भाजपा-जजपा खट्टर सरकार ने एक सुनियोजित रणनीति के तहत हरियाणा पिछडा वर्ग आयोग का गठन न करके प्रदेश के पिछडे वर्ग के लोगों को पहले नगर निकाय चुनावों में और अब पंचायत चुनावों में आरक्षण से वंचित करके उनके संवैद्यानिक अधिकारों पर डाका डाला है। विद्रोही क्रीमीलेयर वार्षिक आय में कृषि आय भी शामिल कर दी व पांच एकड़ से ज्यादा कृषि जोत वाले ओबीसी परिवारों को भी आरक्षण से वंचित कर दिया। विद्रोही 10 जुलाई 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया भाजपा-जजपा खट्टर सरकार ने एक सुनियोजित रणनीति के तहत हरियाणा पिछडा वर्ग आयोग का गठन न करके प्रदेश के पिछडे वर्ग के लोगों को पहले नगर निकाय चुनावों में और अब पंचायत चुनावों में आरक्षण से वंचित करके उनके संवैद्यानिक अधिकारों पर डाका डाला है। विद्रोही ने कहा कि 1993 के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद हर राज्य को पिछडा वर्ग आयोग बनाना जरूरी था। फिर सवाल उठता है कि भाजपा खट्टर सरकार ने प्रदेश में अभी तक पिछडा वर्ग आयोग न बनाकर पिछडे वर्ग के हितों के साथ कुठाराघात क्यों किया? भाजपा यह प्रचारित करती है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय पिछडा वर्ग आयोग को संवैद्यानिक मान्यता देकर उनके अधिकारों को सुरक्षित किया है, पर धरातल की वास्तविकता एकदम विपरित है। जब से देश में संघी सरकार सत्तारूढ़ हुई है, तब से लेकर आज तक विगत 8 सालों में किसी न किसी तकनीकी बहाने पिछडे वर्ग के सरकारी नौकरियों में व नगर निकाय-पंचायतों में दिये गए आरक्षण व अन्य सुविधाओं पर सुनियोजित ढंग से हथोडा चलाकर उसमें कटौती की जा रही है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार पिछडे वर्गे के संवैद्यानिक अधिकारों पर हथौडा चलाने का कोई मौका नही चूकती। मध्यप्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में भाजपा खट्टर सरकार ने पिछडे वर्ग को पहले नगर निकाय चुनावों में और अब पंचायत चुनावों में आरक्षण से वंचित कर दिया। भाजपा खट्टर सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में पिछडे वर्ग के संवैद्यानिक अधिकारों पर हथौडा चलाने में एक क्षण की भी देरी नही करती, लेकिन यही खट्टर सरकार पिछडों को लाभ देने वाले सुप्रीम कोर्ट आदेशों को तांक पर रखने में भी एक क्षण की देरी नही लगाती। विद्रोही ने प्रदेश के क्रीमीलेयर से सम्बन्धित आर्थिक अधिसूचना को इसका जीवंत प्रमाण बताया। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश को दरकिनार करके हरियाणा में पिछडे वर्ग की क्रीमीलेयर की वार्षिक आय 8 लाख रूपये से घटाकर 6 लाख रूपये वार्षिक कर दिया है। वही जिन पिछडे वर्गे के लोग द्वितीय श्रेणी की नौकरी में है, उनके बच्चों को सुप्रीम कोर्ट निर्देश को दरकिनार करके आरक्षण लाभ से वंचित कर दिया गया। इतना ही नही कृषि आय को भी क्रीमीलेयर आय सीमा में शामिल न करने के सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश बाद भी क्रीमीलेयर वार्षिक आय में कृषि आय भी शामिल कर दी व पांच एकड़ से ज्यादा कृषि जोत वाले ओबीसी परिवारों को भी आरक्षण से वंचित कर दिया। विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार का उक्त रवैया ना केवल ओबीसी वर्ग विरोधी है अपितु यह भी बताता है कि संघी मानसिक रूप से पिछडो के कितने विरोधी है। विद्रोही ने कहा कि जब पिछडे वर्ग को लाभ मिले तो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भीे उसे लाभ मत दो और जब कोई आदेश पिछडे वर्ग के अधिकारों की कटौती करता हो तो उसे एक क्षण में लागू करो। भाजपा खट्टर सरकार का यह रवैया जीवंत प्रमाण है कि भाजपा-संघी ओबीसी आरक्षण विरोधी है और ओबीसी वर्ग इन्हे अपना समर्थन देकर स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाडी मारने का काम कर रहे है। Post navigation हरियाणा महिला विकास निगम महिलाओं को देगा चालक व आत्मरक्षा प्रशिक्षण कैनेडियन हिंदू चैंबर ऑफ कॉमर्स ने हरियाणा के साथ कृषि क्षेत्र में सहयोग करने के लिए विशेष रूप से अपनी रुचि और इच्छा जताई- कृषि मंत्री जे.पी. दलाल