राजस्थान के जालौर जिले में एक शिक्षक द्वारा अनुसूचित जाति के छात्र के साथ की गई क्रूरता के विरोध में रेवाड़ी : राजस्थान के जालौर जिले में एक शिक्षक द्वारा अनुसूचित जाति के छात्र के साथ की गई क्रूरता के विरोध में जिला बार के अधिवक्ताओं ने आज बुधवार को राजस्थान के राज्यपाल के नाम अतिरिक्त उपायुक्त को एक ज्ञापन दिया। ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने मांग की कि दोषी अध्यापक को कठोरतम सजा दी जाए तथा पीड़ित परिवार को शीघ्र न्याय दिलवाया जाए। अधिवक्ताओं ने मांग रखी कि परिवार को पचास लाख रुपये का मुआवजा तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए तथा जांच के नाम पर पीड़ित परिवार को परेशान करना बंद किया जाए। पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया करवाई जाए ताकि अन्य प्रभावशाली लोग पीड़ित परिवार पर अनुचित दबाव ना बना सकें । यह मांग भी रखी गई कि जातिगत आधार पर हो रहे उत्पीड़न पर रोक लगाने के लिए सरकार व प्रशासन कठोर कदम उठाए व कानून का सख्ती से पालन करवाएं। इस मौके पर अधिवक्ताओं ने कहा कि देश की आजादी के 75 वर्ष बाद भी अनुसूचित जाति समाज व वंचित वर्ग पर आज भी अत्याचार हो रहे हैं। राजस्थान के जालौर जिला में एक अनुसूचित जाति समाज के बच्चे को स्कूल के शिक्षक द्वारा मटके का पानी पीने पर बेदर्दी से मार पिटाई करके मौत के घाट उतारा गया है। इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। ऐसी घटनाओं से समाज में आपसी भाईचारा व प्रेम प्यार को ठेस पहुंचती है। समस्त अनुसूचित जाति वर्ग समाज इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करता है और विरोध करता है। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता रोहतास सिंह, मोतीलाल नैनावत, जेपी भारती, ललिता भारती, हरकेश कुमार, जगत निनानिया, रविंद्र मेहरा, श्याम सिंह, रजवन्त डहीनवाल, पार्षद अधिवक्ता कुसुमलता पनवाल,सुखराम सांभरिया, राजरतन छिंपाडिया,सुनीता रंगा, सरिता बावलिया, राजू सोलंकी, मुकेश डहीनवाल, सुधीर मीरपुर, अमित कुमार, करण सिंह, अनिल कुमार नोटेरी, सतीश कुमार, सुरेन्द्र कुमार,सुरेश कुमार, पवन कुमार, टेकचन्द अहरोडिया ,धीरज कुमार, राजेन्द्र कुमार, चाँद राम वर्मा, विपिन राजोरा,हरिराम समेत अन्य अधिवक्ता गण उपस्थित रहे। Post navigation यह कैसा आजादी का अमृत महोत्सव है जिसमें केवल सत्तारूढ़ दल का कब्जा है : विद्रोही अहीरवाल के सभी वे नेता जयचंद, जो अपने निजी स्वार्थो की पूर्ति के लिए कपडों की तरह दल व विचार बदलते है : विद्रोही