भाजपा भी यह कहने कि तैयारी में है कि अब तेरे बिन.. जी लेंगे हम अगर पार्टी चुनाव लड़ाने का निर्णय लेती है, तो वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार: डा. सुधा यादव गुरुग्राम या भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से मैदान में उतरने के पूरे आसार अशोक कुमार कौशिक अहीरवाल कि राजनीति में एक बार फिर गर्माहट देखने को मिल रही है I जहां राव इंद्रजीत ने अपना रुझान भाजपा से ज्यादा इंसाफ मंच कि ओर किया हुआ है, वहीं भाजपा भी यह कहने कि तैयारी में है कि अब तेरे बिन.. जी लेंगे हम I पूर्व सांसद सुधा यादव ने भी अपना जनसम्पर्क अभियान शुरू कर दिया है और उन्हें अच्छा-खासा समर्थन भी मिल रहा है I राव इंद्रजीत सिंह से खफ़ा भाजपा नेता और कार्यकर्ता सुधा यादव के समर्पण करने लगे हैं। जिनको अभी संकोच है वह समय कि हवा के साथ आ सकते है I कुल मिलाकर देखा जाये तो अहीरवाल में विधानसभा और लोकसभा चुनाव पार्टी आधार पर कम और ‘रामपुरा हाउस और रामपुरा हाउस के खिलाफ’ पार्टीयों के बीच होगा I गत 1999 के लोकसभा चुनावों में भारी मतों से जीत हासिल करने वाली पूर्व सांसद डा. सुधा यादव के लिए इस बार लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरना तय माना जा रहा है। गत दो लोकसभा चुनावों में भाजपा की टिकट से वंचित रह चुकी डा. सुधा यादव अब भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति और संसदीय बोर्ड की सदस्य हैं। एक तरह से अब वह टिकट मांगने वालों की जगह टिकट तय करने वाली टीम शामिल हो चुकी हैं। ऐसे में उनके लिए इस बार अहीरवाल क्षेत्र की गुरुग्राम या भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से मैदान में उतरने के पूरे आसार हैं। अपने मायके मोतला कलां में आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने वर्ष 1999 के जोश को बरकरार रखने और इस जोश को दिल्ली तक पहुंचाने की बात कहते हुए इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वह एक बार फिर संसद भवन की ओर कदम रखने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। कारगिल लहर के चलते महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर अहीरवाल के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत सिंह को मतों के भारी अंतर से हराने के बाद पहली बार संसद में पहुंचने वाली डा. सुधा यादव लगातार राजनीति की बदली हुई परिस्थितियों का शिकार होती रहीं। इससे अगले ही चुनाव में वह राव इंद्रजीत सिंह के हाथों हार गई थीं। इसके बाद वह अहीरवाल और भाजपा की राजनीति के उतार-चढ़ाव भरे दौर का सामना करने को मजबूर हो गईं। गत दो लोकसभा चुनावों में टिकट नहीं मिलने के कारण वह शांत बैठकर तमाशा देखती रहीं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के सहारे उनके लिए दूसरी बार संसद पहुंचने की राह मुश्किल नहीं थी, परंतु राव इंद्रजीत सिंह की चुनावों से ठीक पहले एंट्री ने उनका रास्ता रोक दिया था। राव ने खुद गुरूग्राम लोकसभा क्षेत्र से टिकट की मांग रखते हुए भिवानी-महेंद्रगढ़ से चौ. धर्मबीर को आगे करते हुए डा. सुधा यादव की टिकट का रास्ता रोक दिया था। पार्टी में अनुशासन का परिचय देते हुए सुधा यादव शांत होकर उचित समय का इंतजार कर रही थीं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले सांसद चौ. धर्मबीर सिंह सार्वजनिक रूप से यह चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुके थे, परंतु राव की मोदी लहर में ‘जीत की गारंटी’ ने उन्हें एक बार फिर चुनाव लड़ने को तैयार कर दिया था। डा. सुधा यादव को एक बार फिर निराशा हाथ लगी थी। इस बार वह गुरूग्राम या भिवानी-महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही हैं। इस बार बब्बर शेर को अनेक शेर घेरने लगे हुए है I यह समय हो बताएगा कि सभी शेर मिलकर बब्बर शेर को राजनीति से बाहर कर पायेंगे या नहीं I राव इंद्रजीत अभी समझ नहीं पा रहे कि वह भाजपा में रहे या आम आदमी पार्टी में जाये या फिर इंसाफ मंच को फिर से खड़ा कर अपने उमीदवारों को मैदान में उतारे I भविष्य में अहीरवाल से भाजपा के जो विधायक है उनका राव इंद्रजीत के साथ अब जाना मुश्किल ही लगता है I चुनाव लड़ने का निर्णय पार्टी तय करेगी डा. सुधा यादव ने पार्टी में उनकी जिम्मेदारी बढ़ चुकी है। उनके चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने का निर्णय पार्टी को लेना है। अगर पार्टी चुनाव लड़ाने का निर्णय लेती है, तो वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वाएगी, तो लोस क्षेत्र का निर्णय भी पार्टी हाईकमान ही तय करेगा। उन्होंने कहा कि अब अहीरवाल क्षेत्र की राजनीति का दौर बदल चुका है। सांसद बनाने का दावा करने वाले लोगों के पास नप और नपा के चेयरमैन बनाने तक की पावर नहीं बची है। अगर पार्टी मौका देती है, तो वह चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। डा. यादव ने कहा कि अब उन पर पार्टी की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ चुकी है, इसलिए वह इस जिम्मेदारी को सर्वोपरि मानते हुए ही पार्टी हित में काम करेंगी। सबसे पहले हम बात करते है गुरुग्राम लोकसभा सीट की,तो राव इंद्रजीत के खिलाफ दो बराबर के उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे। एक कप्तान अजय यादव जिनका कांग्रेस की टिकट पर लड़ना लगभग तय है और दूसरा उम्मीदवार भाजपा का होगा,जिसमें सुधा यादव,नरवीर राव और भूपेंद्र यादव में से किसी एक का हो सकता है I टिकट मिलने कि सम्भावना सुधा यादव कि ज्यादा है क्योंकि वह इस लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी है I भूपेंद्र यादव का जनाधर नहीं है और राव नरवीर सुधा यादव का विकल्प हो सकते अगर सहमति हो तो I व्यक्तिगत रूप से राव इंद्रजीत का जनाधर तो इन सबसे ज्यादा है परन्तु भाजपा का हिंदुत्व और कांग्रेस का मुस्लिम, दलित वोट बैंक राव राजा को कमजोर कर सकता है I उनके आम आदमी पार्टी में जाने से गरीब और मुस्लिम वोट को केजरीवाल की नीतियों के कारण अपने तरफ कर सकते है I रामपुरा हाउस के लिए एक विकल्प और भी हो सकता है, वह है कि अगर इनेलो और जेजेपी एक होती है तो वह उनसे अपना ताल-मेल बना सकते है I Post navigation हिप्पोक्रेसी क्या होती है, जरा समझिये……. वार्ड वाइज आरक्षण की सूची मिलते ही होगी चुनाव की घोषणा : धनपत सिंह