-कमलेश भारतीय

राजनेताओं को सजा के मामले में प्रसिद्ध अभिनेता और उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ बब्बर का नाम भी जुड़ गया है । मतदान अधिकारी से मारपीट करने के जुर्म में उन्हें दो साल की जेल की सजा हुई है । उन दिनों वे समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी थे । अदालत ने उन्हें सरकारी काम में बाधा डालने का दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई है और यह मामला सन् 1996 का है । सजा के साथ 8500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है ।

आमतौर पर यही धारणा है कि नेता कुछ भी ऊंच नीच कर लें , उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता । वे हर कानून से ऊपर माने जाते हैं लेकिन कभी कभी कानून की देवी आंखें खोल लेती है और ऐसी सजा सुनाती है ।

पहले-पहल यदि किसी नेता को सजा मिली तो मेरे ध्यान में लालू प्रसाद यादव का नाम उभरता है जिन्हें चारा घोटाले और अकूत सम्पत्ति बनाने की सजा मिली और अभी सजा काट रहे हैं । फिलहाल तो अस्पताल में हैं और मुख्यमंत्री व पुराने मित्र नीतिश कुमार साल चाल पूछने भी गये । यह सद्भावना सराहनीय है । कभी जेपी आंदोलन में दोनों एकसाथ थे । सरकार भी बनाई तेजस्वी के साथ लेकिन बीच में ही कमल का फूल पसंद आ गया और गठबंधन भाजपा के साथ कर लिया ।

दूसरा बड़ा नाम याद आ रहा है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का , जिन्हें अपने पूर्व सांसद बेटे अजय चौटाला के साथ दस साल की जेल की सजा सुनाई गयी । वे आजकल फिर से जेल में हैं किसी अन्य केस में और अपनी बढ़ती उम्र , बीमारी और वृद्धावस्था की दुहाई देकर सजा कम करने की अपील कर रहे हैं । पहली सजा जेबीटी टीचर्स की भर्ती को लेकर हुई । साथ में कभी हिसार के उपायुक्त रहे संजीव कुमार भी फंसे । तब वे शिक्षा विभाग में आ चुके थे और आपस की खींचतान ने जेल तक का रास्ता दिखा दिया । हालांकि पार्टी की ओर से ये विज्ञापन लगाये गये थे कि क्या 3600 घरों का चूल्हा जलाना गलत था ?

इसके अतिरिक्त कांग्रेस के सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर की भी सन् 84 के दंगों की सजा मिली और इनके राजनीतिक करियर खत्म हो गये । ये दोनों दिल्ली से सांसद थे और माना जाता है कि सिख दंगों के पीछे इनका हाथ था । दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोधरा कांड से पूरी तरह मुक्त हो गये । कभी आज के गृहमंत्री और भाजपा के चाणक्य अमित शाह गुजरात में तड़ीपार किये गये थे और यह दर्द उन्हें बहुत सताता है ।

इस तरह यह धारणा तो टूट गयी कि राजनेता कानून से ऊपर हैं और इनका कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता । दूसरे यह सबक भी कि आप जब सत्ता में होते हैं तो यह मत सोचिए कि कोई आपको देखता नहीं और आप मनमानियां कर सकते हैं । नहीं । आप लोकतंत्र में हैं , राजशाही में नहीं । लोकतंत्र लोक के लिए है आपकी मनमानियों के लिए नहीं । इसलिए सत्ता में रहते समय होश भी रखिए और सत्ता का सही उपयोग कीजिए । यही सच है । यही सही है ।
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी

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