हरियाणा में पिछडा वर्ग आयोग गठन करने की खानापूर्ति की और उसके तुरन्त बाद 30 सितम्बर से पूर्व पंचायत चुनाव बिना पिछडा वर्ग आरक्षण के करवाने की घोषणा की : विद्रोही
पांच सदस्यीय हरियाणा पिछडा वर्ग आयोग गठित किया गया है, उसमें पिछडे वर्ग ए ब्लॉक से केवल एक सदस्य बनाया गया है, जबकि बाकी चार सदस्य अगड़े वर्ग के नौकरशाह है : विद्रोही

17 जुलाई 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार हरियाणा केे पिछडे वर्ग को किस तरह ठग रही है, इसका ताजा उदाहरण बिना पिछडा आरक्षण के 30 सितम्बर से पहले पंचायत चुनाव करवाना व पिछडा वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व दिये बिना हरियाणा पिछडा वर्ग आयोग का गठन करने की नौटंकी है। विद्रोही ने कहा कि पहले भाजपा खट्टर सरकार ने काफी दिनों बाद हरियाणा में पिछडा वर्ग आयोग गठन करने की खानापूर्ति की और उसके तुरन्त बाद 30 सितम्बर से पूर्व पंचायत चुनाव बिना पिछडा वर्ग आरक्षण के करवाने की घोषणा की। इस तरह भाजपा ने एक तीर से दो शिकार किये है। पांच वर्ष तक हरियाणा में पिछडे वर्ग को पंचायत चुनावों में आरक्षण से वंचित करके सुनियोजित ढंग से उनके संवैद्यानिक आरक्षण अधिकार पर डाका डाल दिया, वहीं पिछडा वर्ग आयोग गठन की खानापूर्ति करके पिछडा वर्ग हितैषी होने की नौटंकी भी कर दी। सवाल उठता है कि पिछडा वर्ग को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने का रास्ता निकाले बिना 30 सितम्बर से पहले पंचायत चुनाव करवाने खातिर मुख्यमंत्री खट्टर जी इतने आतुर क्यों है? जवाब यही है कि पिछडा वर्ग को पांच साल तक पंचायत चुनावों में आरक्षण से तकनीकी बहाने से वंचित रखना है। 

विद्रोही ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खटटर का यह रवैया जींवत प्रमाण है कि भाजपा ओबीसी वर्ग को छलकर किस भी तरह सत्ता दुरूपयोग से उसके संवैद्यानिक आरक्षण पर डाका डालती जा रही है। वहीं जो पांच सदस्यीय हरियाणा पिछडा वर्ग आयोग गठित किया गया है, उसमें पिछडे वर्ग ए ब्लॉक से केवल एक सदस्य बनाया गया है, जबकि बाकी चार सदस्य अगड़े वर्ग के नौकरशाह है। वहीं जिस पिछडे वर्ग ब्लॉक बी के आरक्षण  व सुविधाओं पर भाजपा-संघ सबसे ज्यादा आक्रमण करके कटौती कर रही है, उस वर्ग का एक भी सदस्य पिछडा वर्ग आयोग में नही बनाना भाजपा-खट्टर सरकार की ओबीसी वर्ग के प्रति बदनियती का जींवत प्रमाण है। 

विद्रोही ने कहा कि ओबीसी के लिए हरियाणा में क्रीमीलेयर आय सीमा पहले ही 8 लाख रूपये वार्षिक से घटाकर 6 लाख रूपये वार्षिक कर दी है। हरियाणा में उच्च वर्ग के स्वर्णो के लिए ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए वार्षिक आय सीमा 8 लाख रूपये है जबकि ओबीसी वर्ग के लिए यही आय 6 लाख रूपये वार्षिक है। यह भेदभाव व द्वेषपूर्ण नीति ओबीसी विरोध की भावना नही तो क्या है? विद्रोही ने कहा कि बिना आरक्षण के पंचायत चुनाव, बिना पिछडा वर्ग प्रतिनिधित्व के हरियाणा पिछडा वर्ग आयोग गठन, 6 लाख रूपये वार्षिक की क्रीमीलेयर सीमा जैसे कदम बताते है कि मनोहरलाल खटटर व भाजपा मानसिक रूप से पिछडे विरोधी है और किसी भी तरह सत्ता दुरूपयोग से पिछडा वर्ग को दबाने, कुचलने व उनके संवैद्यानिक हकों पर डाका डालने खातिर षडयंत्र रचते रहते है। 

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