भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। सीवर से गन्दे पानी के प्रवाह के लिए जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 166/217/269/270/277/278 व 283 तथा लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करवाने के लिए विधिक नोटिस दिया गया है। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियन्ता नितिन मोदी, उपमण्डल अभियन्ता अमित जैन, कनिष्ठ अभियन्ता नितिन यादव तथा अधीक्षण अभियन्ता विजेन्द्र सिंह को आपराधिक धाराओं के अंतर्गत व्यक्तिगत रूप से मुक़दमा झेलने हेतु विधिक नोटिस प्रेषित किया है।

मनीष वशिष्ठ का कहना है कि वे नई सराय के वासी हैं तथा उनके घर के सामने के सीवर से गत 2 वर्षों से गन्दे पानी, मलमूत्र का रिसाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि वे बहुत बार व्यक्तिगत रूप से, फोन व्हाट्सएप के माध्यम से तथा टोल फ्री पर शिकायत कर चुके हैं, किन्तु विभाग के इन अधिकारियों ने सीवरेज के गन्दे पानी के रिसाव को रोकने के लिए कोई तत्परता नहीं दिखाई। श्री वशिष्ठ का कहना है कि विभाग के ही सफाई कर्मचारियों ने बताया है कि सैन चौक के पास के मेनहॉल के पास, इस सीवर लाईन को छेदती हुई, किसी टेलीकॉम कम्पनी की ऑप्टिकल फाईबर केबल जा रही है। जिससे केबल के पास कूड़ा-कचरा रूक जाने से मेनहॉल ओवरफ्लो हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य विभाग के सफाई कर्मचारियों, उनके व मौहल्ला वासियों द्वारा उक्त अधिकारियों के संज्ञान में बहुत बार लाया जा चुका है। किन्तु उक्त अधिकारियों ने सीवर लाईन से उक्त बाधा हटा कर रिसाव को दूर करने के लिए कोई कार्य नहीं किया। इससे वातावरण में भयंकन बदबू व गंदगी का आलम है।

श्री वशिष्ठ ने कहा कि सामान्य शिकायतों से अधिकारियों के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगती है। उन्होंने कहा कि जब तक अधिकारियों की व्यक्तिगत आपराधिक जबाबदेही नहीं होगी, तब तक जनता ऐसे ही परेशान होती रहेगी। उन्होंने कहा कि अधिकारियों का यह अवैध कार्य तथा कार्यलोप धारा 3 लोक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम तथा धारा 166/217/269/270/277/278 व 283 भारतीय दण्ड संहिता के तहत अपराध है।

उन्होंने कहा कि किसी प्राईवेट कम्पनी के द्वारा अपनी ऑप्टिकल फाईबर केबल गुजार कर, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचा कर धारा 3 लोक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 के तहत अपराध किया है, किन्तु उसके बाद भी इन अधिकारियों द्वारा उस कम्पनी पर कोई कार्रवाई नहीं करके, इस अपराध में सहभागी हो गए हैं। इसके अतिरिक्त उक्त अधिकारियों ने जनसाधारण को क्षति कारित करने के उद्देश्य से, विधि के अनुरूप किए जाने वाले कर्तव्यों की अवज्ञा करके धारा 166 आईपीसी का, टेलीकॉम कम्पनी द्वारा लोक सम्पपत्ति के नुकसान पहुँचाने की जानकारी होने के बावजूद लोक सेवक होते हुए, उन्हें विधि द्वारा मिलने वाले दण्ड से बचाने के आशय से, विधि के निदेशों की अवज्ञा करके धारा 217 का अपराध किया है।

उक्त अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले कार्य के अवैध लोप से, सीवर से गन्दा बदबूदार पानी व मलमूत्र सड़क पर बह रहा है, जिससे आसपास रहने वाले जनसाधारण को संकटपूर्ण रोग का संक्रमण फैलने की संभावना है, जो आईपीसी की धारा 269 व 270 का अपराध है। सीवर का गन्दा पानी व मलमूत्र सड़क पर बहता है, वह घरों में पीने के लिए आने वाली जल स्पलाई मंे जाकर, पीने के जल को दूषित करता है, जो धारा 277, सीवरेज के ओवरफ्लो होने के कारण, भयंकर बदबू फैला कर वायुमण्डल दूषित कर रहा है, यह कृत्य धारा 278 तथा लोकमार्ग में बाधा उत्पन्न होने के कारण धारा 283 का अपराध कारित किया जा रहा है।

वशिष्ठ ने कहा है कि यदि संबंधित अधिकारी इस बाधा को दूर नहीं करते हैं तो उनके विरूद्ध संबंधित थाना या सक्षम न्यायालय में आपराधिक शिकायत दायर की जाएगी।

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