आज हिसार दूरदर्शन व आकाशवाणी का एक ही प्रभारी

कमलेश भारतीय

सुषमा स्वराज की हिसार को देन है दूरदर्शन केंद्र । उद्घाटन अवसर पर मौजूद रहा था पत्रकार के रूप में । आज लगभग बीस साल हो गये । सुषमा स्वराज की कोशिशों से पहले दिन से ही न्यूज बुलेटिन चला था । जिस केंद्र को पैसे की कोई कमी न आने देने का विश्वास दिला कर गयी थीं , उस केंद्र में पूरा स्टाफ भी नहीं । अधिकारियों के कमरे खाली पडे हैं और पुराने कार्यक्रमों को ज्यादातर रिपीट किया जा रहा है । निदेशक सतीश वत्स स्वयं कलाकार हैं और इस केंद्र का समय भी बढ़वाने में उनका योगदान है लेकिन वे आकाशवाणी , रोहतक ट्रांस्फर किये गये । उनके बाद आए राजकुमार नाहर भी ज्यादा देर तक न रहे और अपने तबादले के लिए लगातार कोशिश करते रहे । आखिर तबादला पटना दूरदर्शन केंद्र हो गया । उनके बाद से कोई प्रभारी नहीं भेजा गया बल्कि सबसे हैरान कर देने वाली बात यह हुई कि आकाशवाणी हिसार के प्रभारी को ही दूरदर्शन केंद्र का भी संयुक्त प्रभार सौंप दिया गया ।

इससे केंद्र के सूचना व प्रसार मंत्रालय की मंशा सामने आ जाती है कि न आकाशवाणी और न ही दूरदर्शन केंद्र के प्रति यह मंत्रालय गंभीर है । क्या एक ही प्रभारी इन दोनों केंदों के साथ न्याय कर सकता है ? क्या स्तरीय कार्यक्रमों की कल्पना कर सकता है ? जिस हिसार दूरदर्शन केंद्र का नाम बदल कर अब हरियाणा कर दिया गया , उसके सिर्फ नाम बढ़ाने से क्या होगा ? इसके लिए प्रभारी को पूरे कार्यक्रम अधिकारी और अन्य स्टाफ दिया जाना चाहिए ।

इसके बावजूद नियमितिता से कार्यक्रमों का निर्माण कम ही होता है । आखिर सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देनी हो तो हिसार दूरदर्शन केंद्र की सुध लेनी चाहिए । अभी एक फोटोग्राफर जरूर भेजा है लेकिन जो पहले से है , उस पर ट्रांस्फर की तलवार लटक रही है । कभी हरियाणा की खबरों को प्रमुखता से दिखाया और कवर करवाया जाता था । अब वो बात नहीं । समाचारों की औपचारिकता पूरी की जाती है । क्या केंद्र सरकार इस केंद्र की ओर ध्यान देकर सुषमा स्वराज को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करेगी ?

हरियाणा के कलाकार फिल्मी दुनिया में जगह बना रहे हैं । अभी यशपाल की ‘दादा लखमी’ फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है । उससे भी पहले पगड़ी-द ऑनर व सतरंगी फिजाओं को भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिले । लेकिन दूरदर्शन पर नाटक का निर्माण अतीत की बात हो गयी है । कृषि कार्यक्रमों के एंकरों का स्तर भी सुधारने की जरूरत है । हिसार में ही कितनी नाटक मंडलियां आस लगाये हैं दूरदर्शन से लेकिन निराशा ही हाथ लगती है । हरियाणवी संस्कृति के लिए बनाये इस दूरदर्शन केंद्र से उम्मीद है कि वे कलाकारों को उचित प्रोत्साहन देंगे ।

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