गुरूग्राम, 28 जुलाई। गुरूग्राम की एसडीएम अंकिता चौधरी ने कहा कि यौन उत्पीड़न निरोधक अधिनियम – 2013 महिलाओं को कार्यस्थल पर आत्मसम्मान के साथ नौकरी करने के अधिकार देता है। ऐसे में जरूरी है कि सभी संस्थान इस अधिनियम के तहत निर्धारित मानदंडों के तहत अपने यहां आंतरिक समिति(आईसी)गठित करना सुनिश्चित करें। इसके अलावा, 10 या इससे अधिक संख्या वाले कर्मचारियों वाले संस्थान इसकी वार्षिक रिपोर्ट अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय, विकास सदन या ई मेल पता – [email protected] पर भिजवाना सुनिश्चित करें।

वे आज लघु सचिवालय स्थित कान्फ्रेंस हॉल में यौन उत्पीड़न निरोधक अधिनियम – 2013 को प्रभावी ढंग से लागू करने को लेकर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता कर रही थी। कार्यशाला में अधिनियम में वर्णित प्रावधानों व मानदंडो के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। लोकल कमेटी के सदस्य जयंत बख्शी ने कार्यशाला में पावर प्वाइंट प्रैजेंटेशन के माध्यम से कार्यशाला में उपस्थित कार्यालय प्रमुखों तथा आईसी कमेटी के सदस्यों को एक्ट के बारे में जानकारी देते हुए उनके संशयों को भी दूर किया।

एसडीएम अंकिता चौधरी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण अधिनियम है जिसका उद्देश्य महिलाओं को कार्यस्थल पर अच्छा व सुरक्षित माहौल उपलब्ध करवाना है ताकि वे आत्मसम्मान के साथ नौकरी कर सकें और कार्यस्थल पर अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहें। ऐसे में जरूरी है कि सभी सरकारी विभाग अधिनियम की अनुपालना करे और इस पर अधिक सक्रियता से काम करें।

उन्होंने कहा कि कई बार जानकारी के अभाव में महिलाएं यौन उत्पीड़न संबंधी शिकायतें दर्ज नही करवा पाती , ऐसे में जरूरी है कि उन्हें अधिनियम के तहत वर्णित प्रावधानों के बारे में जानकारी हो। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित कार्यालय प्रमुखों से कहा कि वे कार्यशाला में बताए गए मानदंडों व प्रावधानों की जानकारी अपने यहां कार्यरत स्टाफ को भी अवश्य दें । यदि उन्हें अपने कार्यालय में महिलाओं के यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ संबंधी किसी प्रकार की शिकायत प्राप्त होती है तो उसे गंभीरता से लें। अगर किसी महिला के साथ कार्यस्थल पर गलत व्यवहार हो रहा है तो उसे न्याय दिलवाने में उसका सहयोग अवश्य करें।

कार्यशाला में बताया गया कि कोई भी संस्थान जहां पर 10 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं, वहां पर आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। साथ ही संस्थान, जहां पर महिला कर्मचारी हो या ना हो, वहां पर भी आईसी गठित होनी अनिवार्य है, 10 से कम कर्मचारी वाले संस्थानों की महिलाएं जिला स्तर पर गठित लोकल कमेटी (एलसी) में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। कार्यशाला में लोकल कमेटी के सदस्य जयंत बख्शी ने अलग-अलग उदाहरणों के माध्यम से महिलाओं के साथ छेड़छाड़ तथा यौन उत्पीड़न आदि की परिभाषा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम को लेकर महिलाओं के साथ साथ पुरूषों को इसके बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कार्यशाला में शिकायत प्राप्त होने से लेकर इसका निपटारा करने संबंधी टाइमलाइन के बारे में भी जानकारी दी।

कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी सुनैना ने बताया कि वर्ष-2022 में समिति को अब तक 14 शिकायते प्राप्त हुई हैं जिनमें से 9 शिकायतें सरकारी कार्यालयों तथा 5 शिकायतें निजी क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं। इनमे से 2 शिकायतों को लोकल समिति को रेफर कर दिया गया है। इसी प्रकार, वर्ष-2021 में आंतरिक समिति को 12 शिकायतें, वर्ष-2020 में 15 शिकायतें तथा वर्ष-2019 में 21 शिकायतें प्राप्त हुई।

उन्होंने बताया कि कोई भी पीड़ित महिला अपनी शिकायत उसके साथ हुए दुर्व्यवहार के तीन महीनों के भीतर लिखित रूप में देते हुए दर्ज करवा सकती है, इसके बाद उसे शिकायत देरी से देने का कारण बताना होगा।शिकायतकर्ता की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी और जांच के बाद ही कार्यवाही की जाएगी।

अधिनियम के तहत महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई के मामलों के लिए जिला में लोकल कमेटी (एलसी) गठित की हुई है और इसका कार्यालय लघु सचिवालय के पास विकास सदन में है। इसके अलावा, यदि महिला कर्मचारी की शिकायत संस्थान के मालिक के खिलाफ हो तो भी वह अपनी शिकायत सीधे लोकल कमेटी में कर सकती है।

कार्यशाला में गुरूग्राम की एसडीएम अंकिता चौधरी, बादशाहपुर के एसडीएम सतीश यादव , महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी सुनैना, सीडीपीओ नेहा दहिया, पशुपालन विभाग की उप निदेशक डा. पुनीता गहलावत, जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी संधु बाला सहित कई अन्य विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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