स्कूल में विभिन्न टीचर की पोस्ट खत्म करने को लेकर गुस्सा
स्टाफ की समस्या को लेकर एक दिन पहले ही एमएलए से मिले
शुक्रवार को प्रातः 7. 30 बजे लगाया लॉक मिड डे मील लोटाया
मौके पर पहुंचे खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा दिया गया आश्वासन
सोमवार तक ग्रामीणों का अल्टीमेटम, मंगल को फिर लगेगा लॉक

फतह सिंह उजाला

टौदी । बीते कुछ दिनों से सरकारी स्कूलों को बंद करने की चर्चा और इसके विपरीत सरकार के द्वारा यह कहना कि स्कूलों सहित स्टाफ को मर्ज किया जा रहा है। इसके विपरीत पटौदी विधानसभा क्षेत्र के गांव बलेवा में गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में गुस्साए अभिभावकों और ग्रामीणों के द्वारा शुक्रवार को सुबह स्कूल के गेट पर लॉक लगा दिया गया । ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल में शिक्षा विभाग और सरकार के द्वारा प्रिंसिपल के अलावा हिस्ट्री , पॉलिटिकल साइंस के प्राध्यापक की पोस्ट समाप्त कर दी गई है । इसके अलावा कक्षा छह से आठवीं तक अंग्रेजी और समाजशास्त्र के टीचर की पोस्ट भी नहीं रही। स्कूल में खलीलपुर, महनियावास, दौलताबाद, खेतीयावास सहित मेजबान गांव के 266 छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए आते हैं ।

लेकिन यहां पर प्रिंसिपल सहित अन्य टीचिंग स्टाफ की पोस्ट समाप्त करने के कारण बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है । इस मामले को लेकर कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं किया गया। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के प्रधान पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह, राजेश बलेवा, कैप्टन रतिराम , सूबेदार छाजू राम, भूपेंद्र बलेवा, पूर्व सरपंच सतबीर, पूर्व पंच अजीत सिंह वह अन्य ग्रामीणों के मुताबिक स्कूल में टीचिंग स्टाफ की कमी और छात्रों की प्रभावित हो रही पढ़ाई के मुद्दे को लेकर एक दिन पहले ही पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के मानेसर आवास पर मुलाकात कर संबंधित स्कूल और छात्रों की समस्या के विषय में अवगत कराते हुए स्कूल में सभी खाली टीचिंग पोस्ट भरे जाने का अनुरोध किया गया । शुक्रवार को सुबह के समय अचानक ही ग्रामीणों के द्वारा गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल बलेवा के मुख्य गेट पर ताला लगा कर शिक्षा विभाग और हरियाणा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की गई ।

इस मामले की जैसे ही खंड शिक्षा अधिकारी डॉ धर्मपाल को जानकारी मिली वह मौका पर गांव बलेवा पहुंचे और वहां स्कूल प्रबंधन कमेटी सहित ग्रामीणों से अनुरोध किया कि स्कूल का गेट का ताला खोल दिया जाए। ग्रामीण और अभिभावक इसी मांग पर अड़े रहे कि कोई भी उच्च शिक्षा अधिकारी आकर स्कूल में खाली टीचिंग स्टाफ सहित प्रिंसिपल की पोस्ट पर नियुक्ति का आश्वासन दें, उसके बाद ही ताला खोलने पर विचार किया जा सकेगा । इसी बीच बच्चों के लिए मिड डे मील लेकर आने वाले वाहन को भी स्कूल के बाहर से ही वापस लौटना पड़ गया।

मौके पर मौजूद अभिभावकों में कृष्णा देवी, पूर्व सरपंच सुनीता देवी, ममता देवी, लक्ष्मी देवी , भागमती सहित अन्य के द्वारा कहा गया कि एक तरफ तो सरकार स्कूलों को अपग्रेड कर रही है , बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है । लेकिन दूसरी तरफ जो हकीकत है वह आज सभी के सामने हैं । जब स्कूल में स्कूल का मुखिया प्रिंसिपल सहित अन्य विषय पढ़ाने वाले टीचिंग स्टाफ ही उपलब्ध नहीं है तो बच्चे किस प्रकार से पड़ेंगे और आगे बढ़ेंगे ? ग्रामीणों के मुताबिक स्कूल की कक्षा ग्यारहवीं में हिस्ट्री के 24 छात्र और पॉलिटिकल साइंस के 21 छात्र के द्वारा एडमिशन लिया गया है और इन दोनों ही सब्जेक्ट के टीचिंग स्टाफ की पोस्ट को समाप्त कर दिया गया। इसी प्रकार से कक्षा छह से आठवीं तक अंग्रेजी विषय के स्कूल में लगभग 65 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं , लेकिन अंग्रेजी पढ़ाने वाला कोई भी टीचर उपलब्ध नहीं है। खंड शिक्षा अधिकारी डॉ धर्मपाल तथा स्कूल प्रबंधन कमेटी वह ग्रामीणों के बीच काफी देर तक हुई बातचीत के बाद लगभग 11. 30 बजे स्कूल का ताला खोल दिया गया।

लेकिन इसके साथ ही साफ साफ शब्दों में चेतावनी भी दी गई है कि सोमवार तक स्कूल में प्रिंसिपल सहित अन्य टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई तो मंगलवार को सकूल में एक बार फिर से लॉक लगा दिया जाएगा और इसके लिए पूरी तरह से शिक्षा विभाग, शिक्षा अधिकारी, राज्य सरकार की ही जवाबदेही होगी। दूसरी ओर इस समस्या के विषय में पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश चरावता के द्वारा एक दिन पहले ही शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से संबंधित स्कूल में टीचिंग स्टाफ की कमी को लेकर चर्चा की गई । ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल बलेवा से किसी भी टीचिंग स्टाफ और प्रिंसिपल की पोस्ट को समाप्त नहीं किया गया है । यथाशीघ्र स्कूल में जो भी बच्चे सब्जेक्ट पढ़ रहे हैं, संबंधित विषय के टीचिंग स्टाफ सदस्य उपलब्ध करवा दिए जाएंगे । अब देखना यह है कि मंगलवार के बीच केवल मात्र 2 दिन ही बचे हैं और ऐसे में कितनी तेजी और गंभीरता के साथ में ग्रामीणों की मांग को शिक्षा विभाग के द्वारा पूरा करते हुए छात्र-छात्राओं की पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रखने की पहल की जा सकेगी।ं 

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