खेला हुआ अरुण जेटली के माध्यम से
बीजेपी सरकार में सबसे ईमानदार मंत्री नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखाना इससे क्या साबित किया जा रहा है ?
अब राजनीति सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए हो रही है
नितिन गडकरी बहुत अच्छा कर रहे हैं डंकापति किसी दूसरों की लोकप्रियता देखना भी तो नहीं चाहते
बीजेपी नेताओं के लिए सबक है कि जो भी जवान खोलेगा उसका हाल भी यही किया जाएगा 

अशोक कुमार कौशिक 

2013 नितिन गडकरी का भाजपा अध्यक्ष के रूप में दुबारा आना तय था।‌ पर मोदी शाह के लिए सबसे मुश्किल बात थी गडकरी का दुबारा अध्यक्ष बन जाना। इसलिए खेला हुआ अरुण जेटली के माध्यम से। अरुण जेटली और तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम दोनो में अच्छी दोस्ती थी और उस वक्त अरुण जेटली मोदी गुट के साथ खुल के आ चुके थे। अरुण जेटली और पी चिदंबरम के बीच गडकरी को रोकने की डील हुई, और गडकरी की कंपनी पूर्ति ग्रुप पर इनकम टैक्स की रेड होना शुरू हुआ।

इधर मोदी एंड कंपनी ने भाजपा के अंदर शोर मचाना शुरू किया,ये कि इन गंभीर आरोपों के साथ गड़करी दुबारा अध्यक्ष कैसे बन सकते हैं । याद करिए जब तक जेटली जिंदा रहे पी चिदंबरम पर कोई कार्यवाही नहीं के बराबर हुई ।

मेरे विचार से वर्तमान में भारत सरकार और बीजेपी सरकार में सबसे ईमानदार मंत्री नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखाना इससे क्या साबित किया जा रहा है ?

हाल ही में नितिन गडकरी जी का  दो बयान दिए थे जिसमें गांधी नेहरू की तारीफ करते हुए कहा था कि तब राजनीति सेवा थी लोगों के लिए राजनीति किया जाता था अब राजनीति सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए हो रही है सारी लड़ाई सत्ता हथियाने की हो रही है मेरा तो मन करता है कि राजनीति से सन्यास ले लूं।

अभी से 4 महीने पहले बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में साहेब को एक मंत्री ने धमकी दिया था की 150 से ज्यादा सांसद हमारे संपर्क में हैं चाहूं तो पार्टी तोड़ दूं, लेकिन विचारधारा से मजबूर हूं , ऐसी खबरें मीडिया के सूत्रों के हवाले से आई थी लेकिन उस मंत्री जी का नाम सामने नहीं आ पाया था, क्या वह मंत्री नितिन गडकरी थे ? 

बीच-बीच में बहुत सारे मुद्दों पर वह अपनी ही सरकार के मंत्रियों से सवाल करते  हैं जैसे क्यों हम कोयला विदेश से खरीद रहे हैं ? क्यों हम आइसक्रीम खाने वाला चम्मच भी चाइना से खरीद रहे हैं? हम लिखने के लिए पेंसिल की लकड़ी और कागज भी विदेश से मंगवा रहे हैं जैसे प्रश्न वह खुद के ही सरकार के मंत्री से अक्सर किया करते हैं ।

यह बात तो सबको पता है कि नितिन गडकरी मोहन भागवत के करीबी हैं और यह बात भी तय है कि नितिन गडकरी जी से बीजेपी को कोई खतरा नहीं है लेकिन डंकापति यह भी तो नहीं चाहता है ना कि मोदी जी अच्छा कर रहे हैं कि बजाय लोग यह बोलने लगे कि नितिन गडकरी बहुत अच्छा कर रहे हैं डंकापति किसी दूसरों की लोकप्रियता देखना भी तो नहीं चाहते और ना ही सुनना चाहता है डंकापति के अलावा किसी और की चर्चा हो  डंकापति कभी भी नहीं चाहेगा।

नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड में शामिल ना करना क्या साहेब का बीजेपी नेताओं के लिए सबक है कि जो भी जवान खोलेगा उसका हाल भी यही किया जाएगा !

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