अतिपिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के आंकड़े थे तो नगर निकाय व नगर परिषद चुनाव बिना आरक्षण के क्यों करवाये : वर्मा

सरकार पंचायत चुनाव अतिपिछड़ों की संख्या आधारित देकर कर करवाए : वर्मा 

हिसार 15 जुलाई । भाजपा नेता व स्वाभिमान की आवाज संगठन के अध्यक्ष हनुमान वर्मा ने प्रैस में जारी बयान में कहा कि हम ने एक चैनल‌ पर पिछड़ा वर्ग के एक बड़े नेता का बयान सुना वो कह रहे हैं कि एस सी / बीसी की संख्या का पता तो फैमिली आईडी से चल जाएगा । उन्होंने कहा कि एस सी / बीसी की संख्या ही नहीं फैमिली आईडी से तो एस सी /बीसी की जातिय गणना भी हो गई है । तो सरकार ने अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों को अन्धेरे में रख कर नगर निकाय व नगरपरिषद के चुनाव अतिपिछड़ों के 8% आरक्षण के बिना क्यों करवाये । इसका मतलब सरकार ने जानबूझ कर सोची समझी चाल के तहत कुठाराघात किया है

वर्मा ने कहा कि जब कोर्ट ने सरकार से अतिपिछड़ा वर्ग के आंकड़े उपलब्ध करने को कहा । तब सरकार ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर के ही वो आंकड़े उपलब्ध करा सकते हैं । तब तो मना कर दिया कि उनके पास जनसंख्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं है । जब कि फैमिली आईडी पहले ही बन कर तैयार थी । तो सरकार ने वो‌ आंकड़े उपलब्ध होते हुए भी कोर्ट को क्यों नहीं दिखाये । ये अतिपिछड़ों के साथ सरकार ने सरेआम धोखा किया । 

वर्मा ने कहा कि ये जो पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता आज आंकड़े होने की बात कर रहे हैं । उस समय इन की जुबान पर ताले क्यों पड़ गये थे जब कोर्ट ने आंकड़े मांगे । इनके निजी स्वार्थ की चुप्पी ने इनका दोगलापन उजागर कर दिया है। जिसके कारण अतिपिछड़े वर्ग के संवैधानिक अधिकार का हनन हुआ है। ये अतिपिछड़ों के लिए सोचने का विषय है । कि हमारा हितेषी कौन है ।

वर्मा ने कहा कि जो ये पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता कह रहे कि 2018 में विधानसभा में ये पास हुआ कि पिछड़ा वर्ग आयोग में 01 चेयरमैन व 02 सदस्य ही होगे । जब कि इस आयोग में 01 चेयरमैन और 03 सदस्य दिखाये गये है। वो नेता विधानसभा की अधिसूचना सार्वजनिक करने का काम करें । 

वर्मा ने कहा जब सरकार के पास एस सी / बीसी के जातिय आंकड़े उपलब्ध है तो सरकार को उन आंकड़ों को सार्वजनिक करने में क्या संकोच है । पिछड़ा वर्ग अपने हकों के प्रति जागरूक हैं अब इनको ज्यादा दिन बैवकुफ नहीं बनाया जा सकता । समस्त पिछड़ा वर्ग में भी असंतोष व आक्रोश उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है । जिसका भारतीय जनता पार्टी को निश्चित रूप से आने वाले चुनाव में भारी नुक्सान उठाना पड़ेगा । ओर 8% अतिपिछड़ों के आरक्षण के साथ ही नहीं अतिपिछड़ों की संख्या अनुसार आरक्षण देकर पंचायत चुनाव करवाए । 

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