निकाय मंत्री कमल गुप्ता को गुरुग्राम का प्रभार, रामबिलास शर्मा संभालेंगे मानेसर और संजय भाटिया को फरीदाबाद की मिली जिम्मेदारी

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम और मानेसर में नेता निगम चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं और यही स्थिति शायद फरीदाबाद की भी होगी। जनता में भी यह चर्चा है कि अब के मेयर के लिए चुनाव कौन लड़ेगा? इन्हीं बातों के मद्देनजर आज प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने तीनों निगमों के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। गुरुगाम के महत्व को देखते हुए स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता को प्रभार दिया गया है, जबकि पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा को मानेसर निगम बागडोर दी गई है। मुख्यमंत्री के अति विश्वस्त सांसद संजय भाटिया को फरीदाबाद का प्रभार दिया गया है। अर्थात निकाय चुनावों का परिणाम देखते हुए निगम चुनाव में अच्छा परिणाम देने के लिए भाजपा ने अभी से प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं।

भारतीय जनता पार्टी द्वारा अभी से प्रभारी नियुक्त करने का सीधा-सा अर्थ यह है कि पार्टी अपना पिछला अनुभव भुला नहीं पाई है और वही परिणाम नहीं लाना चाहती। पहले भी तीन निगमों के चुनाव हुए थे, जिसमें केवल पंचकूला में ही अपना मेयर बना पाई थी। माना कि उस समय किसान आंदोलन यौवन पर था लेकिन अब स्थितियां इस ओर इंगित कर रही हैं कि इस बार किसान आंदोलन का स्थान अग्निपथ योजना ले लेगी लेकिन भाजपा का अभी से प्रभारी नियुक्त करना वह भी इतने हैवीवेट, यह दर्शाता है कि भाजपा को वह हाल अभी तक याद है और उसे दोहराना चाहती।

गुरुग्राम और मानेसर में पहले से ही मेयर और पार्षद की टिकट पाने के लिए कार्यकर्ता अपनी गोटियां बिछाने में लगे हुए हैं और प्रभारी नियुक्त होने से यह तय है कि उनमें तेजी आएगी। यदि पिछले गुरुग्राम के निगम चुनाव को याद करें तो आपको भी स्मरण होगा कि राव इंद्रजीत ने पार्टी लाइन से हटकर अपने प्रत्याशी खड़े भी किए थे और आन-बान-शान का मुद्दा बनाकर गुरुग्राम में अपनी मर्जी का मेयर बनाया था। अब यह तो समय बताएगा कि राव इंद्रजीत किस प्रकार का कदम उठाएंगे। सबसे बड़ी बात यह रहेगी कि पिछली बार की मेयर टीम से जनता प्रसन्न तो नहीं है। भ्रष्टाचार के मुद्दे चलते रहेंगे और आम नागरिक भी निगम की कार्यशैली से परेशान ही रहा है। ऐसी स्थिति से राव इंद्रजीत कैसे निपटेंगे? इसी के साथ मानेसर नया निगम बना है। वहां प्रथम बार चुनाव होंगे परंतु उसमें भी गुरुग्राम और पटौदी के क्षेत्र लगते हैं, जोकि राव इंद्रजीत के क्षेत्र ही कहलातें हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि राव इंद्रजीत इस चुनौती से कैसे निपटेंगे?

भाजपा ने तीनों निगमों में अपने प्रभारी तो नियुक्त कर दिए हैं परंतु यह प्रश्न मुंह बाय अवश्य खड़ा है कि भाजपा की सत्ता में भागीदार जजपा क्या साथ लड़ेगी? या वह अपने लिए कोई एक निगम की मांग करेगी? अग्निपथ योजना के अतिरिक्त इस समस्या का भी भाजपा को हल खोजना होगा।

फरीदाबाद नगर निगम भी अपने भ्रष्टाचारों के लिए पिछले कई वर्षों से चर्चा में है। वहां तो भ्रष्टाचार पकड़े भी गए हैं। फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा ने तो विधानसभा में अपने सिले हुए वस्त्र त्यागने की और नंगे पांव रहने की घोषणा भी की थी, जिसे उन्होंने कुछ समय निभाया भी था। तात्पर्य यह कि इस समय माना कि निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी अपना असर नहीं दिखा सकी और कांग्रेस चुनाव चिन्ह पर खड़ी नहीं थी। अत: भाजपा को खुल्ला मौका मिला था। ऐसे में भी उनका प्रदर्शन कोई बहुत अच्छा कहा नहीं जा सकता। आंकड़े बताते हैं कि भाजपा को 27 प्रतिशत मत भी प्राप्त नहीं हुए और निगम चुनाव जहां तक अनुमान है कांग्रेस चुनाव चिन्ह पर लड़ेगी। ऐसे में सांसद संजय भाटिया के सिर पर भाजपा और मुख्यमंत्री का सम्मान बचाने की जिम्मेदारी होगी, क्योंकि माना जाता है कि सांसद संजय भाटिया मुख्यमंत्री के अति विश्वास पात्र हैं। 

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि आने वाले समय में गुरुग्राम, फरीदाबाद और मानेसर में भाजपा के कार्यकर्ताओं में टिकट के लिए मारामारी आरंभ हो जाएगी, जिससे संभव है कि भाजपा की अंदरूनी कलह भी मुखर होकर सामने आ जाए। ऐसा ही कांग्रेस के साथ भी संभव है। जो भी हो यह तय है कि इन तीनों निगमों में अब चुनाव की तैयारियों में जनता और नेता लग जाएंगे।

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