सेना को कमजोर और संख्याबल कम करने वाली साबित होगी अग्निपथ योजना- हुड्डा

हम देश की सेना को कमजोर नहीं होने देंगे- हुड्डा
पूर्व सैनिकों को नौकरी क्यों नहीं दे रही अग्निवीरों को रोजगार देने का ऐलान करने वाली सरकार- हुड्डा
हम अहीर रेजिमेंट की कर रहे हैं मांग लेकिन नमक, नाम और निशान के सिद्धांत को कमजोर कर रही है सरकार- हुड्डा
न्यायिक परिसर व अन्य सरकारी दफ्तरों को शहर से बाहर निकालने का करेंगे पुरजोर विरोध- हुड्डा

27 जून, रोहतकः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि अग्निपथ योजना देश की सेना को कमजोर और उसके संख्याबल को कम करने का काम करेगी। हुड्डा आज रोहतक में अग्निपथ योजना के विरुद्ध कांग्रेस के धरने को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने बताया कि जब देश आजाद हुआ तो देश के पास 4 लाख सैनिक थे, जो पिछले 70 सालों में बढ़कर 14 लाख हुए। लेकिन पिछले 3 साल से सेना की भर्ती नहीं होने की वजह से 2 लाख स्थायी पद खाली पड़े हैं। सरकार को चाहिए था कि वह खाली पड़े पदों पर पक्की भर्ती करती लेकिन, ऐसा करने की बजाए सरकार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली योजना लेकर आ गई।

उन्होंने कहा कि अगर यह योजना लागू हुई तो धीरे-धीरे हमारी सेना का संख्याबल घटकर 6 लाख रह जाएगा। विशेषकर हरियाणा पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा। अब तक हरियाणा से हर साल 5 से 7 हजार युवा सेना में भर्ती होते थे। अगर 3 साल से रेगुलर भर्ती होती तो करीब 20 हजार युवा और सेना में जाते। लेकिन अग्निपथ योजना के तहत अब सिर्फ 963 अग्निवीर ही भर्ती होंगे। उनमें से भी 75 प्रतिशत को 4 साल बाद बेरोजगारी के दलदल में धकेल दिया जाएगा।

अग्निपथ योजना के विरोध में कांग्रेस पार्टी द्वारा अंबेडकर चौक के नजदीक चर्च रोड पर जारी धरने में जब पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोल रहे थे तभी अचानक बिजली काट दी गयी। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार बिजली तो काट सकती है लेकिन विपक्ष की आवाज नहीं दबा सकती। इस दौरान काफी देर तक बिजली कटी रही।

हरियाणा सरकार द्वारा अग्निवीरों को पक्की नौकरी देने के दावे पर भी हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार हर साल रिटायर होने वाले पूर्व सैनिकों को नौकरी क्यों नहीं देती। सरकार को बताना चाहिए कि अबतक 29,275 पूर्व सैनिकों में से उसने सिर्फ 543 को ही नौकरी क्यों दी? अगर हरियाणा सरकार वास्तव में अग्निवीरों को नौकरी देना चाहती है तो पहले उन्हें हरियाणा में परमानेंट नौकरी देनी चाहिए और फिर 4 साल के लिए उन्हें डेपुटेशन पर सेना में भेजना चाहिए।

हुड्डा ने कहा कि वह किसी भी चीज का सिर्फ विरोध के लिए विरोध नहीं करते, बल्कि वह खुद सैनिक स्कूल के विद्यार्थी होने के नाते आधे सैनिक हैं। इसलिए वह सेना की कार्यप्रणाली को समझते हैं। भारतीय सेना का नाम पूरी दुनिया में सम्मान के साथ लिया जाता है। लेकिन केंद्र सरकार इजराइल का उदाहरण देकर देश पर अग्निपथ योजना को थोपना चाहती है। जबकि इजराइल और भारत की स्थिति अलग है। इजराइल जैसे छोटे देशों में बेरोजगारी नहीं है और वहां के लोगों को जबरदस्ती फौज में भेजा जाता है। जबकि सेना में भर्ती होने हमारे देश के युवाओं का सपना होता है और देश का युवा सैनिक बनकर खुद को गौरवान्वित महसूस करता है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भारत की सीमा के एक तरफ पाकिस्तान और एक तरफ चीन जैसा देश बैठा है। ऐसे में देश की सुरक्षा के साथ इस तरह का प्रयोग करना खतरनाक साबित होगा। अगर सरकार कोई मिलिट्री रिफॉर्म करना ही चाहती है तो उसे पहले सभी प्रभावित वर्गों से बात करनी चाहिए। इजराइल की बात करने वाली सरकार को रूस का उदाहरण भी देखना चाहिए। रूस में कॉम्बैट फोर्सेस की ट्रेनिंग ही 5 साल में पूरी होती है और भारत में सिर्फ 4 साल में अग्निवीर को रिटायर करने की नीति अपनाई जा रही है।

हुड्डा ने कहा कि यह योजना ना देश हित में है, ना देश की सुरक्षा के हित में, ना फौज और ना ही युवाओं के हित में है। हम देश की सेना को कमजोर नहीं होने देंगे। इसीलिए कांग्रेस लगातार आंदोलनरत है। इसी कड़ी में आज शांतिपूर्ण ढंग से पूरे देश में धरना प्रदर्शन किया गया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हम लगातार सेना में अहीर रेजिमेंट बनाए जाने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार नमक, नाम और निशान के सिद्धांत को ही कमजोर करने जा रही है। नयी योजना के जरिए फौज के भीतर ही दो किस्म की फौज बनाई जा रही हैं, एक परमानेंट और एक टेंपरेरी। दोनों में सामंजस्य कैसे बैठेगा?

आखिर में हुड्डा ने कहा कि देश को आगे बढ़ाना है तो उसके लिए सबसे मजबूत नारा ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा है। इसको कमजोर करके देश को मजबूत नहीं किया जा सकता।

इस मौके पर वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल भी पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचा। उनकी मांगों का जिक्र करते हुए हुड्डा ने कहा कि न्यायिक परिसर, सचिवालय व अन्य सरकारी दफ्तरों को शहर से बाहर निकालने का वो पुरजोर विरोध करते रहेंगे। सरकार किसी व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कर रही है। लेकिन, यह फैसला यहां के लोग और जनप्रतिनिधि करेंगे, ना कि कोई अधिकारी। जबतक भूपेंद्र सिंह हुड्डा है तबतक इन सरकारी कार्यालयों को शहर से बाहर नहीं जाने देंगे।

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