पड़दादी और पड़नानी गिन्नी देवी के परिवार में पांच पीढ़ियां मौजूद
कोरोना कॉल में बजाई थाली और लगवाई कोरोना बचाव की डोज
जीवन के अंतिम समय तक भी करती रही छोटे-मोटे घरेलू कार्य

फतह सिंह उजाला

पटौदी । भारतीय सनातन मान्यता के मुताबिक धर्म शास्त्रों में परमात्मा के द्वारा मनुष्य की आयु 100 वर्ष निर्धारित की गई है । लेकिन मौजूदा समय में व्यक्ति की औसत आयु 60 से 65 वर्ष आकी जा रही है। फिर भी वह लोग और परिवार निश्चित ही सौभाग्यशाली और खुश किस्मत होते हैं, जिन परिवारों में बुजुर्ग व्यक्ति शतायु तक जीवन यापन करते हुए हमेशा जीवन में कार्य करने के लिए अपना संदेश और शिक्षा देकर जाए ।

हेली मंडी पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 6 में रहने वाली गिन्नी देवी पत्नी स्व गोरधन अपने जीवन के पूरे एक 100 वर्ष से अधिक समय का जीवन यापन कर नश्वर संसार को छोड़कर चली गई । एक 100 वर्ष से अधिक आयु तक जीवन यापन करने वाली गिन्नी देवी के परिवार में मौजूदा समय में पांचवी पीढ़ी का दौर चल रहा है । गिन्नी देवी के परिवार में पांचवी पीढ़ी के के सदस्य के रूप में 3 वर्ष का छोटा बच्चा मौजूद है । पड़दादी और पड़नानी बन चुकी गिन्नी देवी के द्वारा एक 100 वर्ष तक जीवन जीना आज की पीढ़ी के लोगों के लिए एक प्रेरणा से कम नहीं है । जीवन में अपने आपको सदा व्यस्त रखना , नियमित दिनचर्या और सादा खानपान के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण हमेशा खुश रहना , लंबी आयु का मुख्य कारण माना जाता है ।

बीते 2 वर्षों के दौरान जहां पूरी दुनिया और हर व्यक्ति कोरोना महामारी को लेकर चिंतित और परेशान रहा । ऐसे में एक 100 वर्ष से अधिक जीवन जीने वाली गिन्नी देवी के द्वारा अपनी दिनचर्या सहित खानपान में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया। परिवार के प्रत्येक सदस्य के द्वारा अंतिम समय तक उनकी देखभाल और सेवा की गई । अंतिम सांस लेने से पहले वह बीते कुछ दिनों से अवश्य अवश्य अस्वस्थ चल रही थी। 98 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद जो भी घर परिवार के छोटे-मोटे कार्य अपने हाथों से करना बेजुबान जानवरों के लिए पीने का पानी भर कर रखना जैसे कार्य उनके द्वारा नियमित रूप से किए जाते रहे । गली मोहल्ले सहित परिवार के सदस्यों को वह पल भी भुलाए नहीं भूल सकता , जब कोरोना महामारी के दौरान कोरोना को हराना के लिए पीएम मोदी के आह्वान पर प्रत्येक व्यक्ति और नागरिक के द्वारा 5 मिनट तक ताली और थाली दोनों बजाई गई ।

उस समय भी छोटे बच्चों के संग पूरी मस्ती और उमंग के साथ दादी गिन्नी देवी ने काशी का कटोरा लेकर कोरोना जैसी बीमारी को हराने का संदेश देते हुए काशी का कटोरा मुस्कुराते हुए बजाया गया। जैसा कि भारतीय समाज और सनातन संस्कृति में परंपरा चली आ रही है शतायु व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए उसकी पार्थिव देह को विमान रूपी अर्थी सजा कर अंतिम संस्कार के लिए स्वर्ग आश्रम तक ले जाया जाता है , ठीक इसी प्रकार से शतायु जीवन जीने वाली गिन्नी देवी की अंतिम यात्रा को परिवार सहित रिश्ते नातेदारो के द्वारा पूरा किया गया । शतायु गिन्नी देवी की अंतिम यात्रा के समय उनकी पार्थिव देह को ले जाते हुए विमान रुपी अर्थी पर दोनों तरफ हंड्रेड प्लस दादी और हंड्रेड प्लस नानी, विशेष रुप से लिखा गया । शतायु जीवन जीकर , अंतिम विदा लेते समय दादी गिन्नी देवी की अंतिम यात्रा में हेली मंडी क्षेत्र के अनेक गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे । अधिकांश लोगों की यही प्रतिक्रिया थी कि यदि व्यक्ति अपना जीवन सादा खानपान पर अमल करते हुए सात्विक विचारों के साथ सकारात्मक सोच को लेकर जिए, निश्चित रूप से अधिक से अधिक समय तक जीवन को जिया जाना संभव है । दादी और नानी गिन्नी देवी के द्वारा अपने जीवन काल में परिवार के सदस्यों आस-पड़ोस के लोगों सहित अन्य परिचितों को दी गई शिक्षा और बताई गई बातें निश्चित रूप से आजीवन उनकी याद ही दिलाती रहेगी।

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