हरियाणा में 75 स्थानों पर स्वतत्रंता दिवस समारोह सरकारी स्तर पर मनाया गया, लेकिन एक भी स्थान पर किसी भी स्वतत्रंता सेनानी से तिरंगा नही फहराया गया 16 अगस्त 2022 – आजादी अमृत महोत्सव के अवसर पर सरकारी स्तर पर मनाये गए 76वें स्वतत्रंता दिवस पर जिला प्रशासन रेवाडी द्वारा कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं को विधिवत रूप से आमंत्रित नही करने की स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कठोर आलोचना करते हुए भाजपा खट्टर सरकार से पूछा कि यह कैसा आजादी का अमृत महोत्सव है जिसमें केवल सत्तारूढ़ दल का कब्जा है। विद्रोही ने कहा कि आजादी आंदोलन में भाजपा के पित्तर संगठन आरएसएस की पैसेभर की भूमिका होना तो दूर की बात, वे तो आजादी आंदोलन दौरान अंग्रेजी हुकूमत के मुखबिर व दलाल थे। आज सत्ता के बल पर संघी बेशक अपना महिमामंडन करने इतिहास को तोड़-मरोडक़र अपने को कथित राष्ट्रवादी साबित करने का कृप्रयास कर ले, किन्तु उनका चाल-चरित्र नही बदला है जो आजादी अमृत महोत्सव जैसे गौरवमय जश्न को भी संघी कार्यक्रम में बदल डाला। वैसे भी जब से हरियाणा में लगभग 8 वर्ष पूर्व भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ हुई थी, तब से अब तक सुनियोजित ढंग से स्वतत्रंता दिवस व गणतंत्र दिवस के सरकारी समारोह से विपक्ष को दूर ही रखा जा रहा है। विद्रोही ने कहा कि आजादी महोत्सव के अवसर पर बेशक हरियाणा में 75 स्थानों पर स्वतत्रंता दिवस समारोह सरकारी स्तर पर मनाया गया, लेकिन एक भी स्थान पर किसी भी स्वतत्रंता सेनानी से तिरंगा नही फहराया गया जो बताता है कि भाजपा-संघी सरकार के मन में स्वतत्रंता सेनानियों के मन में कितना सम्मान है? वहीं आजादी के 75 वर्ष पूरे होने की पूर्व संध्या पर भाजपा द्वारा विभाजन त्रासदी दिवस मनाने के नाम पर लोगों के वर्षो पुराने जख्मों को कुरेदने के नाम पर औच्छी व गंदी राजनीति करके आजादी आंदोलन के नायक राष्ट्र निर्माता प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भारत विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराकर भाजपाई-संघीयों ने उन्हे लांछित करने का जो कुप्रयास किया है, वह घोर निदंनीय है। आज का दिन तो सभी राष्ट्र नायकों सहित पंडित नेहरू के देश के प्रति दिये गए योगदान के लिए उनका आभार करने का समय था, पर उनकी आभार करना तो दूर उनकी निंदा की गई व लालकिले की प्रचीर से ध्वजारोहण करते समय प्रधानमंत्री मोदी जी ने इसी स्थान पर आजादी का पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले नेहरू जी को सम्मानजनक स्मरण तक नही किया जो बताता है कि आज भी भाजपाईयों में अपने अंग्रेजी सरकार के मुखबिर व दलाल पुरखों जैसा ही विभाजनकारी खून दौड रहा है जिनका लोकतंत्र व लोकतांत्रिक परम्पराओं में किंचित मात्र का भी सम्मान नही हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के समापन अवसर पर नागरिकों को लोकतंत्र के नाम पर लादे जा रहे संघी फासीजम से सचेत रहने की जरूरत है। Post navigation स्वतंत्रता दिवस पर हरियाणा राजभवन में आयोजित हुआ ‘एट होम’ लम्पी स्किन बीमारी से पीड़ित पशुओं वाले जिलों में पहले लगाई जाएगी वैक्सीन- केंद्रीय पशुपालन मंत्री