राष्ट्रपति की बात को कानून बनाकर लागू किया जाना चाहिए : चौधरी 

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल ।‌ भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले दिनों अपने एक वक्तव्य में कहा कि आगे बढ़ने के लिए अब आरक्षण की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए। उपरोक्त बात शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं विश्लेषक सुरेंद्र चौधरी ने एक वक्तव्य के माध्यम से कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति कोविंद जो कि स्वयं एक दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जाति के आधार पर आरक्षण खत्म हो जाना चाहिए, इसके स्थान पर गरीबों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन योजना सरकार को बनानी चाहिए, जिसका फायदा सभी जाति के अंतिम जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे। 

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिलने के बाद जब भारत का संविधान लिखा गया था। तब उसमें कुछ वर्गों को जाति के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जो कि उस समय की जरूरत थी, हमारे समाज के दलित व आदिवासी जो उस वक्त काफी पिछड़े हुए थे, उनकी माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके, यहां तक कि उनको अपना जीवन यापन करना भी बड़ा मुश्किल होता था। 

श्री चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद देश में कोई भी सरकार रही हो, उसने समाज के ऐसे वर्गों को जातिगत आरक्षण देकर ऊपर उठाने का कार्य किया, जिसका परिणाम है कि आज देश के बड़े-बड़े पदों पर दलित एवं आदिवासी वर्ग के काबिल लोग इन पदों पर विराजमान हैं। लेकिन अब देश को आजाद हुए 75 साल हो रहे हैं, हम अपनी आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, ऐसे में भारत के महामहिम राष्ट्रपति का यह बयान कि अब आगे बढ़ने के लिए आरक्षण की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए, बड़ा मायने रखता है। उनके इस वक्तव्य का पूरे देश में सभी जगह स्वागत भी हुआ है। भारत के संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन काल में एक बार एक सभा में यह कहा था कि जिस दिन देश का कोई दलित या आदिवासी व्यक्ति भारत के राष्ट्रपति पद पर पहुंच जाएगा उस दिन यह समझ लेना कि अब जातिगत आरक्षण समाप्त करने का समय आ गया है। 

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी कुछ समय पहले यह बात कही थी कि अब जातिगत आरक्षण समाप्त होना चाहिए, इसके स्थान पर हर गरीब व्यक्ति जो आर्थिक रूप से कमजोर है और किसी भी जाति से ताल्लुक रखता है इसको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि वह अपनी काबिलियत के सहारे वह मुकाम हासिल कर सके जो एक सामान्य वर्ग का व्यक्ति हासिल करता है। सरकार उसकी  उच्च शिक्षा के लिए व्यवस्था करें, उसको हर वह साधन उपलब्ध कराएं जिससे वह किसी भी कंपटीशन में बैठ सकें और किसी भी ऊंचे से ऊंचे पद पर पहुंच सके, परंतु उसके लिए उसे अन्य सामान्य लोगों की तरह अपनी काबिलियत के आधार पर ही हर मुकाम को हासिल करना होगा। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी ने धारा 370 को समाप्त किया, तीन तलाक जैसी कुरीति को खत्म किया और देश को जिस तरह एक विकसित राष्ट्र , एक महाशक्ति तथा विश्व गुरु बनाने की तरफ ले जा रहे हैं, उससे आमजन में एक धारणा बनी है कि नरेंद्र मोदी जी ही वह व्यक्ति है जो जातिगत आरक्षण को समाप्त करके, हर वर्ग के आर्थिक रूप से गरीब व्यक्ति को प्रोत्साहन देने की योजना लागू कर सकते है, जिसका फायदा समाज के अंतिम गरीब तक क्रियान्वित हो। 

भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जो स्वयं दलित परिवार से हैं,ऐसे समय में उनका यह बयान समाज के सभी वर्गों के लिए अमृत के समान है और आने वाले कुछ दिनों के बाद संभव है कि आदिवासी जाति से भी एक महिला भारत की  महामहिम राष्ट्रपति बन सकती है, ऐसे में यह सही वक्त है कि जातिगत आरक्षण को समाप्त करके आर्थिक रूप से गरीब हर व्यक्ति को प्रोत्साहन देना चाहिए, जिससे आर्थिक रुप से गरीब हर व्यक्ति कोई भी पद जातिगत आरक्षण के बल पर नहीं अपितु अपनी काबिलियत के दम पर हासिल कर सके। मोदी है तो मुमकिन है। भारत के यशस्वी एवं काबिल प्रधानमंत्री को इस पर संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि वही एक ऐसे व्यक्ति हैं जो समाज के सभी वर्गों को एक साथ बैठा कर, इस जातिगत आरक्षण को समाप्त कर, आर्थिक रुप से गरीब हर व्यक्ति को प्रोत्साहन देने की योजना को लागू कर सकते हैं। 

श्री चौधरी ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं एक दिन अवश्य ऐसा आएगा जब समाज के सभी वर्ग मिल बैठकर यह फैसला लेंगे कि  जातिगत आरक्षण की अब कोई जरूरत नहीं है, इसके बजाय किसी भी जाति के आर्थिक रूप से कमजोर गरीब बच्चे को उच्च शिक्षा के लिए सरकार हर तरह की सभी सहायता प्रदान करें ताकि वह भी अपनी क्षमता और अपनी काबिलियत के आधार पर अन्य वर्गों के लोगों की तरह वह सब कुछ हासिल कर सके, जिसका वह हकदार है।

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