जो गांव धानियां की भूमि छोड़ दी जाए, 11 करोड़ रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए, 1128 एकड़ भूमि मामले में मार्किट वेल्यू दी जाए, 2008 से 2022 तक इंटरेस्ट दिया जाए, आरआर पॉलिसी के प्लॉट 2008 के रेट के हिसाब से दिए जाएं, स्ट्रक्चर का भुगतान किया जाए। भूपेंद्र उर्फ बंटी ने कहा कि किसान अपनी जमीनें किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। किसानों का संघर्ष जारी रहेगा, जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती।

वजीराबाद के पूर्व सरपंच व जजपा के राष्ट्रीय सचिव सूबे सिंह बोहरा ने कहा कि भाजपा, कांग्रेस की सरकार बनाने में अहीरवाल क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। दक्षिण हरियाणा में अहीरवाल के समर्थन से ही विधायक चुने गए हैं। अहीरवाल ने ही अरविंद शर्मा, राव इंद्रजीत सिंह व धर्मवीर को लोकसभा तक पहुंचाया है। उम्मीद है कि सरकार 18 सितम्बर से पहले किसानों की मांगों को मान लेगी। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि वे किसानों की आवाज को शासन-प्रशासन तक पहुंचाएं।

समाजसेवी वशिष्ठ कुमार गोयल ने कहा कि किसान, मजदूर, कर्मचारी अदालत में जब जाते हैं जब उन्हें सरकार से निराशा मिलती है। उन्हें मजबूरन अदालत का सहारा लेना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे किसानों की बातों को सुने और समझें तथा एक कमेटी का गठन करें। कमेटी में उच्च स्तर के अधिकारी एवं किसानों की कमेटी की लिस्ट बनाई जाए। उनके लिए समय तथा तिथि तय किया जाए। यदि सरकार ईमानदारी से इस कार्य को करेगी तो यह मामला
मात्र 5 मिनट में निपट जाएगा।

प्रैसवार्ता के दौरान कमेटी के प्रधान व खोह गांव के पूर्व सरपंच रोहताश यादव, उप प्रधान व कासन के सरपंच सत्यदेव शर्मा, भूपेंद्र बंटी, विजय नंबरदार बजीरपुर, जितेंद्र नंबरदार, श्योचंद सरपंच, बजीराबाद गांव के पूर्व सरपंच एवं जजपा के राष्ट्रीय सचिव सूबे सिंह बोहरा, समाजसेवी वशिष्ठ गोयल, वेद रामपुरा, खेडक़ीदौला अहीर रेजिमेंट मोनू यादव, रीना यादव, हेमलता यादव, वीरेंद्र यादव, मोतीाल, फतेह सिंह नंबरदार, देशराज यादव, संजय शर्मा, रोशनलाल थानेदार, विजय नंबरदार, कृष्ण मोकलवास, जितेंद्र, वेद यादव, श्योचंद सरपंच, खेमचंद नंबरदार, महेंद्र पटवारी, अशोक नंबरदार कन्हई, हुकमसिंह, राजवीर यादव, धर्मवीर सरपंच, धर्मवीर पार्षद आदि किसानों ने अपने विचार रखे।

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